नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल और केरल द्वारा कथित राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के आरोपों के बाद नई दिल्ली में आगामी गणतंत्र दिवस परेड के लिए उनकी राज्य की झांकी को नरेंद्र मोदी सरकार ने खारिज कर दिया, सरकारी सूत्रों ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उनके चयन में राजनीतिक नेतृत्व की कोई भूमिका नहीं है.
इसके बजाय, सूत्रों ने रेखांकित किया कि पेंटिंग, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्यकला के क्षेत्र में ‘प्रमुख व्यक्तियों’ वाली एक समिति, अन्य लोगों के बीच, झांकी का चयन या अस्वीकार करती है.
सूत्रों ने बताया कि 2022 गणतंत्र दिवस परेड के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. इनमें से 21 को शॉर्टलिस्ट किया गया है.
सूत्रों ने कहा, ‘समय की कमी को देखते हुए स्वीकृत प्रस्तावों की तुलना में अधिक प्रस्तावों को अस्वीकार करना स्वाभाविक है.’
सरकारी सूत्रों का कहना है कि प्रमुख व्यक्तियों की विशेषज्ञ समिति बहु-स्तरीय प्रक्रिया में झांकियों का चयन करती है. बंगाल और केरल ने अपने विचारों की अस्वीकृति के पीछे ‘राजनीतिक प्रतिशोध‘ का आरोप लगाया था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था, क्योंकि राज्य के लोग इस झांकी को अस्वीकार करने से ‘निराश’ होंगे.
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए और भी चौंकाने वाली बात है कि झांकी को बिना कोई कारण या औचित्य बताए खारिज कर दिया गया.
बनर्जी ने कहा कि प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी भारतीय राष्ट्रीय सेना के योगदान की स्मृति में बनाई गई थी. गणतंत्र दिवस से तीन दिन पहले बोस की 125वीं जयंती मनाई जाएगी.
इसी तरह, केरल सरकार भी समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता नारायण गुरु की झांकी की अस्वीकृति से परेशान है.
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने ट्वीट कर इस फैसले की निंदा करते हुए इसे नारायण गुरु का ‘अपमान’ करार दिया.
The central govt’s decision to deny permission to Kerala’s Republic Day tableau, which contained anti-caste crusader Narayana Guru’s figure, is extremely condemnable. @BJP4Keralam must state whether they agree with this insulting attitude towards Kerala’s Guru.
— V. Sivankutty (@VSivankuttyCPIM) January 13, 2022
हालांकि, सरकारी सूत्रों ने रेखांकित किया कि झांकी पर फैसला मोदी सरकार नहीं करती है.
एक सूत्र ने कहा, ‘विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त झांकियों के प्रस्तावों का मूल्यांकन प्रतिष्ठित व्यक्तियों की विशेषज्ञ समिति की बैठकों की एक श्रृंखला में किया जाता है.’
झांकी कैसे चुनी जाती हैं
हर साल सितंबर में, रक्षा मंत्रालय सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों को लिखता है, अगले साल के गणतंत्र दिवस के लिए झांकी के प्रस्ताव मांगता है.
16 सितंबर 2021 को जारी पत्र के अनुसार प्रस्ताव 27 सितंबर तक भेजे जाने थे और चयन प्रक्रिया अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक शुरू होनी थी.
एक बार प्रस्तुत करने के बाद, विशेषज्ञ समिति की बैठकों की एक श्रृंखला में झांकी के प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जाता है.
सितंबर में जारी पत्र में कहा गया है कि चयन के पहले चरण में प्रस्तावों के स्केच/डिजाइनों की जांच की जाएगी और संशोधनों को पूरा करने के लिए सुझाव दिए जाएंगे.
एक बार डिजाइन स्वीकृत हो जाने के बाद, प्रतिभागियों को अपने प्रस्तावों के 3डी मॉडल जमा करने के लिए कहा जाता है.
हालांकि, एक मॉडल के लिए पूछे जाने का मतलब चयन नहीं है, क्योंकि समिति द्वारा उनकी आगे जांच की जाती है.
पत्र में कहा गया है, ‘चयन कारकों के संयोजन पर निर्भर करता है, जिसमें दृश्य अपील, जनता पर प्रभाव, झांकी के विचार / विषय, झांकी में शामिल विवरण की डिग्री, इसके साथ संगीत आदि शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है.’
इसने यह भी कहा कि अगर इसे चयन दौर के दौरान अंतिम स्वीकृत संस्करण के अनुसार नहीं बनाया गया है तो किसी झांकी का अंतिम चयन राजपथ पर अंतिम परेड में उसके मूवमेंट की गारंटी नहीं देता है.
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‘इसी प्रक्रिया के माध्यम से पहले स्वीकार किया गया’
सूत्रों ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को विषय विशेषज्ञ समिति ने उचित प्रक्रिया और विचार-विमर्श के बाद खारिज कर दिया.
सूत्रों ने बताया कि हालांकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2018 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत केरल के झांकी प्रस्तावों को उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था.
इसी तरह, तमिलनाडु के झांकी प्रस्तावों को 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में स्वीकार किया गया था.
उन्होंने बताया कि ‘यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2016, 2017, 2019 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत पश्चिम बंगाल के झांकी प्रस्तावों को उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था. इसके अलावा, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) की इस वर्ष की झांकी में नेताजी शामिल हैं. सुभाष चंद्र बोस, इसलिए उनके अपमान का सवाल ही नहीं उठता.’
रक्षा मंत्रालय की कोई सीधी भूमिका नहीं है
हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने कोई बयान नहीं दिया. सूत्रों ने कहा कि झांकियों के चयन में इसकी कोई भूमिका नहीं है.
रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘झांकी राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा प्रस्तुत की जाती हैं. सभी का चयन नहीं किया जा सकता है और इसलिए कुछ छूट जाते हैं. कोविड प्रतिबंधों के कारण, संख्या और कम हो गई है. चयन में रक्षा मंत्रालय की कोई सीधी भूमिका नहीं है और यह विशेषज्ञ समिति है जो विभिन्न मापदंडों को देखती है.’
यह पूछे जाने पर कि पश्चिम बंगाल को क्यों छोड़ दिया गया. सूत्र ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल ने 2016 में सर्वश्रेष्ठ झांकी जीती. पश्चिम बंगाल की झांकियां 2017, 2019 और पिछले साल भी थीं. यह एक अनावश्यक विवाद है जो लगभग हर दूसरे वर्ष उत्पन्न होता है.’
पूर्व में भी 2020 में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की झांकियों सहित झांकियों को खारिज करने को लेकर विवाद हो चुके हैं.
केरल की नारायण गुरु झांकी को अस्वीकार करने के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा, ‘प्रत्येक परेड की एक थीम होती है. इस वर्ष का विषय स्वतंत्रता के लगभग 75 वर्ष है- India @ 75, freedom struggle, Ideas @ 75, Achievements @ 75, Actions @ 75 and Resolve @ 75.’
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