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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशबिरसा मुंडा और आंबेडकर पर आयोजन करेगी BJP, 'आजादी शो' के जरिए दलितों-आदिवासियों को रिझा रही पार्टी

बिरसा मुंडा और आंबेडकर पर आयोजन करेगी BJP, ‘आजादी शो’ के जरिए दलितों-आदिवासियों को रिझा रही पार्टी

नवंबर में बिरसा मुंडा जयंती (15 नवंबर को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्म दिवस) इसी कार्यक्रम के तहत मनाई जाएगी और मध्य प्रदेश में एक बड़े आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं, जिसे पीएम संबोधित करेंगे.

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नई दिल्ली: अगले साल भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार के ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के ज़रिए, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अगले वर्ष के असेम्बली चुनावों से पहले, दलितों और आदिवासियों जैसे समाज के चुनावी रूप से महत्वपूर्ण वर्गों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. बीजेपी पदाधिकारियों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस आउटरीच की अगुवाई करेंगे और कई आयोजनों को संबोधित करेंगे.

मसलन, नवंबर में बिरसा मुंडा जयंती (15 नवंबर को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्म दिवस) इसी कार्यक्रम के तहत मनाई जाएगी और मध्य प्रदेश में एक बड़े आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं, जिसे पीएम संबोधित करेंगे. सूत्रों के अनुसार, आदिवासी समुदाय के लाखों लोगों के इस आयोजन में शरीक होने की अपेक्षा की जा रही है.

बुधवार को, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दे दी.

मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘कैबिनेट ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने को मंज़ूरी दे दी. 15 से 22 नवंबर तक एक हफ्ते का जश्न मनाने की योजना बनाई गई है.’

मध्य प्रदेश में देश में सबसे अधिक संख्या में आदिवासी हैं- राज्य की आबादी का क़रीब 21.5 प्रतिशत (2011 की जनगणना के अनुसार)- जबकि अनुसूचित जातियां (एससी) क़रीब 15.6 प्रतिशत हैं. राज्य की 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं.

मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की वर्षगांठ मनाना काफी महत्वपूर्ण है. राजनीति की दुनिया में मध्य प्रदेश काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि राज्य की काफी सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं.’

इस साल नवंबर से जनवरी 2022 तक, आज़ादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले, जिसमें भारत के स्वाधीनता संग्राम, और पिछले 75 वर्षों में सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक, और आर्थिक प्रगति के इतिहास पर रोशनी डाली जाएगी, देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. आज़ादी का अमृत महोत्सव 2022 में देश के 75वें स्वाधीनता दिवस से 75 हफ्ते पहले, इस साल 12 मार्च को शुरू हुआ था, और एक साल बाद 15 अगस्त 2023 को समाप्त होगा.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक कमेटी ने, पहले ही कार्यक्रम के लिए बहुत सारे हाई प्रोफाइल आयोजनों को मंज़ूरी दे दी है, जिनमें से अधिकांश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिरकत करने की उम्मीद है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक कमेटी ने, अगले तीन महीनों के लिए बहुत सारे महत्वपूर्ण आयोजनों की योजना बनाई है. (कार्यक्रम के अंतर्गत) आम्बेडकर की याद: महापरिनिर्वाण दिवस एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो 6 दिसंबर को मनाया जाएगा’.

कार्यक्रम के तहत होने वाले अन्य आयोजन हैं काशी उत्सव, संविधान दिवस (26 नवंबर को मनाया जाने वाला) और उत्तरपूर्व समारोह. दिसंबर में आज़ादी की पहली लड़ाई (1857 में) को याद किया जाएगा, और दूसरे कार्यक्रमों के बीच सुशासन सप्ताह मनाया जाएगा. जनवरी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाने के लिए (जिसकी तिथि 23 जनवरी है) कई आयोजन किए जाएंगे.

आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय, अलग अलग आयोजनों की अगुवाई करेंगे.


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UP, पंजाब, उत्तराखंड चुनावों पर नज़र रखते हुए, आंबेडकर का जश्न

6 दिसंबर को होने वाला एक हाई प्रोफाइल आयोजन है महापरिनिर्वाण दिवस- जिस दिन डॉ आंबेडकर की मौत हुई थी. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, ये आयोजन इस तरह तैयार किया जाएगा, जिसमें पीएम मोदी देश भर के हज़ारों केंद्रों से जुड़ेंगे, जिनमें पंचतीर्थ (आंबेडकर के जीवन और कार्यों से जुड़ी पांच जगहें- उनकी जन्मभूमि महू, दीक्षा भूमि नागपुर, चैत्य भूमि मुम्बई, दिल्ली के अलीपुर मार्ग पर आम्बेडकर नेशनल मेमोरियल, और दिल्ली के जनपथ पर डॉ आंबेडकर इंटरनेश्नल सेंटर) भी शामिल होंगे, जहां आंबेडकर की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

हालांकि जिस तरह उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले ये आयोजन किए जा रहे हैं, वो काफी महत्वपूर्ण है.

महापरिनिर्वाण दिवस से शुरू होकर, मोदी सरकार की ओर से 1,000 करोड़ रुपए, सीधे एससी छात्रों के बैंक खातों में डाले जाएंगे, जो मौजूदा प्रथा से एक बदलाव है, जिसमें राज्य सरकारें केंद्र की ओर से मुहैया कराए पैसे को वितरित करतीं थीं. लेकिन, पैसे के वितरण में देरी की शिकायतों के बाद, दिसंबर 2021 के बाद से सरकार ने पैसे को सीधे छात्रों के बैंक खातों में भेजने का फैसला किया है.

दलित यूपी की आबादी का क़रीब 21 प्रतिशत हैं, और राजनीतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा वोट बैंक हैं. बीजेपी एससी आबादी तक पहुंचने का प्रयास कर रही है, और मोदी सरकार उनके कल्याण के लिए बहुत से क़दम उठाने की घोषणा कर रही है.

इससे पहले अगस्त में, आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर ने दिप्रिंट को बताया था, कि बीजेपी यूपी में ‘जय भीम’ नहीं बल्कि ‘जय आंबेडकर’ के समावेशी नारे के साथ चुनाव प्रचार करेगी.

यही नहीं, उत्तराखंड में अच्छी ख़ासी दलित आबादी है, और पंजाब में भी, और बीजेपी सरकार ने पहले भी इन सूबों में, दलित समुदाय के कल्याण के लिए काफी क़दम उठाए हैं.

बीजेपी की दलित और ओबीसी आउटरीच (और ये तथ्य कि इसकी नज़र 2022 के यूपी असेम्बली चुनावों पर है), मंत्री परिषद में हाल ही में हुए फेरबदल में भी नज़र आई, जिसमें 43 मंत्रियों में से सात यूपी से थे. इनमें से तीन-तीन ओबीसी और एससी वर्गों से हैं, जबकि एक ब्राह्मण है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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