अलप्पुझा (केरल), 16 मई (भाषा) माकपा के वरिष्ठ नेता जी. सुधाकरन के खिलाफ शुक्रवार को जनप्रतिनिधित्व कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। सुधाकरन ने हाल ही में दावा किया था कि 1989 के अलप्पुझा लोकसभा चुनाव के दौरान डाक मतपत्र खोले गए थे।
टीवी चैनलों पर प्रसारित एक कथित वीडियो में सुधाकरन को बुधवार को यहां पूर्व एनजीओ यूनियन नेताओं की एक सभा के दौरान विवादास्पद टिप्पणी करते हुए सुना जा सकता है।
एनजीओ यूनियन के एक कार्यक्रम के दौरान बुधवार को सुधाकरन द्वारा विवादास्पद खुलासा करने का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है।
इसके बाद निर्वाचन आयोग ने मामले की जांच शुरू की और बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने माकपा के वरिष्ठ नेता का बयान दर्ज किया।
इसके बाद, सुधाकरन ने बृहस्पतिवार को यहां एक अन्य कार्यक्रम में दावा किया कि उन्होंने जो पहले कहा था वह पूरी तरह सच नहीं था और उन्होंने अपनी “कल्पना” से उसमें कुछ अतिरिक्त बातें जोड़ दी थीं।
उन्होंने कहा, “ऐसा कभी नहीं हुआ। कोई मतपेटी नहीं खोली गई और न ही कभी मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की गई। मैंने कभी ऐसी किसी चीज में हिस्सा नहीं लिया और न ही कभी कोई फर्जी मतदान किया है।”
उन्होंने कहा, “मैंने फर्जी मतदान करने के लिए किसी को पैसे नहीं दिए हैं। उस दिन मैंने जो कुछ कहा था, उसका उद्देश्य केवल ऐसी गतिविधियां करने वालों को एक छोटी सी चेतावनी देना था और उन्हें यह बताना था कि हम जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं।”
पुलिस ने शुक्रवार को उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 128 (मतदान की गोपनीयता बनाए रखना), 135 (मतदान केंद्र से मतपत्रों को हटाना), 135ए (बूथ कैप्चरिंग) और 136 (अन्य अपराध और दंड) और भादंवि की धारा 465 (जालसाजी के लिए सजा), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
प्राथमिकी के अनुसार, यह कार्रवाई अलप्पुझा जिला पुलिस प्रमुख को जिला कलेक्टर, जो जिला निर्वाचन अधिकारी भी हैं, द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर की गई।
भाषा प्रशांत नरेश
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