बरेली (उप्र), 13 अगस्त (भाषा) बरेली में साइबर अपराधियों द्वारा ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार हुई 62 वर्षीय महिला को पुलिस ने 42 घंटे बाद मुक्त करा लिया।
ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर महिला को धन शोधन के मामले में फंसाने की धमकी दी और 70 लाख रुपये की मांग की। डर के कारण महिला तीन दिन तक अपने ही घर में कैद रही।
अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) मानुष पारीक ने बुधवार को बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि प्रेमनगर थाना क्षेत्र के एकता नगर निवासी गुलशन कुमारी को पिछले 42 घंटे से ’डिजिटल अरेस्ट’ करके रखा है और 70 लाख रुपये की मांग की जा रही है।
पारीक ने बताया कि इस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए वह खुद और प्रेमनगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंचकर पीड़िता गुलशन कुमारी को मुक्त कराया।
उनके मुताबिक, पीड़िता ने पुलिस को बताया है कि 11 अगस्त को अपराह्न लगभग तीन बजे एक अनजान नम्बर से फोन करके उनसे कहा गया कि वह धन शोधन के एक मामले में वांछित हैं, लिहाजा उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया गया है और बचाने के लिये उनसे 70 लाख रुपये मांगे गये।
पारीक ने बताया कि पीड़िता को साइबर ठगी और ‘डिजिटल अरेस्ट’ से बचाव के उपायों के बारे में बताया गया और कहा गया कि अगर भविष्य में ऐसे किसी भी अनजान नम्बर से फोन आये तो उसे कोई जानकारी ना दें। इस कार्यवाही से संतुष्ट पीड़िता ने बरेली पुलिस का धन्यवाद करते हुए एक वीडियो जारी किया।
गुलशन कुमारी ने बताया कि उन्हें कॉल करने वाले ने खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनका नाम एक बड़े धनशोधन मामले में आया है और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है और ठग ने धमकी दी कि अगर उन्होंने यह बात किसी को बताई तो तुरंत उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।
महिला के मुताबिक, ठग ने उन्हें घर से बाहर न निकलने का आदेश दिया और फोन व वीडियो कॉल पर लगातार निगरानी रखी।
पीड़िता ने बताया कि उनकी व्यक्तिगत जानकारी ली गई और धमकाकर 70 लाख रुपये देने की मांग की गई और डर के कारण उन्होंने किसी पर भरोसा नहीं किया और तीन दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ रहीं।
भाषा सं. सलीम नोमान
नोमान
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