सीधी: बघेलखंड के इन्फ्लुएंसर्स अपने प्रशंसकों को पहचाने बिना शांति से मानसून के बादलों का आनंद भी नहीं ले सकते. सिर्फ सेल्फी ही नहीं, कभी-कभी प्रशंसक अपने पसंदीदा इन्फ्लुएंसर्स को घर पर भोजन के लिए चलने पर भी ज़ोर देते हैं.
ऐसा ही हुआ जब उमेश मिश्रा और कामता प्रसाद मध्य प्रदेश के रीवा जिले की विंध्य रेंज में गोविंदगढ़ पहाड़ी की चोटी पर ट्रैकिंग के लिए गए. एक अति उत्साही प्रशंसक ने उनका स्वागत किया. पास के गांव के एक वकील महेंद्र सिंह ने उन्हें कॉमेडियन लाखन और माखन के रूप में पहचाना, जो बेहद लोकप्रिय यूट्यूब चैनल को होस्ट करते हैं. उन्होंने दोनों को अपने घर पर भोजन करने के लिए आने पर ज़ोर दिया.
प्रसाद (माखन) द्वारा उनके परिवार से मिलने और गांव में स्थानीय बघेली बोली में कविता और स्टैंडअप का एक सत्र आयोजित – जैसा कि वे अपने चैनल पर पोस्ट करते हैं – करने का वादा करने के बाद ही सिंह ने उन्हें अपने रास्ते जाने दिया.
लेकिन अब, यह प्रशंसकों की भीड़ से आगे निकल चुका है. इस सूखे क्षेत्र में उनकी अति लोकप्रियता अब एक नैतिक दुविधा बन गई है – जो कि इन्फ्लुएंसर्स पर पर थोपी गई एक दुर्लभ दुविधा की स्थिति है. चुनावी समर में मध्य प्रदेश के बीजेपी और कांग्रेस नेता भी मैदान में हैं. वे उन्हें घर ले जाने की पेशकश नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से चाहते हैं कि आगामी चुनाव अभियान में कुछ प्रभावशाली इन्फ्लुएंसर्स का उपयोग किया जाए.
और यह राज्य के यूट्यूबर्स और रील निर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. क्या उन्हें राजनीति का समर्थन करके प्रशंसकों के बीच अपनी विश्वसनीयता कम करनी चाहिए या इससे दूरी बनाए रखते हुए सामाजिक मुद्दों को उठाते रहना चाहिए? चुनावों की इस दौड़ में, वायरल होना उस पीढ़ी का सबसे लोकप्रिय गुण है जो कि एक झटके में अपनी वफादारी को बदल सकती है.
इन्फ्लुएंसर सेल चुनाव वाले राज्यों में नया आईटी सेल है. राजस्थान ने भी स्थानीय इन्फ्लुएंसर्स की एक सूची तैयार की है और उन्हें लुभाना शुरू कर दिया है. वे नये फिल्मी सितारे हैं. मंत्री स्मृति ईरानी, राजीव चंद्रशेखर और पीयूष गोयल सभी ने बीयरबाइसेप्स से मुलाकात की है; भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कर्ली टेल्स की संपादक कामिया जानी के साथ डिनर किया.
उमेश मिश्रा, जो कि कामता प्रसाद के लाखन का माखन है, कहते हैं. “हमें उन योजनाओं पर वीडियो बनाने में कोई आपत्ति नहीं है जो सकारात्मक प्रभाव डालती हैं और लाड़ली बहना जैसा सामाजिक बदलाव लाती हैं, लेकिन प्रचार वीडियो बनाने या अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल होने से हमारी विश्वसनीयता को खतरा होगा,”
उन्होंने शैक्षिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उजागर करने और मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बोली जाने वाली स्थानीय बघेली बोली को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से 2014 में तीन पांच की शुरुआत की. बेरोजगारी से लेकर सीमा हैदर के भारत में अवैध प्रवेश तक कई मुद्दों पर प्रेरणा लेते हुए, तीन पांच टीम तीखे शब्दों और मजाकिया टिप्पणियों के साथ एक स्क्रिप्ट पर फिर से काम करने में तत्पर है. फिर इसे उनके गांव में शूट किया जाता है और उनके यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया जाता है.
