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Sunday, 22 December, 2024
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मोदी सरकार की शिक्षा नीति का विरोध करना बीएचयू के छात्रों को पड़ा भारी, चुन-चुन कर भेजा गया नोटिस

मोदी सरकार की नीतियों का जुलूस निकालकर विरोध करना बीएचयू के छात्रों को भारी पड़ा है. विरोध करने की वजह से बीएचयू के कुल नौ छात्र-छात्राओं को बीएचयू प्रशासन की तरफ से नोटिस मिला है.

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वाराणसी/ बीएचयू: मोदी सरकार की नीतियों का जुलूस निकालकर विरोध करना बीएचयू के छात्रों को भारी पड़ा है. विरोध करने की वजह से बीएचयू के कुल नौ छात्र-छात्राओं को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) प्रशासन की तरफ से नोटिस मिला है. नोटिस में छात्रों पर एक्शन लेने और कारवाई करने की मांग की गई है.

बीएचयू प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ छात्रों ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपना विरोध दर्ज किया, और बीएचयू प्रशासन पर नोटिस देकर डराने का आरोप भी लगाया.

बात दें बीते 19 नवम्बर 2019 को जेएनयू में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्रों के ऊपर हुई लाठीचार्ज के विरोध में ‘नरेंद्र मोदी शिक्षा विरोधी’ के बैनर तले बीएचयू के कुछ छात्रों ने विश्वनाथ मंदिर से लंका गेट तक मार्च किया था. जिसके बाद जनवरी में छात्रों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए बीएचयू प्रशासन ने 9 लोगों को नोटिस जारी कर दिया है. छात्रों का कहना है छात्र-छात्राओं को नोटिस में गुमराह बताया गया है और चिन्हित लोगों को ही नोटिस दिया है.


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बीएचयू के छात्र और ‘भगत सिंह छात्र मोर्चा’ के सदस्य विश्वनाथ कहते हैं कि, ‘नरेंद्र मोदी, शिक्षा विरोधी’ बैनर तले निकाले गए इस मार्च में भगतसिंह छात्र मोर्चा समेत कई संगठनों के छात्र-छात्राएं शामिल थे. जुलूस विश्वनाथ मंदिर से निकलकर लंका गेट तक गया था. लेकिन इस मार्च का संज्ञान प्रशासन ने जनवरी में लिया. विश्वनाथ ये भी बताते हैं कि, ‘बीएचयू प्रशासन ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए 9 छात्रों को नोटिस जारी कर दिया.’

बीएचयू की एक अन्य छात्रा आकांक्षा बताती है कि, ‘बीएचयू प्रशासन द्वारा दिए गए नोटिस में छात्र-छात्राओं को गुमराह बताया गया है.’ आकांक्षा ये भी कहती हैं कि, ‘जिन छात्र-छात्राओं को निशाना बनाकर नोटिस दिया गया है वे सभी विश्वविद्यालय के होनहार छात्र-छात्राएं हैं और बीएचयू प्रशासन की गलत नीतियों के खिलाफ मुखर रहते हैं.’

बीएचयू के छात्र नीतिश कुमार बताते हैं कि, ‘इस नोटिस में 6 ऐसे छात्र-छात्राओं का नाम भी शामिल हैं जिनहोने सितंबर में 8 दिनों का भूख हड़ताल किया था. नीतिश समते कई छात्र-छात्राओं ने यह भी बताया कि अगर इस तरह लोगों को टारगेट करके हमला किया जाता रहा तो हम सभी वाइस चांसलर का घेराव करेंगे.’

नीतिश कुमार यह भी बताते हैं कि, ‘जो छात्र-छात्राएं बीएचयू में अराजकता और तोड़-फोड़ करते हैं प्रशासन उनको कोई नोटिस नहीं देता है. उल्टा उन्हें प्रशासन की शह मिलती रही है.’

नवंबर महीने की एक घटना को याद करते हुए विश्वनाथ कुमार कहते हैं कि, ’19 नवम्बर के मार्च के दौरान भी एबीवीपी के पतंजलि पांडेय और अरुण चौबे सहित अन्य ने शांतिपूर्ण मार्च में शामिल लड़के-लड़कियों पर हमला किया था. उनके साथ गाली गलौज और धक्का मुक्की की थी. लेकिन प्रशासन ने उनको कोई नोटिस नहीं दिया.’


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बीएचयू की छात्रा आयुषी भूषण कहती हैं कि, ‘हम उस प्रोटेस्ट में शामिल भी नहीं थे फिर भी मेरे नाम से नोटिस मिला है.’

जिन छात्र-छात्राओं को नोटिस मिला है उनका कहना है कि, ‘हम सब दुर्भावनापूर्ण असंवैधानिक नोटिस से डरने वाले नहीं हैं. बीएचयू देश के संविधान के ऊपर नहीं है और हम सभी संविधान के अनुसार काम करने वाले संगठन हैं.’

बीएचयू रजिस्ट्रार नीरज त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने बात नहीं की, इसके बाद जब इस विषय पर बीएचयू प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई लेकिन जवाब नहीं मिला. बीएचयू के जनसम्पर्क अधिकारी से कई बार बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने भी व्यस्तता बताते हुए बात नहीं की. मैसेज करने पर भी कोई जवाब नहीं दिया है.

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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