नई दिल्ली: मंगलवार दोपहर को एयरलाइन विस्तारा को बुकिंग के लिए एक असामान्य अनुरोध मिला- उस शाम दिल्ली से चंडीगढ़ की उड़ान संख्या यूके-637 की सीट संख्या 3ई पर ‘मिस्टर बैलट बॉक्स’ बैठे होंगे.
अगले कुछ घंटों में, कुछ दूसरी एयरलाइन्स को भी इसी नाम के आरक्षण के लिए अनुरोध मिले, जो बेंगलुरू, हैदराबाद, गुवाहाटी, पुदुचेरी, और दूसरे कई गंतव्यों तक का सफर करेंगे.
ये वो मतपेटियां हैं जो राष्ट्रपति चुनावों में इस्तेमाल की जानी हैं, जो 18 जुलाई को होने जा रहे हैं. भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सांसद, और राज्यों तथा केंद्र-शासित क्षेत्रों के विधायक शामिल होते हैं.
नई दिल्ली स्थित एक वरिष्ठ ईसीआई अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, कि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को राज्य-स्तरीय चुनाव अधिकारियों के साथ 14 राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को मत पेटियां भेज दीं. पहली उड़ान जो चंडीगढ़ जा रही थी, मंगलवार शाम 5.10 बजे रवाना हो गई.
ज़ाहिर है कि इस साल उड़ान के दौरान मिस्टर बैलट बॉक्स का आराम एक प्राथमिकता रहा है. बीते सालों में वो अकसर उनकी निगरानी रखने वाले अधिकारियों के दस्ती सामान के तौर पर यात्रा करते थे. लेकिन इस साल आयोग ने उनके लिए आने-जाने के टिकट बुक कराए हैं.
दिप्रिंट ने मंगलवार तो ऐसे तीन फ्लाइट टिकट्स देखे, जो ‘मिस्टर बैलट बॉक्स’ नाम के व्यक्तियों के लिए बुक थे. ये हमेशा ‘मिस्टर’ होता है कभी ‘मिस’ नहीं होता. आरक्षण के ब्योरे से आभास होता है कि यात्री को इकॉनमी क्लास में सफर करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उसे अगली पंक्ति चाहिए जिसमें आमतौर पर पैरों के लिए ज़्यादा जगह होती है. ईसीआई अधिकारी ने कहा, ‘इसके पीछे कुछ और नहीं बल्कि सिर्फ सुरक्षा कारण हैं’.
18 जुलाई के मतदान के बाद 24 घंटों के अंदर उन्हें नई दिल्ली लौटना है. 21 जुलाई को जब मतों की गिनती होगी, तो पेटियां ये तय करने में एक अहम भूमिका निभाएंगी, कि राष्ट्रपति भवन की अगली निवासी द्रौपदी मुर्मू होंगी या यशवंत सिन्हा.
चुनाव अधिकारी मत पेटियों के बग़ल वाली सीट पर बैठेंगे. ऊपर हवाला दिए गए अधिकारियों के अनुसार, अधिकारियों को मतपत्रों के परिवहन और साथ में मतों का निशान लगाने के लिए, विशेष पेन ले जाने का ज़िम्मा सौपा गया है.
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मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में ईसीआई ने कहा, ‘राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में बैलट बॉक्स एक अहम भूमिका निभाते हैं- ये कोई मामूली बॉक्स नहीं हैं, चूंकि इनके भीतर विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र के सर्वोच्च ऑफिस का भाग्य बंद होता है. इसलिए इस प्रक्रिया में इन पेटियों के परिवहन, स्टोरेज, और इस्तेमाल में विशेष एहतियात बरतना लाज़िमी होता है. ख़ासकर राष्ट्रपति चुनाव के संचालन लिए इस प्रक्रिया में, मत पेटी के हर राज्य की राजधानी तक पहुंचने की एक आकर्षक यात्रा भी शामिल होती है’.
उसमें आगे कहा गया: ‘परिवहन के दौरान मतपेटियां एक अलग हवाई टिकट पर सफर करती हैं, जो ‘मिस्टर बैलट बॉक्स’ के नाम से बुक होता है, और इन्हें विमान की पहली पंक्ति में उस अधिकारी के बग़ल में बिठाया जाता है, जो अपनी निगरानी में इस सामग्री को ले जा रहा होता है’.
ऊपर हवाला दिए गए अधिकारी ने आगे कहा, ‘आयोग ने ये विशेष अधिकार नागरिक उड्डयन प्राधिकारियों से 1969 में हासिल किया था. स्टील की पतपेटी को एक लकड़ी के डब्बे में ले जाया जाता है. ये डब्बे सिर्फ राष्ट्रपति चुनावों के लिए होते हैं, और पूरे साल आयोग की कस्टडी में रहते हैं. राष्ट्रपति चुनावों के बाद जब ये पेटियां दिल्ली आ जाती हैं, तो वो संसदीय सुरक्षा और दिल्ली पुलिस की ज़िम्मेदारी बन जाती हैं’.
राज्य विधान सभाओं के सचिवों को अकसर राष्ट्रपति चुनावों के लिए सहायक निर्वाचन अधिकारी (एआरओ) नियुक्त किया जाता है. एआरओ या उनके प्रतिनिधि आमतौर पर मतपेटियों की उड़ानों में उनके साथ जाते हैं.
ईसीआई अधिकारी ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए एक अलग नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाता है, जो हर क़दम पर पेटियों के साथ चल रहे अधिकारियों का मार्गदर्शन करता है. उन्होंने आगे कहा कि इस अस्थायी नियंत्रण कक्ष में चुनाव आयोग, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के अधिकारी तैनात रहते हैं.
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