मिश्रा के पहनने का तरीका – भूरे रंग की पतलून के साथ एक क्रिस्प जैतून-हरी शर्ट और उनके कंधों के चारों ओर एक नीला गमछा (स्टोल) – देखकर ऐसा लगता है जैसे वह रीवा के किसी कॉलेज में पर्यावरण के प्रोफेसर हों. लेकिन कॉलेज के वक्त के बाद, उनकी पोशाक बदल कर एक ढीली टी-शर्ट और पैंट हो जाती है जिसे पहनकर वह एक स्टैंडअप कॉमिक और इन्फ्लुएंसर के रूप में काम करते हैं. उस वक्त वह प्रोफेसर के रूप में अपनी पहचान को भुला देते हैं और और मजाकिया माखन बन जाते हैं. वह अनफ़िल्टर्ड और निडर है.
तीन पांच का मालवा-निमाड़, विंध्य, बुंदेलखंड और महाकौशल जैसे क्षेत्रों में एक वफादार फैन बेस है. 2014 में लॉन्च होने के बाद से, दोनों दोस्तों ने यूट्यूब पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में दर्शकों की संख्या के साथ 2.5 लाख फॉलोअर्स बना लिए हैं. उनके किस्सा गांव के सीरीज़ में उनकी अधिक लोकप्रिय वीडियो में से एक, सांझे के बाप को 22 लाख से अधिक बार देखा गया है. ऐसा लगता है कि ‘परिवार के टूटने की वास्तविकता’ के बारे में वीडियो ने कई यूज़र्स को प्रभावित किया है और उन्होंने कमेंट किया है कि इस वीडियों ने कैसे उन्हें रुलाया और कैसे टीम ने हंसी-मज़ाक वाला कंटेंट पोस्ट करने से कुछ अलग किया है.
जब इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर और फेसबुक के ज़रिए पोलिटिकल नैरेटिव को बनाने की कोशिश की जा रही है, तब ऐसी स्थिति में यहां तक तक कि पार्टी के बुजुर्ग नेता जो अपनी रील्स को जिफ में फ़र्क नहीं कर सकते, उन्हें भी अपने सोशल मीडिया स्किल्स को बेहतर बनाने की कोशिश करनी पड़ रही है. खासकर तब जब मध्य प्रदेश की मतदाता सूची में 14.5 लाख पहली बार के मतदाता हैं, इसलिए दांव ऊंचे लगे हैं. यदि इन्फ्लुएंसर्स लोकप्रियता पर मास्टर क्लास लेन की पेशकश करते हैं, तो राजनेता सबसे पहले इस कतार में खड़े नज़र आएंगे. वे मध्य प्रदेश के दूरदराज के इलाकों के जेन ज़ेड मतदाताओं से जुड़ने के लिए इन्फ्लुएंसर्स की मदद लेना चाहते हैं.
वे जानते हैं कि उनकी पावर्स काफी हैं. जो कि सीधे लोगों के दिल में उतर जाते हैं. यदि मध्य प्रदेश भाजपा में लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए एक तरफ कथा-वाचकों को लुभाने की कोशिश कर रही है तो इसके बाद अगल स्थान इन्फ्लुएंसर्स का ही है जो कि लोगों के दिलों को छूते हैं. लेकिन इन्फ्लुएंसर्स जानते हैं कि वे राजनीतिक आकाओं को यह कह कर गुस्सा नहीं कर सकते कि उनकी विश्वसनीयता और यूट्यूब डॉलर्स उनके प्रशंसकों या फैन्स से आते हैं.
