नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में मेरठ में भड़की हिंसा में 5 लोगों की मौत होने के बाद शहर की दीवारों पर वांटेड लोगों के पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं.
पोस्टर पुलिस स्टेशन के बाहर होने के साथ कई इलाकों में हैं जिसमें उन लोगों की तस्वीर है जिन पर शुक्रवार को हुई हिंसा में शामिल होने का आरोप है. स्थानीय पुलिस द्वारा लगाए गए पोस्टर में लिखा हुआ है कि जो इन लोगों के बारे में जानकारी देगा उसे पुरस्कृत किया जाएगा.
मेरठ पुलिस ने कहा कि वो इन लोगों को पकड़ने के लिए कुछ भी करने से नहीं मानेंगे. पुलिस ने कहा, 172 लोगों पर लगभग 15 एफआईआर पहले ही हो चुकी है जिसमें से 43 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है.
जिन लोगों की हिंसा में मौत हो गई है उन पर पुलिस ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर कोई गोली नहीं चलाई है.
मेरठ के एसपी (क्राइम) राम अर्ज ने दिप्रिंट को बताया, पुलिस क्यों किसी पर गोली चलाएगी? वही लोग हैं जिन्होंने गोली चलाई. हमने प्रदर्शनकारियों की तरफ से गोली चलाने का मामला दर्ज किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने केवल एंटी-दंगा तंत्रों और आंसू गैस- रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया है.
वहीं पीड़ितों के परिवार वाले पुलिस पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. हिंसा भड़कने से पहले ही पुलिस ने मेरे पिता को गिरफ्तार कर लिया.
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हिंसा से पहले पुलिस ने मेरे पिता को गिरफ्तार किया
जोगी वाली गली में रहने वाले 65 वर्षीय मोहम्मद इकरार को पिछले शुक्रवार को 9:30 बजे गिरफ्तार किया गया था. उनके परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें दंगे भड़कने से पहले हीं हिरासत में ले लिया गया.
इकरार के बेटे मोहम्मद अबरार ने दिप्रिंट को बताया, जब वो सुबह बाज़ार में थें तो कुछ पुलिस वाले मोटरसाइकिल पर आए और उनका कॉलर पकड़ कर ले गए. जब हमने उनसे पूछा कि मेरे पिता को क्यों हिरासत में लिया है तो उन्होंने कहा कि वो दुकानों को बंद करने और हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं.
अबरार ने कहा कि उनके पिता पुलिस की हिरासत में थे जब शुक्रवार दोपहर हिंसा भड़की थी. इकरार अभी भी ब्रह्मपुरी पुलिस स्टेशन में हिरासत में ही हैं. अगर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं तो किसी अधिकारी की मौत क्यों नहीं हुई
अगर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर गोली चलाई तो किसी की मौत क्यों नहीं हुई
हिंसा में 29 वर्षीय आसिफ के मरने के चार दिन बाद उसके तीन बच्चे जिनकी उम्र क्रमश: 9,7 और 4 है, मानने से इंकार कर रहे हैं कि उनके पिता की मौत हो चुकी है. उनकी पत्नी इख्तारा ने कहा, वो कह कर गए थे कि वो सेब खरीदने जा रहे हैं और वापस आ जाएंगे. वह नहीं जानती कि उन्हें क्या कहूं.
रशीद नगर में आसिफ़ के घर के नज़दीक – जो कि काफी ज्यादा हिंसा का केंद्र बना – एक और घर है जिसने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य को खो दिया है.
ज़हीर अहमद (45) को उसके पिता ने गोली लगने के एक घंटे बाद घायल पाया था.
जहीर के पिता मुंशी अहमद ने दिप्रिंट को बताया, हमने पास के अस्पताल जाने की कोशिश की लेकिन उसकी रास्ते में हीं मौत हो गई. अहमद ने कहा कि पुलिस की बेरुखी ने मुझे परेशान कर दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि जब हम पुलिस स्टेशन गए तो उन्होंने कहा, तुम ही मार के लाए हो.
जहीर के बड़े भाई मोहम्मद शहिद जो कि पास में ही रहते हैं उन्होंने कहा, अगर वो कहते हैं कि प्रदर्शनकारियों ने गोलियां चलाई तो इसमें किसी पुलिस वाले की मौत क्यों नहीं हुई? सिर्फ नागरिकों की मौत क्यों हुई?
लोगों द्वारा आरोप लगाए जाने पर पुलिस ने कहा कि अगर उन्हें कोई आधिकारिक शिकायत मिलती है तो वो इसकी जांच कराएगी.
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‘हम रातभर जगते हैं सोते नहीं, कहीं पुलिस हमें उठा न ले जाए’
बाजार के केंद्र में घण्टा घर मंगलवार को सामान्य स्थिति में लौट रहा था. हालांकि, बाजार क्षेत्र में भारी पुलिस तैनाती देखी गई.
बाज़ार के दुकानदार ने दिप्रिंट को बताया कि हिंसा के कुछ समय बाद तक दुकानों को बंद किया गया था लेकिन अब स्थिति सामान्य नज़र आ रही है.
लेकिन शहर के छोटे हिस्सों में स्थिति सुचारू रूप से ठीक नहीं हो रही है, जहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई. रशीद नगर और फिरोज नगर में कई लोग गिरफ्तारी के डर में जी रहे हैं.
फिरोज़ नगर में रहने वाले 22 वर्षीय युवक ने कहा, हम सोते नहीं हैं. हम रात भर जगे रहते हैं और अपने घर के बाहर खड़े रहते हैं कि पुलिस देर रात आकर किसी को गिरफ्तार न कर लें.
यह पूछने पर कि अगर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आती है तो वो क्या करेंगे. युवक ने कहा, हम कोशिश करेंगे कि पुलिस को समझा सकें कि हम इन दंगों में शामिल नहीं थे.
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