पुणे, 20 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के प्रमुख सदानंद दाते ने शनिवार को कहा कि छद्म युद्ध और आईएसआईएस भारत के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नयी बाधाओं से निपटने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संस्थानों के भीतर भ्रष्टाचार को समाप्त करना होगा।
वह एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पुणे में थे, जहां उन्होंने “भारत की आंतरिक सुरक्षा और इसकी चुनौतियां” विषय पर व्याख्यान दिया।
देश की प्रमुख आतंकवाद निरोधक जांच एजेंसी के महानिदेशक ने कहा कि नक्सलवाद, खालिस्तानी तत्व और अलगाववाद आंतरिक चुनौतियां बने हुए हैं, लेकिन छद्म युद्ध और आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) देश के लिए बड़ा खतरा हैं।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, “पहला, कुछ देश छद्म युद्धों के जरिए हमारी प्रगति में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं, और दूसरा है आईएसआईएस। अगर हमें नयी चुनौतियों का सामना करना है, तो हमें लोकतंत्र को मजबूत करना होगा। अगर हम चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संस्थाओं में भ्रष्टाचार भी खत्म होना चाहिए।”
एनआईए प्रमुख ने कहा कि भारत को आतंकवाद, नक्सलवाद, खालिस्तानी तत्वों, कश्मीर में अलगाववाद और पूर्वोत्तर में बांग्लादेश और म्यांमा से घुसपैठ सहित कई आंतरिक खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “अब तक, हमने इनमें से कई मुद्दों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है। हमारा संविधान और लोकतंत्र, साथ ही स्वतंत्र न्यायपालिका, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धियां हैं, क्योंकि इन्हीं ने हमें सफल होने में सक्षम बनाया है।”
एनआईए प्रमुख ने महाराष्ट्र की विशिष्ट आतंकवाद निरोधी एजेंसी फोर्स वन की स्थापना के दौरान के अपने अनुभव को भी याद किया।
दाते ने कहा, “26/11 हमले के बाद, पुलिस बल में व्यापक बदलाव किए गए। सरकार ने महाराष्ट्र में एक कमांडो यूनिट बनाने का फैसला किया और मुझे फोर्स वन का आईजी (महानिरीक्षक) नियुक्त किया गया। मैं रोज सुबह छह बजे उनके साथ शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जाता था।”
उन्होंने कहा, “हमने फोर्स वन के मूल्यों को सीधे अपने कर्मचारियों से समझा। यहां, हमें एहसास हुआ कि कर्तव्य जीवन से भी बड़ा है। हमने एक मूल्य-आधारित संगठन बनाया। काम की गुणवत्ता आपके पद से ज्यादा महत्वपूर्ण है। हमने यह विश्वास स्थापित किया कि प्रतिभा पद से ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
भाषा प्रशांत माधव
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