नई दिल्ली:अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने मंगलवार को बहस के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से प्रशांत भूषण को माफ करने का आग्रह किया, जो अपने ट्वीटों के लिए बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर रहे हैं.
वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि भूषण को ‘सभी बयान वापस लेने चाहिए और खेद प्रकट करना चाहिए.’
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय से मंगलवार को आग्रह किया कि अदालत की अवमानना मामले में उनकी दोषसिद्धि निरस्त की जानी चाहिए और शीर्ष अदालत की ओर से ‘स्टेट्समैन जैसा संदेश’ दिया जाना चाहिए.
मामला न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो ट्वीटों से जुड़ा है.
पीठ ने 20 अगस्त को भूषण को सोमवार तक का समय दिया था और कहा था कि उन्हें अपने ‘अवमाननाकारी बयान’ पर पुनर्विचार करना चाहिए तथा अवमाननाजनक ट्वीटों के लिए ‘बिना शर्त माफी’ मांगनी चाहिए.
न्यायालय ने भूषण की सजा के मुद्दे पर सुनवाई पूरी कर ली. पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं.
भूषण की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ से कहा, ‘यद्यपि अटॉर्नी जनरल ने भूषण को फटकार लगाने का सुझाव दिया है, लेकिन यह भी बहुत ज्यादा हो जाएगा. प्रशांत भूषण को शहीद न बनाएं. ऐसा नहीं करें. उन्होंने कोई हत्या या चोरी नहीं की है.’
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धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए कहा कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए और शीर्ष अदालत की ओर से ‘स्टेट्समैन जैसा संदेश दिया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘मैं दो सुझाव देता हूं. दोषिसिद्धि के निर्णय को निरस्त किया जाना चाहिए और कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए. मैं अपने मुवक्किल की ओर से बयान दे रहा हूं.’
भूषण के बयानों और माफी मांगने से उनके इनकार का जिक्र करते हुए पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि गलती सभी से होती है, लेकिन ये स्वीकार की जानी चाहिए और भूषण इन्हें स्वीकार करने की इच्छा नहीं रखते.
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहिष्णुता का भाव रखना चाहिए. हम आपसे (वकीलों) अलग नहीं हैं. हम भी बार से आए हैं. हम आलोचना के लिए तैयार हैं, लेकिन हम जनता में नहीं जा सकते.’
आगामी दो सितंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘हम किसी के प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखते. यह मत सोचो कि हम आलोचना सहन नहीं करते. बहुत सी अवमानना याचिकाएं लंबित हैं, लेकिन हमें बताइए कि क्या कभी उन्हें दंडित किया गया है. यह दुखद है कि ऐसी चीजें ऐसे समय हो रही हैं जब मैं सेवानिवृत्त होने जा रहा हूं.’
ट्वीटों को लेकर माफी न मांगने के रुख पर पुनर्विचार के लिए न्यायालय ने भूषण को 30 मिनट का समय दिया और बाद में भूषण को दी जाने वाली सजा पर धवन का रुख जानना चाहा.
उन्होंने कहा कि वह वेणुगोपाल के इस विचार से सहमत नहीं हैं कि भूषण को झिड़की लगाई जानी चाहिए क्योंकि यह काफी बड़ा दंड होगा और इसके अतिरिक्त यह कि, भूषण ने कोई हत्या या चोरी नहीं की है, तथा इस तरह की कोई भी सजा उन्हें ‘शहीद बनाने’ का काम करेगी.
भूषण के माफी मांगने से इनकार करने पर न्यायालय ने कहा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है.
वेणुगोपाल ने कहा कि मामले में न्यायाधीश तीसरा पक्ष हैं, जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं और अदालत ने उन्हें नहीं सुना है.
पीठ ने पूछा, ‘पहली बात तो यह है कि इस तरह के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं.’
इसने कहा कि न्यायाधीश स्वयं का बचाव नहीं कर सकते और यह अटॉर्नी जनरल हैं जिन्हें व्यवस्था की रक्षा करनी होगी.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘ऐसी झिड़की ठीक नहीं होगी कि दोबारा ऐसा न करें.’
शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को न्यायालय की अवमानना के मामले में भूषण को दोषी ठहराया था.
भूषण को इस मामले में छह महीने तक की साधारण सजा या दो हजार रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं.