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Friday, 17 May, 2024
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कृषि कानूनों पर नहीं मिला राष्ट्रपति कोविंद से मिलने का समय, अमरिंदर सिंह राजघाट पर देंगे धरना

मुख्यमंत्री कार्यालय ने 21 अक्टूबर को राष्ट्रपति से 4 नवंबर को अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के लिए मुलाकात का समय मांगा था.

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चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कृषि कानून के मुद्दे पर उनके नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मुलाकात का समय नहीं दिए जाने के बाद बुधवार को दिल्ली स्थित राजघाट पर कांग्रेस विधायकों के ‘क्रमिक धरना’ का नेतृत्व करेंगे.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने 21 अक्टूबर को राष्ट्रपति से चार नवंबर को अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के लिए मुलाकात का समय मांगा था और पंजाब विधानसभा द्वारा पिछले महीने पारित कृषि विधेयकों को मंजूरी देने की मांग की थी जो केंद्र द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए पारित किया गया है.

राज्य सरकार ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रपति भवन ने मुलाकात का समय देने से इनकार कर दिया है.

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान केंद्र द्वारा मालगाड़ियों के परिचालन को रोकने की वजह से पंजाब में बिजली संकट और आवश्यक सामानों की कमी को भी उजागर किया जाएगा.

रेलवे ने पंजाब में ट्रेनों का परिचालन यह कहकर रोक दिया है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान अब भी कुछ पटरियों पर जमे हैं. हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि पटरियों पर से अवरोधक हटा लिए गए हैं और मालगाड़ियों को परिचालन की अनुमति दी जा रही है.

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पंजाब सरकार ने कहा कि कोयले की कमी की वजह से राज्य के ताप विद्युत संयंत्र बंद हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में चूंकि धारा 144 लागू है और लोगों के जमा पर होने पर रोक है, इसलिए विधायक चार-चार के समूह में पंजाब भवन से महात्मा गांधी की समाधि राजघाट जाकर ‘क्रमिक धरना’ देंगे.

सिंह ने कहा कि पहला समूह सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर राजघाट पहुंचेगा.

उन्होंने राज्य के कांग्रेस विधायकों के अलावा पंजाब के अन्य पार्टियों के विधायकों से भी धरना में शामिल होने का आह्वान किया.

उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा ने पिछले महीने केंद्र के तीन कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए तीन विधेयक पारित किए हैं. इसके साथ ही इन कृषि विधेयकों पर उनकी मंजूरी के लिए चार नवंबर या किसी भी उचित तारीख पर राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए समय मांगने के लिए सर्वदलीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी थी.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि प्रस्ताव के अनुरूप 21 अक्टूबर को राष्ट्रपति भवन को मुलाकात के लिए पत्र भेजा गया और इस संबंध में 29 अक्टूबर को भी स्मरण पत्र भेजा गया.

राष्ट्रपति भवन ने हालांकि, सोमवार को मुख्यमंत्री और उनके नेतृत्व में आने वाले प्रतिनिधिमंडल की राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए समय देने से मना कर दिया और कहा कि राज्य के कृषि विधेयक अब भी राज्यपाल के पास विचार के लिए लंबित है.

राष्ट्रपति भवन द्वारा अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोमवार को एक और पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री और विधायक राष्ट्रपति से मुलाकात कर राज्य के हालात को लेकर उनका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं.

हालांकि, राष्ट्रपति कार्यालय ने इस अनुरोध को भी अस्वीकार करते हुए कहा कि पिछले कारणों के मद्देनजर इस समय इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद -254 (II) के तहत राज्य द्वारा लाए गए संशोधन विधेयक के मामले में संविधान के तहत राज्यपाल की भूमिका महज इन्हें राष्ट्रपति को अग्रसारित करने तक सीमित है.

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