और रील्स नए राजनीतिक घोषणापत्र हैं. पिछले महीने जुलाई में बीजेपी और कांग्रेस के वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने भोजपुरी गानों के जरिए एक-दूसरे पर पलटवार किया था. बिहार की भोजपुरी कलाकार नेहा सिंह राठौड़ (25) ने अपना गाना ‘एमपी में का बा?’ जारी किया, जिसमें भाजपा सरकार में कथित भ्रष्टाचार के घोटालों की तरफ इशारा किया जा रहा है. इसके तुरंत बाद, एक अन्य इन्फ्लुएंसर, अनामिका जैन अंबर (37) ने राज्य सरकार की प्रशंसा करते हुए एक गीत- एमपी में मामा मैजिक करत है- जारी किया.
भाजपा प्रवक्ता हितेश बाजपेयी, जो पार्टी के सोशल मीडिया कैंपेन की देखरेख कर रहे हैं, ने कहा, “अपनी स्थानीय बोली का उपयोग करके सोशल मीडिया के इन्फ्लुएंसर्स उन युवा मतदाताओं तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे जो न तो टीवी देखते हैं और न ही समाचार पत्र या पत्रिकाएं पढ़ते हैं, लेकिन यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर पर्याप्त समय बिताते हैं.”
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राजनीति पहुंच रही है
इंदौर के वीर शर्मा जैसे इन्फ्लुएंसर्स को खुद मुख्यमंत्री द्वारा अपनी तरफ खींचने की कोशिश करना बड़ी बात है. जून में शर्मा ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट की थी. हालांकि इसे 2 लाख से ज्यादा लाइक्स मिले, लेकिन कुछ यूजर्स इससे प्रभावित नहीं हुए. “ओह, आप अब नेतागिरी में हैं,” एक व्यंग्यात्मक कमेंट था. एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि अगर शर्मा ने ‘पॉलिटिक्स पर पोस्ट डालने’ का फैसला किया है तो निश्चित तौर पर उनके फॉलोअर्स कम होंगे.
रील में, शर्मा और उनके चैनल पार्टनर, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पारुल अहिरवार, भोपाल में अपने कार्यालय में सीएम के पास जाते हुए और शर्मा द्वारा चौहान के पैर छूते हुए फुटेज दिखाते हैं. जैसे ही वे कई कैमरों के लिए पोज़ देते हैं, शर्मा के आग्रह पर सीएम चौहान, पारुल को खेबड़ी कहते हैं, स्थानीय भाषा में सामने के उभरे हुए दांतों वाले किसी व्यक्ति को खेबड़ी कहा जाता है. यह एक शब्द है जिसका उपयोग पारुल अपनी रील्स में करती हैं, और लोग सभी लोग हंस पड़ते हैं. वीडियो को लगभग 8.5 लाख लाइक्स और 4,500 से ज्यादा कमेंट्स मिले हैं. कई लोगों ने “जनता का मुख्यमंत्री” होने के लिए चौहान की प्रशंसा की, लेकिन अन्य लोगों ने उन पर कटाक्ष किया.
एक कमेंट में सीएम पर कटाक्ष करते हुए लिखा गया है, ”इतने बुरे दिन आ गए मामा के क्या-क्या करना पड़ता है वोट के लिए”.
दोनों के साथ चौहान की स्पष्ट बातचीत भाजपा द्वारा मध्य प्रदेश के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के साथ आयोजित एक विशेष बातचीत में हुई. शर्मा के अनुसार, उनसे भाजपा के आईटी सेल के इंदौर प्रभारी मलय दीक्षित ने नई शुरू की गई वंदे भारत ट्रेनों में यात्रा करने के लिए संपर्क किया था. वह और 14 अन्य इन्फ्लुएंसर्स के साथ 29 जून को भोपाल पहुंचे थे. इसके तुरंत बाद, वीर को एक और बैठक में आमंत्रित किया गया जहां उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई और उनका प्रचार करने वाले वीडियो बनाने के लिए कहा गया. शर्मा को यह अच्छा लगा और उन्होंने इसे अपनी रीच बढ़ाने, लाइक्स और कमेंट्स पाने का एक तरीका माना.
शर्मा ने कहा, “हम ऐसे वीडियो बना रहे हैं जो लोगों को जागरूक करेंगे चाहे वह शराब जैसी सामाजिक बुराइयों से संबंधित हो या आवास योजना जैसी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभों के बारे में हो.”
