नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) हजारों प्रदर्शनकारियों ने ढाका में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के आवास में आग लगा दी और अवामी लीग के कई नेताओं के घरों में तोड़फोड़ की।
अंतरिम सरकार ने बृहस्पतिवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के ‘भड़काऊ’ भाषण को ‘अनपेक्षित और अप्रत्याशित’ हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
बुधवार की रात को प्रदर्शनकारियों ने ढाका में शेख मुजीबुर रहमान के 32 धानमंडी स्थित घर (जो एक स्मारक है) के सामने रैली निकाली। सोशल मीडिया पर उनकी बेटी के भारत में निर्वासन के दौरान निर्धारित डिजिटल माध्यम से संबोधन से पहले ‘बुलडोजर जुलूस’ के आह्वान के बाद यह प्रदर्शन हुआ। हसीना के भाषण देने के दौरान भीड़ ने घर में आग लगा दी।
अवामी लीग के नेताओं को निशाना बनाकर कई अन्य स्थानों पर भी तोड़फोड़ की ऐसी ही घटनाएं हुईं।
बृहस्पतिवार को एक बयान में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने कहा कि शेख मुजीबुर रहमान के आवास को ध्वस्त करना ‘अनपेक्षित और अप्रत्याशित’ था, लेकिन साथ ही कहा कि यह तोड़फोड़ जुलाई में हुए विद्रोह के खिलाफ भारत से ‘हसीना के भड़काऊ बयानों के कारण उत्पन्न जनाक्रोश का परिणाम’ था।
इसमें कहा गया है कि पिछले छह महीनों में धानमंडी-32 स्थित घर पर कोई हमला या तोड़फोड़ नहीं हुई है।
इसमें कहा गया है, ‘जुलाई के विद्रोह के खिलाफ फरार शेख हसीना द्वारा भारत से दिए गए भड़काऊ बयानों से लोगों में गहरी नाराजगी पैदा हो गयी है, जो इस घटना में प्रकट हुयी है।’
बयान में कहा गया कि हसीना ने जुलाई के विद्रोह में अपने प्राणों की आहुति देने वालों का ‘अपमान और अनादर’ किया है और हसीना ने उसी लहजे में बात की, जैसा वह सत्ता में रहते हुए बोलती थीं, जिसमें उन्होंने जन-विद्रोह में शामिल सभी लोगों को धमकाया था।
इसमें कहा गया है, ‘सरकार को उम्मीद है कि भारत बांग्लादेश में अस्थिरता पैदा करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा और शेख हसीना को बोलने की इजाजत नहीं देगा। अंतरिम सरकार नहीं चाहती कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा हों।’
विदेश मंत्रालय ने इससे पहले भारत के उप उच्चायुक्त पवन बाधे के समक्ष विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि हसीना की ‘झूठी और मनगढ़ंत टिप्पणियां’ ढाका के खिलाफ ‘शत्रुतापूर्ण कार्रवाई’ हैं।
इसने भारत से ‘आपसी सम्मान और समझ की भावना से तुरंत उचित कदम उठाने को कहा, ताकि उनको (हसीना) भारत में रहते हुए सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों का उपयोग करके इस तरह के झूठे, मनगढ़ंत और भड़काऊ बयान देने से रोका जा सके।’
हसीना (77) पिछले वर्ष पांच अगस्त से भारत में रह रही हैं।
इस बीच केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि बांग्लादेश सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने से पहले कथित तौर पर किए गए अपराधों के लिए उनके प्रत्यर्पण की मांग की है।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, ‘बांग्लादेश सरकार को कोई जवाब नहीं दिया गया है।’
बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए विशाल विरोध प्रदर्शन के बाद वह बांग्लादेश से भारत आ गयी थीं। छात्रों के हिंसक आंदोलन की वजह से उनकी अवामी लीग के हाथों से सत्ता चली गयी थी।
बुधवार रात अपने भाषण में हसीना ने देशवासियों से वर्तमान शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध करने का आह्वान किया।
हसीना ने भावुक होते हुए कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने भी 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान इस घर को लूटा था, लेकिन इसे ध्वस्त नहीं किया था और न ही इसमें आग लगाई थी।
