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शुक्रवार, 13 जून, 2025
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प्रधानमंत्री ने घुमंतू लंबानी जनजातियों के लिए ‘हक्कू पत्र’ वितरण अभियान की शुरुआत की

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कलबुर्गी (कर्नाटक), 19 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को उत्तरी कर्नाटक के पांच जिलों में घुमंतू लंबानी (बंजारा) जनजाति के 52,000 से अधिक सदस्यों के लिए जमीन का मालिकाना हक देने वाले ‘हक्कू पत्र’ वितरण अभियान की शुरुआत की।

जिले के मालखेड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह बंजारा (लंबानी घुमंतू) समुदाय के लोगों के लिए एक बड़ा दिन है क्योंकि ‘हक्कू पत्र’ के माध्यम से 50,000 से अधिक लोगों को उनके घर का हक मिला है।’’

मोदी ने इस मौके पर पांच घुमंतू जोड़ों को पांच ‘हक्कू पत्र’ वितरित किए।

उन्होंने कहा कि यह ‘हक्कू पत्र’ कलबुर्गी, बीदर, यादगिर, रायचूर और विजयपुरा जिलों में टांडा (लंबानी समदुाय के रिहायशी स्थल) में रहने वाले हजारों लोगों के भविष्य को सुरक्षित करेगा।

उन्होंने दावा किया कि 1993 में ‘टांडा’ को राजस्व गांव का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी लेकिन सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल ने लंबानी को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और कभी भी इन पिछड़े परिवारों के जीवन स्तर में सुधार करने की कोशिश नहीं की।

मोदी ने कहा, ‘‘टांडा में रहने वालों को अपने अधिकारों के लिए एक लंबा संघर्ष करना पड़ा और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘लेकिन अब निराशाजनक माहौल बदल रहा है। मैं बंजारा माताओं को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनका बेटा (मोदी) दिल्ली में बैठा है।’’

कलबुर्गी, यादगिर, रायचूर, बीदर और विजयपुरा जिलों में लगभग 1,475 गैर-पंजीकृत बस्तियों को नए राजस्व गांवों के रूप में घोषित किया गया है।

जिन लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र जारी किए गए हैं उनमें से बड़ी संख्या में लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग और कमजोर समुदायों के हैं। इन लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र देना उनकी भूमि को सरकार से औपचारिक मान्यता प्रदान करने की दिशा में एक कदम है, जो उन्हें पेयजल, बिजली, सड़क आदि जैसी सरकारी सेवाएं प्राप्त करने के लिए पात्र बना देगा।

उन्होंने कहा कि जनवरी के महीने में ही संविधान लागू हुआ था और लोगों को अधिकार मिले थे तथा आज इसी महीने में कर्नाटक सरकार ने सामाजिक न्याय के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया है।

12वीं सदी के समाज सुधारक बसवेश्वर का नाम लेते हुए मोदी ने कहा कि ‘डबल इंजन सरकार’ (केंद्र और कर्नाटक की भाजपा सरकारों) ने अच्छे प्रशासन और सद्भाव का मार्ग खोल दिया है, जो ‘बासवन्ना’ की शिक्षाओं के मूल सिद्धांत हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘बंजारा जनजाति को दशकों तक बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अब आपको सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अवसर मिला है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समुदायों के लिए आजीविका के नए साधनों का भी निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘झुग्गियों के बजाय इन्हें पक्के घर मिले, इसके लिए भी सहायता दी जा रही है। बंजारा, घूमंतू-अर्ध घूमंतू समुदायों का स्थाई पता, स्थाई रिहाइश ना होने के कारण जो सुविधाएं उन्हें नहीं मिल पा रही थी, उनका समाधान भी किया जा रहा है। आज का ये आयोजन, इसी समाधान की दिशा में उठाया गया अहम कदम है।’’

कांग्रेस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता के इतने दशकों बाद भी ऐसे समुदाय हैं जो विकास से वंचित हैं और सरकारी सहायता के दायरे से बाहर हैं।

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘जिन्होंने देश पर अधिकतम वर्षों तक शासन किया, उन्होंने वंचित समुदाय से वोट लिए लेकिन उनके उत्थान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।’’

मोदी ने कहा कि पहली बार ऐसे समुदायों को उनके सशक्तिकरण के लिए एक स्पष्ट रणनीति के कारण अधिकार मिल रहे हैं।

उन्होंने अपने संबोधन में आयुष्मान भारत, मुफ्त राशन, जन धन खाते के माध्यम से ऋण और पीएम स्वनिधि योजना जैसे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का भी जिक्र किया।

कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक के अनुसार, 51,900 ‘हक्कू पत्र’ दिए गए, जिन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जाएगा।

भाषा ब्रजेन्द्र पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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