चंडीगढ़, 18 नवंबर (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने सोमवार को घोषणा की कि किसान फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को स्वीकार कराने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने को लेकर छह दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।
यह निर्णय यहां किसान नेताओं की एक बैठक में लिया गया।
प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के नेतृत्व में उनके ‘दिल्ली चलो’ मार्च को सुरक्षा बलों ने रोक दिया था।
यहां मीडिया को संबोधित करते हुए केएमएम के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि लंबे इंतजार के बाद उन्होंने दिल्ली की ओर जाने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘हम छह दिसंबर को दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।’
पंधेर ने किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए उनसे कोई बातचीत न करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। हमने नौ महीने तक शांतिपूर्वक सरकार से संपर्क का इंतजार किया। लेकिन अब हम दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।’
किसान शंभू सीमा से समूहों में राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के तेजवीर सिंह ने कहा कि वे 280 दिन से दोनों सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं और केंद्र ने 18 फरवरी से उनके साथ कोई बातचीत नहीं की।
पिछले हफ्ते किसानों ने घोषणा की थी कि वे अपना आंदोलन तेज करते हुए 26 नवंबर से आमरण अनशन शुरू करेंगे।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अनशन करेंगे।
किसान संगठन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करने, पुलिस मामले वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा
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