श्रीनगर : श्रीनगर के स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने के कारण प्राइवेट स्कूलों ने इससे निपटने के लिए नया तरीका इजाद किया है. शहर के कई प्राइवेट स्कूल बच्चों को सीडी के जरिए शिक्षण सामग्री भेज रहे हैं. यह तरीका इसलिए अपनाया जा रहा है ताकि बच्चों की पढ़ाई न रुके.
अनुच्छेद-370 के हटाए जाने के बाद से ही श्रीनगर के स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो गई है. सरकार ने राज्य के कई इलाकों में परिहन पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे आम जनजीवन काफी प्रभावित हो गया था लेकिन प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भी बच्चों के परिवार वाले उन्हें स्कूल जाने से रोक रहे हैं.
स्कूल के एक टीचर ने दिप्रिंट को बताया कि क्लास चल नहीं पा रही है. इसलिए हम सीडी बनाकर बच्चों के बीच बांट रहे हैं. बच्चे अपने परिवार वालों के साथ स्कूल आ रहे हैं और सीडी लेकर वापस अपने घर चले जा रहे हैं. इस तरह उन्हे पढ़ाई में सहायता मिल रही है.
सोनवार स्थित बर्न हॉल ब्वॉयज स्कूल और श्रीनगर स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने इस तरह की कोशिश की है.
वहीं इससे इतर सरकारी स्कूल राज्य में स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने दावा किया है कि राज्य में 4 हज़ार से भी ज्यादा स्कूल खुल गए हैं और वहां पढ़ाई शुरू हो गई है. दिप्रिंट ने जब कई स्कूलों के प्रशासनिक डिपार्टमेंट से बात की तो पता चला कि 10वीं, 11वीं और 12वीं के स्कूल बच्चों के बोर्ड के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए स्कूल खुले थे.
एक टीचर ने कहा, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तह तक हम स्कूल में क्लास शुरू नहीं कर सकते. हमने स्कूल खोले और 10वीं, 11वीं और 12वीं के बच्चों को बोर्ड के लिए रजिस्ट्रेशन कराने को कहा था.
कई संस्थानों ने सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए बच्चों को सलाह दी है कि वो सामान्य कपड़ों में ही स्कूल आए.
7 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल गईं लेकिन निराश होकर वापस लौटीं
10वीं में पढ़ने वाली ज़ीनत जो कि श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं वो काफी गुस्से में और निराश हैं. वह 7 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल गईं लेकिन निराश होकर ही वापस लौटना पड़ा. उसका स्कूल खुला हुआ था लेकिन वहां कक्षाएं नहीं चल रही थीं. बच्चों को वापस घर भेज दिया जा रहा है. प्राइवेट स्कूल के बच्चों की तरह सरकारी स्कूल के बच्चों को सीडी की सुविधा नहीं मिल रही है.
जीनत ने बताया कि स्कूल के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है. टीवी बता रहा है कि स्कूल खुले हैं लेकिन वहां जाकर पता चलता है कि कक्षाएं नहीं चल रही है. जीनत ने बताया कि ट्यूशन सेंटर भी बंद हैं. दो दिन पहले हम सेंटर पर गए थे लेकिन वो बंद पड़ा था. इमारत के बाहर पोस्टर लगा हुआ था कि बहुत जल्द ही सेंटर खुल जाएगा.
जीनत की दोस्त ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हमें सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. हम राजनीति के कारण क्यों प्रभावित हों. क्या सरकार हमें आश्वासन दे सकती है कि हम कब अपनी परीक्षाएं दे पाएंगे और कब तक पढ़ाई के लिए माकूल वातावरण बन पाएगा.
महज 48 फीसदी सिलेबल पूरा हुआ है
जम्मू-कश्मीर के अधिकारी के मुताबिक 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास के बच्चों का महज 48 फीसदी सिलेबस ही पूरा हुआ है. अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में परीक्षा होने वाली है.
जो भी बच्चे बोर्ड के लिए पंजीकरण कराने आए थे वो अपने अध्यापकों से कई सवाल पूछ रहे थे. इनके सवाल थे कि स्कूल कब से खुलेंगे और कब तक सिलेबस पूरा होगा लेकिन काफी सारे बच्चे बिना किसी उत्तर के ही वापस घर आ गए.
पंजीकरण पूरा नहीं हो पाया है
एक लड़की जो अपने क्लास की टॉपर रह चुकी है उसे उसके भाई ने जब बताया कि स्कूल में पंजीकरण चल रहा है तब वो वहां गई. लेकिन जब वो वहां गई तो उसे सीआरपीएफ का जवान मिला. उसे बताया गया कि पंजीकरण की आखिरी तारीख 8 अगस्त थी. अगर वह सही समय पर पंजीकरण नहीं कराती तो मेरा पूरा साल खराब होता.
सरकारी गर्ल्स सीनियर स्कूल के एक स्टाफ ने बताया कि कानून व्यवस्था सुधरने तक स्कूल नहीं खुलेंगे. स्कूल के स्टाफ ने दिप्रिंट को बताया कि 13 अगस्त तक सभी स्कूल को पंजीकरण पूरी करना था लेकिन अभी तक 50 फीसदी काम ही पूरा हो पाया है.
कालेज छात्रों के लिए भी मुश्किल समय
राज्य में सिर्फ स्कूल छात्र ही नहीं बल्कि कालेज के छात्र भी परेशानी का सामना कर रहे हैं. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी काफी मुश्किल समय है. छात्र सही समय पर फार्म नहीं भर पा रहे हैं.
कुछ छात्र जो गेट की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं इंटरनेट कनेक्शन बंद होने के कारण उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
पुलवामा के इस्लामिक युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी के छात्र अब्दुल वारिस ने सोमवार को कमिश्नर के दफ्तर जाकर गुहार लगाई कि छात्रों के लिए कुछ किया जाए.
अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर हनीफ बल्खी ने वारिस को आश्वासन दिया कि प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए कमिश्नर दफ्तर के बाहर ही बूथ की व्यवस्था की जाएगी.
बल्खी ने दिप्रिंट को बताया, छात्रों की दिक्कतें असली हैं. हम छात्रों के लिए उचित व्यवस्था करेंगे.
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