चंडीगढ़, 29 सितंबर (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को केंद्र सरकार पर राज्य में “अघोषित राष्ट्रपति शासन” लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने बाढ़ के मुद्दे पर “चयनित” राज्यपाल से मुलाकात करने और निर्वाचित मुख्यमंत्री को मिलने का समय न देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा।
चंडीगढ़ में पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान चर्चा समाप्त करते हुए मान ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि शनिवार को पंजाब के दौरे पर आए एक केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि 1,600 करोड़ रुपये का राहत पैकेज सीधे किसानों को दिया जाएगा, राज्य सरकार को नहीं।
उन्होंने सवाल किया, “केंद्रीय मंत्री ने एक गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया। इसका मतलब यह है कि आपने पंजाब को अघोषित केंद्र-शासित प्रदेश घोषित कर दिया है। आप संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहे हैं। राज्य सरकार के बिना आप डेटा कहां से एकत्र करेंगे?”
मान ने कहा, “जब हमने मंत्री के बयान का विरोध किया, तो वह अपनी बात से पलट गए। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।”
बाढ़ राहत उपायों पर पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से प्रधानमंत्री मोदी की 23 सितंबर की मुलाकात का जिक्र करते हुए मान ने कहा, “आपके राज्यपाल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की, जो एक चुने हुए और मनोनीत व्यक्ति हैं, लेकिन प्रधानमंत्री निर्वाचित प्रतिनिधियों से मिलने का समय नहीं दे रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आपने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंभीर संकट की इस घड़ी में भी केंद्रीय मंत्री राज्य सरकार और लोगों की मदद करने के बजाय “आपदा पर्यटन” के लिए राज्य में आए।
मान ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से घोषित 1,600 करोड़ रुपये की मदद भी पंजाब के साथ एक “क्रूर मजाक” है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि पंजाब को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल से मिलने वाले 240 करोड़ रुपये भी इसमें शामिल कर लिए गए हैं।
मान ने कहा कि इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी बिहार जैसे चुनावी राज्यों के लिए भारी राहत पैकेज की घोषणा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब, राज्य के साथ इस “सौतेले” व्यवहार का विरोध करता है और वह मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष ये मुद्दे उठाएंगे।
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा पर निशाना साधते हुए मान ने उनसे बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए दान के रूप में ‘रंगला पंजाब फंड’ का विरोध करने के पीछे का तर्क पूछा।
उन्होंने कहा कि एक किस्सा साझा करते हुए कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान देश के लोगों ने राष्ट्रीय रक्षा कोष में सोना दान किया था और पंजाबियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अपील पर भारी मात्रा में सोना दान किया था।
मान ने कहा कि जब भी देश किसी संकट का सामना करता है, तो लोग उसी मिशनरी उत्साह के साथ योगदान देते हैं, लेकिन अब जब पंजाब संकट से जूझ रहा है, तो ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान जारी किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बाढ़ प्रभावित जिलों में किसानों को उनके खेतों से रेत निकालने के लिए 7,200 रुपये प्रति एकड़ देगी, जो हाल ही में आई बाढ़ के बाद जमा हो गई है।
भाषा पारुल रंजन
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