नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल पुलिस ने गुरुवार और शुक्रवार की मध्यरात्रि को एक ऑपरेशन में कोलकाता के सॉल्ट लेक में शिक्षा बोर्ड के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2014 के छात्रों को हिरासत में ले लिया.
विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है.
#WATCH | West Bengal: Police personnel drag Teacher Eligibility Test (TET) qualified candidates who're protesting near the head office of West Bengal Board of Primary Education in Kolkata regarding job recruitment. Section 144 of CrPC imposed in the area pic.twitter.com/Begne3eODc
— ANI (@ANI) October 21, 2022
सीधी भर्ती की अपनी मांग को लेकर आंदोलनकारी कई दिनों से धरने पर बैठे थे, उन्होंने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और अयोग्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया है. खबरों के अनुसार, प्रदर्शनकारी छात्रों ने आठ साल पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन वे साक्षात्कार के दो सेटों को पार करने में असफल रहे.
बीजेपी की राज्य सचिव प्रियंका टिबरेवाल ने राज्य सरकार पर अपना खराब चेहरा दिखाने का आरोप लगाया है.
प्रियंका टिबरेवाल ने कहा, ‘ये सरकार इंसानियत से कोसों दूर है, सब इनका दानव चेहरा देख रहे हैं.’
प्रियंका ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा, ‘एक महिला मुख्यमंत्री होने के नाते अगर किसी महिला के साथ ऐसा होता है तो ममता बनर्जी को मर जाना चाहिए.’
पश्चिम बंगाल बीजेपी विधायक अग्निमित्र पॉल ने कहा, ‘विरोध करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. उनकी नौकरियां सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने चुराई हैं. अगर ममता बनर्जी को कोई शर्म रह गई है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.’
इससे पहले 11 अक्टूबर को केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया था.
भट्टाचार्य पलाशीपारा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. ईडी पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले की जांच कर रहे हैं और इससे पहले भट्टाचार्य को तलब किया था.
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ईडी की याचिका खारिज
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में टीईटी में कथित अनियमितताओं के संबंध में ईडी द्वारा तृणमूल कांग्रेस विधायक माणिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका गुरुवार को खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने भट्टाचार्य की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी, क्योंकि इसी से संबंधित सीबीआई मामले में उन्हें संरक्षण का अंतरिम आदेश मिल चुका है.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने विधायक से संबंधित परिसरों की तलाशी के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए जाने को लेकर ईडी की दलीलों का संज्ञान लिया.
बेंच ने कहा, ‘हम प्रवर्तन निदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी को अवैध नहीं ठहरा सकते, क्योंकि धनशोधन या अपराध से अर्जित कमाई का मामला हाई कोर्ट की एकल पीठ या खंडपीठ के सामने नहीं आया था.’
कोर्ट ने कहा, ‘हालांकि, मौजूदा विशेष अनुमति याचिकाओं में पारित अंतरिम आदेश के सवाल पर सुनवाई के दौरान हमारे संज्ञान में लाया गया था कि याचिकाकर्ता प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जांच में सहयोग कर रहा था.’
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को किसी अन्य जांच एजेंसी की दंडात्मक कार्रवाई से बचाने से संबंधित सामान्य संरक्षण आदेश एक अलग एजेंसी द्वारा शुरू की गई इतर कार्यवाही में पारित नहीं किया जा सकता है.
बेंच ने कहा, ‘धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत, धनशोधन एक स्वतंत्र अपराध है और अगर प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ अधिकार क्षेत्र से परे कार्य करने का कोई आरोप होता है या उनकी गिरफ्तारी का कार्य कानून के तहत अधिकृत नहीं है, तो याचिकाकर्ता उपयुक्त न्यायालय के समक्ष अर्जी देने के लिए स्वतंत्र होंगे.’
कोर्ट ने कहा, ‘लेकिन कार्यवाही से उत्पन्न विशेष अनुमति याचिका में उस प्रश्न की पड़ताल नहीं की जा सकती, जिसमें धनशोधन का सवाल शामिल नहीं था.’
पीठ ने कहा, ‘आवेदन खारिज किया जाता है.’
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