( उज्मी अतहर )
नयी दिल्ली, पांच जुलाई (भाषा) भारत को मैला ढोने की प्रथा से मुक्त घोषित करने की सरकार की समयसीमा करीब आ रही है, लेकिन देश के 246 जिलों ने अभी तक अपने क्षेत्र में इस अमानवीय प्रथा के खात्मे की घोषणा नहीं की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय निगरानी समिति की आठवीं बैठक में इस मामले पर चर्चा हुई।
बैठक में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, कुल 766 में से 520 जिलों ने अपने अधिकार क्षेत्र में मैला ढोने की प्रथा समाप्त होने की घोषणा कर दी है, लेकिन 246 जिलों ने अभी रिपोर्ट जमा नहीं की है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मैं संबंधित राज्यों से अनुरोध करता हूं कि वे हमें एक रिपोर्ट सौंपें क्योंकि हम अगस्त 2023 तक भारत को मैला ढोने की प्रथा से मुक्त घोषित करने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
उन्होंने कहा कि राज्यों को या तो अपने सभी जिलों को मैला ढोने से मुक्त घोषित करना होगा या मौजूदा अस्वच्छ शौचालयों व मैला ढोने वालों, यदि कोई हो, को अपने साथ संबद्ध करना होगा, ताकि मैला ढोने वालों के लिए अपेक्षित पुनर्वास लाभ में वृद्धि की जा सके और स्वच्छ भारत मिशन के तहत अस्वच्छ शौचालयों को स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित किया जा सके।
मंत्रालय ने कहा कि राज्यों/जिलाधिकारियों और जिला मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट सौंपने के लिए अब तक 20 बार याद दिलाया गया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सभी राज्यों/जिलों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने जिले को मैला ढोने से मुक्त घोषित करें। आज तक, देश के 766 जिलों में से 520 इसकी पुष्टि कर चुके हैं। समिति को शेष जिलों से जानकारी मांगने के लिए कहा गया है।”
मध्य प्रदेश में, 52 में से 35 जिलों ने रिपोर्ट जमा नहीं की है, जबकि महाराष्ट्र में 36 में से 21 जिलों ने अभी तक खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित नहीं किया है।
आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सफाई कर्मचारियों के लिए राज्य आयोग नहीं है।
मैला ढोने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत देश में मैला ढोने पर प्रतिबंध है। अधिनियम के तहत राज्य सफाई कर्मचारी आयोग, राज्य निगरानी समितियों और जिला सतर्कता समितियों का गठन आवश्यक है।
अधिकारी ने कहा, “हमें विभिन्न राज्यों से रिपोर्ट मिली है कि आज तक, इनमें से कई समितियां वहां स्थापित नहीं की गई हैं। मैं इन राज्यों से इस मामले पर गौर करने और यह देखने का अनुरोध करता हूं कि ये समितियां मौजूद हैं या नहीं।”
अधिकारी ने यह भी बताया कि देश में सीवर में घुसने पर 1,056 लोगों की मौत हुई है और 931 लोगों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है, जबकि 42 लोगों को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है।
भाषा जोहेब अर्पणा
अर्पणा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.