इंदौर के एक कोरियोग्राफर, शर्मा के ऑनलाइन स्टारडम की शुरुआत टिकटॉक पर उनके डांस वीडियो के साथ हुई. जब सरकार ने भारत में चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया, तो शर्मा और उनके 60 लाख फॉलोअर्स यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चले गए. इसके बाद उन्होंने पारुल अहिरवार के साथ मिलकर रील्स बनाना शुरू किया जहां वे एक-दूसरे का मजाक उड़ाते हैं.
शर्मा वर्तमान में मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना की एक रील पर काम कर रहे हैं, जो युवाओं को रोजगार के अवसर और मुफ्त कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करती है. योजना के लाभों को बताने के लिए, शर्मा दो दोस्तों की एक छोटी ‘कहानी’ लिख रहे हैं. एक व्यक्ति नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, जबकि उसका उद्यमशील मित्र योजना में नामांकन करता है, कौशल हासिल करता है, और वजीफा भी प्राप्त करता है.
भाजपा के सोशल मीडिया सेल ने इन्फ्लुएंसर स्टार पावर का उपयोग करने की अपनी योजना तैयार की है.
मध्य प्रदेश में भाजपा के सोशल मीडिया सेल के प्रमुख अभिषेक शर्मा ने कहा, “हम राज्य के सभी पांच प्रमुख शहरों और फिर छोटे शहरों में भी ऐसे प्रभावशाली लोगों की बैठक की मेजबानी करेंगे.”
और कांग्रेस भी पीछे नहीं है. राज्य पार्टी के सोशल मीडिया विंग के अध्यक्ष अभय तिवारी ने कहा कि कांग्रेस ने 2020 में इसकी नींव रखी थी जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे.
तिवारी ने कहा, “राज्य भर में लगभग 300 इन्फ्लुएंसर्स हैं जो कांग्रेस के सिद्धांतों का समर्थन करते हैं और राज्य में बेरोजगारी या महिलाओं की सुरक्षा जैसे सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रूप से हमारे साथ हैं.” कांग्रेस, 23 अगस्त को पूरे मध्य प्रदेश के जिलों में सोशल मीडिया प्रमुखों की एक बड़ी बैठक आयोजित करने की योजना बना रही है. सूचियां तैयार की जा रही हैं और इन्फ्लुएंसर्स को सोशल मीडिया पर फॉलो किया जा रहा है.
मध्य प्रदेश में भ्रष्टराज के ख़िलाफ़ ये वीडियो खूब वायरल हो रहा है।
जिसने भी बनाया है, जनभावनाओं को बखूबी व्यक्त किया है।
बेईमानों के मामू जान… pic.twitter.com/OMLClMhWmQ— Piyush Babele||पीयूष बबेले (@BabelePiyush) July 16, 2023
कांग्रेस प्रवक्ता पीयूष बबेले ने मप्र में शिवराज सिंह चौहान के 18 साल के शासन पर निशाना साधते हुए एक वीडियो ट्वीट किया.
हालांकि, कांग्रेस ने वीडियो बनाने वाले इन्फ्लुएंसर की पहचान उजागर नहीं की.
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इन्फ्लुएंसर्स की प्रतिक्रिया
लेकिन सभी इन्फ्लुएंसर्स राजनीति के लिए अपनी मेहनत से कमाई गई सामाजिक पूंजी को बेचने को तैयार नहीं हैं. व्यंग्यात्मक नेतागिरी जैसे कमेंट चुभने वाले हैं. चौहान के साथ बातचीत पोस्ट करने के बाद एक इन्फ्लुएंसर पर कमेंट्स की बौछार लग गई कि वह बिक गया है. राजनीतिक लोकप्रियता के शुरुआती ज्वार के थमने के बाद, उनके सच्चे प्रशंसक आगे बढ़ गए.
