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पंजाब : अमेरिका से निर्वासित व्यक्ति के टूटे सपने, अंधकार में भविष्य

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होशियारपुर (पंजाब), 18 फरवरी (भाषा) जुलाई 2024 में, अमृतसर में रोहित ने एक ‘ट्रैवल एजेंट’ के कानूनी रूप से अमेरिका में प्रवेश दिलाने का वादा करने के बाद बेहतर भविष्य की तलाश में सफर शुरू किया, लेकिन यह प्रयास उस समय विफल हो गया जब उन्हें कुछ अन्य अवैध भारतीय प्रवासियों के साथ निर्वासित कर दिया गया।

रविवार रात अमेरिकी सैन्य विमान से वापस भेजे गए निर्वासित व्यक्तियों में रोहित भी शामिल हैं।

पंजाब-हिमाचल प्रदेश सीमा पर कांगड़ा जिले के मिलवान गांव के निवासी रोहित ने अपने परिवार की किस्मत बदलने की उम्मीद में जुलाई 2024 में अमेरिका की यात्रा शुरू की थी, लेकिन महीनों की कठिनाई के बाद उन्हें वापस निर्वासित कर दिया गया है।

भारत के 112 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान रविवार देर रात अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचा। अवैध प्रवासियों के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कार्रवाई के तहत निर्वासित लोगों को भारत लाने वाला यह तीसरा विमान था।

सूत्रों ने बताया कि 112 निर्वासित लोगों में से 44 हरियाणा से, 33 गुजरात से, 31 पंजाब से, दो उत्तर प्रदेश से और एक-एक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हैं।

रोहित ने कहा कि वह अमृतसर के एक ट्रैवल एजेंट के संपर्क में थे, जिसने उन्हें वैध अमेरिकी वीजा का आश्वासन दिया था।

एजेंट ने शुरू में उन्हें दुबई भेजने का वादा किया और कहा कि वहां से अमेरिका के लिए उनके वीजा की व्यवस्था की जाएगी।

मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से फोन पर बात करते हुए रोहित ने कहा कि जब वह दुबई पहुंचे तो उन्होंने खुद को कई अन्य युवाओं के बीच पाया, जो फंसे हुए थे और अनिश्चित काल से अपने वीजा का इंतजार कर रहे थे। घर पर अकेली अपनी मां को परेशान न करने के लिए उन्होंने उन्हें घटना के बारे में नहीं बताने का फैसला किया।

रोहित की मां आशा देवी ने फोन पर बताया कि रोहित के पिता का कुछ साल पहले निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि रोहित मिलवान में चाय की दुकान पर अपने पिता की मदद करता था।

परिवार के एक अन्य सदस्य ने फोन पर बात करते हुए कहा कि परिवार को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण रोहित 12वीं कक्षा के बाद ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका।

रोहित ने कहा कि ट्रैवल एजेंट ने उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने का वादा किया था। दुबई में कई सप्ताह बिताने के बाद, आखिरकार, ट्रैवल एजेंट ने ग्रीस के लिए वीजा हासिल कर लिया और वहां से उन्हें स्पेन के मैड्रिड भेज दिया गया।

रोहित का कहना है कि मैड्रिड में लगभग 10 से 12 दिन तक रहने के बाद, उन्हें मध्य अमेरिका के एक देश एल सेल्वाडोर ले जाया गया, जहां से अमेरिका के लिए उनका ‘डंकी रूट’ (प्रवासियों को अमेरिका ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अवैध और जोखिम भरा रास्ता) शुरू हुआ।

एल सेल्वाडोर से मेक्सिको तक की यात्रा में लगभग एक महीना लगा, जो बहुत परेशानियों से भरा था। इस खतरनाक सफर के दौरान रोहित को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

उन्होंने बताया कि इन रास्तों पर मानव तस्कर (‘डंकर्स’) अक्सर यात्रियों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करते हैं।

उन्होंने कहा, “कभी-कभी, मुझे कई दिन तक जमीन पर सोने, घने जंगलों से होकर गुजरने और भूख से तड़पने के लिए मजबूर होना पड़ता था।”

उन्होंने कहा कि अगर ‘डंकर्स’ भोजन उपलब्ध कराते, तो यह राहत होती; अन्यथा, लोगों के पास कोई विकल्प नहीं था।

अमेरिका पहुंचने के इस प्रयास में लगभग 40-50 लाख रुपये खर्च करने के बाद, रोहित की यात्रा अचानक रुक गई जब तीन फरवरी को कुछ अन्य लोगों के साथ मैक्सिको में तिजुआना के रास्ते अवैध रूप से देश में प्रवेश करने के लिए अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उन्हें पकड़ लिया।

रोहित ने कहा कि पास में एक गश्ती दल था और हमें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि समूह में कुछ और लोग भी थे, जिन्हें सीमा पार करने के बाद पकड़ लिया गया।

रोहित ने कहा, “हमें सैन डिएगो के एक हिरासत केंद्र में ले जाया गया। हमारे बायोमेट्रिक (अंगुलियों के निशान आदि) एकत्र किए गए और मेडिकल जांच की गई। हमारी हिरासत से संबंधित अन्य सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं और हमें बताया गया कि हम अवैध रूप से आए हैं। बाद में, हमें एक कोठरी में रखा गया, जिसमें लगभग 50-60 लोग रह सकते थे।”

उन्होंने कहा, “ज्यादातर मांसाहारी खाना परोसा गया। लेकिन मैंने ज्यादातर समय कुछ फल और पानी लेना पसंद किया क्योंकि मैं मांसाहारी नहीं हूं।”

रोहित ने कहा कि जब तक उन्हें निर्वासित नहीं किया गया तब तक वे हिरासत केंद्र में ही कैद रहे।

रोहित ने कहा, “उन्होंने हमें अंदर रखा, हमें यह देखने का मौका नहीं मिला कि बाहर क्या हो रहा है। 14 फरवरी को एक सूची लाई गई और उन्होंने नाम पढ़ना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद, वे हमें दो बसों में कैलिफोर्निया के हवाई अड्डे पर ले गए, जो लगभग एक घंटे की दूरी पर था। तब हमें पता चला कि हमें एक विमान में बिठाया जा रहा है।”

रोहित ने कहा कि यात्रा के दौरान लोगों को हथकड़ी पहनाई गई थी।

रोहित के लौटने पर उनके परिवार ने ट्रैवल एजेंट से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उसका फोन बंद ही रहा। अब आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके रोहित ने एजेंट के खिलाफ कार्रवाई और भुगतान की गई राशि वापस करने का अनुरोध किया है।

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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