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Tuesday, 19 November, 2024
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बिहार में प्रधानमंत्री की सांसद आदर्श ग्राम योजना की रफ्तार धीमी

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( प्रमोद कुमार )

पटना, 25 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की रफ्तार बिहार में धीमी नजर आ रही है क्योंकि राज्य के 40 लोकसभा सदस्यों में से 27 ने योजना के दूसरे चरण में किसी भी गांव को गोद नहीं लिया है।

राज्य ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 2019 से 22 के बीच के संकलित आंकड़ों के अनुसार 40 लोकसभा सदस्यों में से 27 ने इस योजना के दूसरे चरण में किसी भी गांव को गोद नहीं लिया है।

इसके अलावा राज्य में एक को छोड़कर किसी भी राज्यसभा सदस्य ने इस योजना के तहत किसी भी गांव को विकसित करने की जिम्मेदारी नहीं ली है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 11 अक्टूबर, 2014 को लोक नायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर नई दिल्ली में एसएजीवाई का शुभारंभ किया था। मार्च 2019 तक तीन आदर्श ग्राम विकसित करने का लक्ष्य था जिसे 2016 तक हासिल किया जाना था। उसके बाद ऐसे पांच आदर्श ग्राम (प्रति वर्ष एक) को 2024 तक चुना और विकसित किया जाना था।

एसएजीवाई एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम है जिसके तहत गांवों में विकास पर ध्यान केंद्रित करना होता है जिसमें सामाजिक विकास, सांस्कृतिक विकास और ग्रामीण समुदाय के सामाजिक जुड़ाव को लेकर लोगों को जागरुक किया जाना शामिल है।

बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैंने राज्य के सभी 35 लोकसभा सदस्यों और उच्च सदन के 14 सदस्यों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे एसएजीवाई (2019-2024) के तहत गोद लेने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों के गाँव की पहचान करें और सूचित करें ताकि परियोजना जल्दी शुरू की जा सके। मैंने राज्य के सांसदों को ताजा पत्र 14 मार्च को भेजा है।’’

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय नोडल एजेंसी है जो एसएजीवाई ग्राम पंचायतों के क्रियान्वयन की निगरानी करती है। राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे क्रियान्वयन प्रक्रिया की समीक्षा करने और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच योजनाओं का निर्बाध अभिसरण सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (एसएलईसी) की बैठकें आयोजित करें।

बिहार ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार राज्य के 27 लोकसभा सदस्य जिन्होंने अब तक एक भी गाँव को गोद नहीं लिया है उनमें जदयू के सुनील कुमार (वाल्मीकि नगर), दिलेश्वर कामत (सुपौल) एवं कौशलेंद्र कुमार (नालंदा), भाजपा के संजय जायसवाल (पश्चिम चंपारण), राधा मोहन सिंह (पूर्वी चंपारण), रमा देवी (शिवहर), अशोक कुमार (मधुबनी) और प्रदीप कुमार (अररिया) आदि शामिल हैं।

संपर्क करने पर भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में एसएजीवाई योजना के तहत विकास के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र के एक गांव को गोद लेकर राज्य के ग्रामीण विकास विभाग को सूचित किया है। मुझे नहीं पता कि राज्य सरकार द्वारा संकलित आंकड़ों में इसका उल्लेख क्यों नहीं है।’’

जायसवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह सच है कि पिछले दो-तीन वर्षों में मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में एसएजीवाई योजना के तहत किसी भी गांव को गोद नहीं ले सका क्योंकि मेरी बिहार सरकार के संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत नहीं हो पायी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एसएजीवाई एक महत्वपूर्ण योजना है जिसका उद्देश्य महात्मा गांधी द्वारा परिकल्पित आदर्श भारतीय गांवों को प्राप्त करना है।’’

नालंदा से जदयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘यह सच है कि मैं 2019-24 की योजना के तहत अपने निर्वाचन क्षेत्र के किसी भी गांव को गोद नहीं ले सका। मुझे अभी तक इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है। इस योजना के तहत विकसित किए जाने वाले गांव का नाम जल्द ही राज्य सरकार को भेजूंगा।’’

आंकड़ों से पता चलता है कि निचले सदन के केवल पांच सदस्य जदयू के रामप्रीत मंडल (झंझारपुर) एवं चंदेश्वर प्रसाद (जहानाबाद), भाजपा के अजय निषाद (मुजफ्फरपुर), एवं राजीव प्रताप रूडी (सारण) तथा लोजपा की वीणा देवी (वैशाली) हैं जो 2019 से अपने-अपने क्षेत्रों में एसएजीवाई के तहत नियमित रूप से गांवों को गोद ले रहे हैं।

भाषा अनवर अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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