शर्मा के विपरीत, बुन्देलखंड क्षेत्र के छतरपुर के इन्फ्लुएंसर और अभिनेता हिमालय यादव विवादित हैं. यूट्यूब बघेली फिल्म जीजा जी आओरे में मुख्य किरदार हरिया के रूप में अपनी शुरुआत के बाद से उन्हें 1.5 लाख सब्सक्राइबर हासिल करने में पांच साल से अधिक समय लग गया है. फिल्म ने बुन्देलखण्ड के दिल में एक हलचल पैदा कर दी, क्योंकि अनपढ़ हरिया दुनिया में अपनी जगह बनाता है. आज भी बुन्देलखण्ड में यादव, हरिया भैया बुंदेली स्टार के नाम से आसानी से पहचाने जा सकते हैं. और यह डर हमेशा बना रहता है कि राजनीतिक जुड़ाव उनके प्रशंसकों और फॉलोवर्स के बीच अर्जित विश्वास को नष्ट कर सकती है.
यादव कहते हैं, “हमारे दर्शक किसी विशिष्ट राजनीतिक विचारधारा से संबंधित नहीं हैं और यदि हम खुले तौर पर ऐसा कंटेट बनाएंगे जिसे एक अभियान के रूप में देखा जा सके, तो हमारे दर्शक हमारे पेजों पर हमारे वीडियो के नीचे भद्दे-भद्दे कमेंट्स करना शुरू कर देंगे. हम किसी भी पार्टी की राजनीति में सीधे तौर पर शामिल नहीं होना चाहते.”
एक महीने पहले, सरकार की कुछ गांव-संबंधी इनीशिएटिव को बढ़ावा देने वाला एक वीडियो बनाने के लिए भाजपा सोशल मीडिया सेल ने उनसे संपर्क किया था. अपनी 10 लोगों की टीम को काम पर लगाते हुए, यादव ने एक छोटा वीडियो बनाने के लिए 20,000 रुपये से अधिक खर्च किए कि कैसे सरकार की आवास योजना ने ग्रामीणों के जीवन को बदल दिया है.
लेकिन वीडियो सबमिट करने के बाद उन्होंने कहा कि उन्हें इस काम के लिए पार्टी से 5,000 रुपये मिले हैं. तब से, उन्होंने प्रमोशनल कंटेंट के लिए कोई और ऑफर स्वीकार नहीं किया है. वह पैसा उनके काम के लिए काफी कम था. वह किम कार्दशियन और कुशा कपिला की ही पंक्ति में हैं. वह जानते हैं कि वह और अधिक कमा सकते हैं.
यादव ने कहा, “अगर हम किसी राजनीतिक दल के लिए प्रमोशनल वीडियो बनाने के लिए सहमत होते हैं, तो हम अपने दर्शकों के बीच विश्वसनीयता खोने का जोखिम उठाते हैं. और हमें पर्याप्त मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है.” यादव ने पिछले दो महीनों में बीजेपी के साथ दो मीटिंग्स की हैं.
तीन पांच के कामता प्रसाद भी पार्टी के प्रमोशनल कंटेंट से आशंकित हैं. आख़िर, लाखन और माखन का निर्माण किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं, बल्कि बघेली बोली को बढ़ावा देने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा, वह लाड़ली बहना योजना जैसी योजनाओं के इर्द-गिर्द सामग्री बनाने के लिए तैयार हैं, जिसका प्रभाव ज़मीनी स्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. लेकिन वह यहीं तक अपनी राजनीतिक मित्रता को आगे बढ़ा सकते हैं.
“हमारे दर्शक हमसे जुड़े हुए हैं क्योंकि वे हमारे कंटेंट की मौलिकता में विश्वास करते हैं और हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर भरोसा करते हैं. हम अपने दर्शकों के सामने खुलेआम कैंपेन नहीं कर सकते और खुद को बदनाम नहीं कर सकते.
भाजपा इस इन्फ्लुएंसर प्रतिक्रिया पर काम कर रही है, और मीटिंग्स करना सोशल मीडिया सेल के लिए फीडबैक पाने का एक अच्छा तरीका है कि उसे क्या करना चाहिए.
