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Wednesday, 20 November, 2024
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खालिस्तान समर्थक आतंकवादी, भारत का मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर: कौन था हरविंदर सिंह रिंदा?

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा की मौत में आईएसआई की भूमिका होने का संदेह है. खबरों के मुताबिक, शनिवार को शरीर के अंगों के फेल हो जाने के कारण पाकिस्तान के एक अस्पताल में उसका निधन हो गया.

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नई दिल्ली: मई में मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर आरपीजी हमले का कथित रूप से मास्टरमाइंड  माने जाने वाले और गैंगस्टर से खालिस्तान आतंकवादी बने 35 वर्षीय हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा की हाल ही में पाकिस्तान में मौत हो गई है.

हालांकि, उसकी मौत के बारे में आई खबरों से पता चलता है कि शनिवार को पाकिस्तान के एक अस्पताल में ऑर्गन फेलियर (शरीर के अंगों का काम करना बंद कर देना) के कारण रिंदा की मौत हो गई थी, लेकिन भारतीय खुफिया सूत्रों का कहना है कि उसे जहर दिया गया था. खुफिया सूत्रों को यह भी संदेह है कि उसकी मौत में पाकिस्तान की ख़ुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की भूमिका है. इस बीच, दिल्ली-हरियाणा-राजस्थान क्षेत्र के इलाके में सक्रिय रहने वाले बंबीहा गिरोह ने भी रिंदा की हत्या की जिम्मेदारी ली है, हालांकि जानकार सूत्रों ने उसके इन दावों को खारिज कर दिया है.

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार रिंदा, जो कुछ साल पहले पाकिस्तान चला गया था, के बारे में माना जाता है कि वह खालिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़ा हुआ था. रिंदा, जिसके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, शस्त्र अधिनियम, और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं, भारत के मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टरों में से एक था.

इंटरपोल ने इस साल जून में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. इधर, एनआईए ने उस पर 10 लाख का इनाम घोषित कर रखा था. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इस साल मार्च में पंजाब के नवांशहर में सीआईए (क्राइम इंवेस्टिगेटिंग ऑफिस)ऑफिस पर हैंड ग्रेनेड से हुए हमले और रूपनगर में एक पुलिस चौकी के बाहर हुए हमले के पीछे भी रिंदा का हाथ है. यह भी माना जा रहा है कि वह लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट में भी शामिल था.


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अपराधों की लंबी फेहरिस्त

मूल रूप से पंजाब के तरनतारन जिले के रत्तोके गांव का रहने वाला रिंदा 11 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र आ गया था. पुलिस के अनुसार, खूंखार ‘गैंगस्टर से आतंकवादी बने’ इस शख्स ने 18 साल की उम्र में ही पारिवारिक विवाद को लेकर कथित तौर पर अपने एक रिश्तेदार की हत्या कर दी थी. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 35 वर्षीय रिंदा ने इसके बाद से ही कथित रूप से जबरन वसूली का रैकेट चलाना शुरू कर दिया और महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब में व्यापारियों से लूटपाट करने लगा.

रिंदा के आपराधिक डोजियर के अनुसार, रिंदा उसके अपराध करने तौर-तरीकों में उन लोगों को निशाना बनाना शामिल था जिनके साथ उसकी और उनके सहयोगियों की दुश्मनी रही हो,  या जो उसके और उसके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में गवाह रहे हों. रिंदा कथित रूप से कनाडा में रह रहे गैंगस्टर लखबीर सिंह उर्फ लंदा हरिके के साथ मिलकर नशीले पदार्थों की तस्करी में भी शामिल था और माना जाता है कि वह सीमा पार से हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी करता रहता था. सूत्रों के मुताबिक, रिंदा ने देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पंजाब और हरियाणा के युवाओं को भर्ती किया था.

डोजियर के अनुसार, चंडीगढ़ पुलिस ने रिंदा ने विवेक पंडित हत्याकांड (2016), देसराज सिंह हत्याकांड (2017) और होशियारपुर सरपंच सतनाम सिंह (2017) की हत्या में वांछित घोषित कर रखा था. रिंदा पर साल 2016 में पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) में हुई गोलीबारी की घटना में कथित रूप से शामिल होने का भी आरोप है.

इससे पहले उसने साल 2014 में पटियाला सेंट्रल जेल के जेल कर्मचारियों पर हमला किया था और पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उसने पीयू के छात्र के रूप में सेक्टर 11 पुलिस स्टेशन, चंडीगढ़ के स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) को भी धमकी दी थी. इस साल जून में नांदेड़ में एक बिल्डर संजय बियानी की हत्या के पीछे भी रिंदा  का हाथ होने का संदेह है. साल 2018 में गायक परमीश वर्मा पर हुए हमले में भी वह कथित रूप से दिलप्रीत सिंह बाबा के साथ मिलकर शामिल था.

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का मास्टरमाइंड और साल 2015 के बेअदबी वाले मामले में आरोपी रहे प्रदीप कुमार की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले कनाडा के गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को भी रिंदा का ही सहयोगी माना जाता है.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, रिंदा पहले नेपाल के रास्ते भारत से भाग गया था और फिर साल 2020 में वह एक फर्जी पासपोर्ट पर पाकिस्तान पहुंच गया. माना जाता है कि उसके बाद से ही उसे इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का समर्थन और आश्रय प्राप्त था.

(अनुवाद: रामलाल खन्ना | संपादन: हिना फ़ातिमा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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