गुरुग्राम/नूंह (हरियाणा), छह अगस्त (भाषा) पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के चार सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल को नूंह जिले के निकट हिंसा प्रभावित गांवों में जाने से रविवार को रोक दिया।
भाकपा के राज्यसभा सदस्य विनय विश्वम ने कहा, ‘‘हमने वापस जाने का फैसला किया है क्योंकि हम कोई टकराव नहीं चाहते। गुंडे और बदमाश खुलेआम जा सकते हैं, लेकिन जो लोकतांत्रिक लोग शांति स्थापित करने के लिए यहां आए हैं, उन्हें रोका जाता है।’’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भाकपा के नेताओं को रोका गया है क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू थी और प्रतिनिधिमंडल की सुरक्षा को लेकर चिंताएं थीं।
भाकपा ने कहा था कि उसका एक प्रतिनिधिमंडल सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा। उसने बताया था कि प्रतिनिधिमंडल में विश्वम, पार्टी सांसद संतोष कुमार पी, पार्टी महासचिव अमरजीत कौर और दरियाव सिंह कश्यप शामिल होंगे।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में से एक ने कहा कि उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे ‘‘स्थानीय लोगों के साथ एक कप चाय पीने के लिए’’ क्षेत्र में जाना चाहते हैं।
सदस्य ने कहा, ‘‘पुलिस अधिकारी ने हालांकि कहा कि पुलिस थाने में चाय पीने के लिए हमारा स्वागत है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में हमें आम जनता से मिलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’
भाकपा महासचिव अमरजीत कौर ने पुलिस से कहा, ‘‘या तो आप हम पर भरोसा करें या हमें गिरफ्तार करें।’’
जिला उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा और पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया ने रविवार को संयुक्त रूप से नूंह जिले के कई इलाकों का दौरा किया और लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की।
बिजारणिया ने कहा, ‘‘दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा। दोषियों को आकर आत्मसमर्पण करना चाहिए, नहीं तो हरियाणा पुलिस जानती है कि उन्हें कैसे पकड़ना है।’’
सरकार ने ‘‘सांप्रदायिक तनाव’’ के मद्देनजर फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ उपमंडल में छह अगस्त को अपराह्न एक बजे से सात अगस्त की रात 11:59 बजे तक मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को निलंबित करने का रविवार को आदेश दिया।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की जलाभिषेक यात्रा पर पिछले सोमवार को नूंह में भीड़ के हमले के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा में दो होमगार्ड और एक इमाम समेत छह लोगों की मौत हो गई थी।
भाषा
देवेंद्र संतोष
संतोष
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