अभिषेक शर्मा ने बताया, “हम समझते हैं कि सारे ही काम नहीं कर सकते हैं और कुछ को अपने दर्शकों के कारण आपत्ति भी हो सकती है या बस वे वैचारिक रूप से कांग्रेस के करीब हो सकते हैं. ज्यादातर वे लोग जो वैचारिक रूप से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं और देश में जो बदलाव लाए हैं उसमें विश्वास करते हैं, उन्हें [हमारे साथ] काम करना चाहिए,”. और यादव के खराब अनुभव के बावजूद, वह इस बात पर जोर देते हैं कि यह बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट या भुगतान के स्वैच्छिक रूप से है, हालांकि पार्टी लॉजिस्टिक संबंधी सहायता प्रदान करती है.
तिवारी ने भी जोर देकर कहा कि इन्फ्लुएंसर्स के साथ किसी भी टाई-अप में पैसे का लेन-देन शामिल नहीं है.
तिवारी ने कहा, “अगर हम उन्हें भुगतान करते हैं, तो यह पेड कंटेंट बन जाता है और वे इन्फ्लुएंसर्स के रूप में अपनी वैल्यू खो देते हैं. अगर उन्हें ज़रूरत होती है तो हम कोई भी सहायता प्रदान करते हैं और उन पर एफआईआर होने की स्थिति में, हम उन्हें कानूनी सहायता देते हैं,”
जहां वफादारी मौजूद है
रीवा में, हाइवे के किनारे अपने एक मंजिला घर में, उमेश मिश्रा आठ नए लोगों के एक समूह को – जो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स बनना चाहते हैं – सोशल मीडिया पॉपुलरिटी पर एक सेशन होस्ट करने वाले हैं. ड्राइंग रूम में टेबल पर पिछले कुछ वर्षों में उनके द्वारा जीती गई ट्रॉफियां और पुरस्कार दिख रहे हैं.
उन्होंने और प्रसाद ने बघेली को लोकप्रिय बनाने में जो भूमिका निभाई है उस पर उन्हें गर्व है. एक समय था जब युवा उच्च शिक्षा के लिए रीवा छोड़कर बड़े शहरों में चले जाते थे और बघेली बोलने वालों को हेय दृष्टि से देखते थे.
मिश्रा कहते हैं, ”बघेली बोलने वाले लोगों को गंवार (अनपढ़) के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब कॉलेज में मेरे सहकर्मी भी इसका इस्तेमाल करते हैं.” अब इस भाषा में बातचीत करना गर्व का विषय बन गया है.
तीन पांच ने सीधे तौर पर इस क्षेत्र में इन्फ्लुएंसर्स की लहर पैदा कर दी है. पिछले एक दशक में, भीड़भाड़ वाले बघेलखंड बाज़ार में लगभग 800 से अधिक स्थानीय यूट्यूब चैनल सामने आए हैं. प्रशंसकों की बढ़ती संख्या के साथ लगभग 20 एक्टिव हैं. अपने खुद के चैनल शुरू करने वाले कई लोगों ने पहले मिश्रा और उनकी टीम के साथ काम किया था. वे अब भी सलाह के लिए लाखन और माखन की ओर रुख करते हैं. यह स्थानीय गौरव का एक नया ईको-सिस्टम और प्रसिद्धि की सीढ़ी है.
मई के हालिया सेशन में, मिश्रा ने चार महिलाओं सहित 10 युवा इन्फ्लुएंसर्स से बात की कि सोशल मीडिया पर कमेंट्स और कंटेंट को कैसे नियंत्रित किया जाए. ध्यान खींचने वाले वीडियो और शरारतें आसान हैं. इसके बजाय, वह उनसे सामाजिक मुद्दों पर दिलचस्प कंटेंट बनाने का आग्रह करते हैं.
जब कंटेंट ही किंग होती है तो राजनीति उसके बाद की बात है. प्रसाद कहते हैं,“पार्टियां आती जाती रहेंगी, लेकिन हमारी वफादारी ऑडियन्स के साथ है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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