हसीना ने अपने पिता के घर को ध्वस्त किए जाने के दौरान कहा, ‘वे इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं… लेकिन उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है।’
उन्होंने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए कहा, ‘उनके पास अब भी राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस स्वतंत्रता को बुलडोजर से नष्ट करने की ताकत नहीं है, जिसे हमने लाखों शहीदों के जीवन की कीमत पर अर्जित किया है।’
धानमंडी में रोड 5 पर हसीना के दिवंगत पति वाजेद मियां के आवास (जिसे ‘सुधा सदन’ के नाम से जाना जाता है) को भी प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी।
ढाका में हुई कार्रवाई ने बांग्लादेश के अन्य भागों में भी इसी प्रकार की घटनाओं को बढ़ावा दिया।
प्रदर्शनकारियों ने खुलना शहर में उनके चचेरे भाइयों (शेख हेलाल उद्दीन और शेख सलाउद्दीन ज्वेल) के घर को ध्वस्त कर दिया। हजारों लोग घर के आसपास जमा हो गए और नारे लगाने लगे।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने ढाका विश्वविद्यालय के बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान हॉल से शेख मुजीबुर रहमान का नाम हटा दिया।
चटगांव में प्रदर्शनकारियों ने कल रात मशाल जुलूस निकालकर हसीना के भाषण के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसे बांग्लादेश आवामी लीग के सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रसारित किया गया था।
प्रदर्शनकारियों ने मेमनसिंह शहर में सर्किट हाउस मैदान के पास तथा त्रिशाल में राष्ट्रीय कवि काजी नजरूल इस्लाम विश्वविद्यालय में शेख मुजीबुर रहमान के भित्तिचित्रों को भी तोड़ दिया।
कुश्तिया-3 के पूर्व विधायक और अवामी लीग के संयुक्त महासचिव महबुबुल आलम हनीफ व कुश्तिया अवामी लीग के अध्यक्ष सदर खान के घरों में भी तोड़फोड़ की गई।
प्रदर्शनकारियों ने रंगपुर स्थित बेगम रोकैया विश्वविद्यालय में शेख मुजीबुर रहमान के भित्तिचित्र को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
यह उत्पात तब शुरू हुआ जब भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेता हसनत अब्दुल्ला ने अपने सत्यापित ‘फेसबुक’ अकाउंट पर लिखा: ‘आज रात, बांग्लादेश को फासीवाद के तीर्थस्थल से मुक्ति मिल जाएगी।’
यूनुस के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘शहीद की मौत के संबंध में अप्रासंगिक, अश्लील और घृणित टिप्पणी करके फरार शेख हसीना ने जुलाई में हुए विद्रोह का अनादर और अपमान किया है।’
इसमें कहा गया है कि जुलाई के नरसंहार से लोगों के मन में जो घाव हुए हैं, हसीना उन पर एक के बाद एक प्रहार कर रही हैं और ‘उनके हिंसक व्यवहार के जवाब में हाउस-32 में तोड़फोड़ की घटना हुई है।’
बयान में कहा गया है कि अंतरिम सरकार लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सतर्क है और अगर हसीना बयान देने से बचेंगी तो भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।
इसमें कहा गया कि अंतरिम सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जुलाई नरसंहार के अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाया जाए।
इसमें कहा गया है, ‘सरकार इस बात पर विचार करेगी कि भड़काऊ गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।’
इससे पहले विदेश मामलों के सलाहकार एम तौहीद हुसैन ने हसीना के हालिया बयानों को ‘अत्यधिक आक्रामक’ बताते हुए कहा कि इनसे युवा पीढ़ी की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
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शुभम प्रशांत
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