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Tuesday, 25 November, 2025
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दिशासूचक प्रणाली में निजी क्षेत्र की भागीदारी से विकसित भारत के दृष्टिकोण को बल मिलेगा : इसरो प्रमुख

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तिरुवनंतपुरम, 25 नवंबर (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने मंगलवार को कहा कि वह निजी कंपनियों को अंतरिक्ष यान और रक्षा क्षेत्र के लिए दिशासूचक प्रणाली बनाने के जटिल काम में आगे आते देखकर प्रसन्न हैं।

उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों के प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि दिशासूचक प्रणालियां अत्यधिक जटिल और महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें इसरो अकेले विकसित नहीं कर सकता।

नारायणन ने कहा, ‘जब हम विकसित भारत 2047 की बात करते हैं, तो यह सुनिश्चित करना हमारी ज़िम्मेदारी है कि किसी भी तरह के आयात की आवश्यकता न पड़े। दिशासूचक प्रणालियां बनाने का काम बहुत ही महत्वपूर्ण है, और इसरो अकेले इसे विकसित नहीं कर सकता। इसलिए मुझे बेहद खुशी है कि तिरुवनंतपुरम में अनंत टेक्नोलॉजीज़ ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया है।’

वह यहां किनफ्रा पार्क में हैदराबाद स्थित अनंत टेक्नोलॉजीज द्वारा नेविगेशन में उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन करने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। अनंत टेक्नोलॉजीज इसरो, डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और ब्रह्मोस जैसे संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही कंपनी है।

भारत अंतरिक्ष अभियानों और मिसाइल एवं रक्षा प्रणालियों, दोनों के लिए आयातित दिशासूचक तकनीक पर बहुत अधिक निर्भर रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीक के स्वदेशी विकास से लागत में काफ़ी कमी आएगी।

इसरो अध्यक्ष ने कहा, ‘विकास के स्तर पर, लागत अन्य देशों के बराबर होगी, क्योंकि केवल एक या दो इकाइयां ही बनाई जाती हैं, और इसमें बहुत सारा काम शामिल होता है। लेकिन उत्पादन के चरण में, मेरा मानना ​​है कि लागत में भारी गिरावट आएगी।’

भारत के महत्वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, गगनयान के बारे में अद्यतन जानकारी के संबंध में नारायणन ने कहा कि अब तक 8,000 परीक्षण पूरे हो चुके हैं।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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