लखनऊ: इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि वर्तमान शासन में गोहत्या जारी है ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि “अभी तक कोई भी हिंदू प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद पर नहीं बैठा है”.
‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ के दूसरे दिन लखनऊ में बोलते हुए अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को कहा कि कोई भी हिंदू प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति गोहत्या रोकने का आदेश पारित कर देता या विरोध में इस्तीफा दे देता. उन्होंने उन पदों पर बैठे लोगों की हिंदू साख की तुलना “लखनऊ की हाथी की मूर्तियों से की, जो केवल दिखावे के लिए हैं”.
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य द्वारा शुरू की गई ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’, जो रविवार को अयोध्या से शुरू हुई, सोमवार को लखनऊ पहुंची और अब बिहार के बक्सर जाएगी.
एक मीडियाकर्मी जिसका सुझाव था कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों हिंदू हैं, उन्होंने पूछा, “इनमें से कौन हिंदू है? कौन सा राष्ट्रपति हिंदू है; कौन सा प्रधानमंत्री हिंदू है? अगर वे हिंदू होते तो क्या उनके शासन में गोहत्या जारी रहती? आप हिंदू हैं. अगर आपको प्रधानमंत्री बनाया जाता है, तो क्या आप अपने शासन में गोहत्या को स्वीकार करेंगे?”
14वीं सदी की हिंदू आध्यात्मिक साधना की अद्वैत परंपरा से जुड़े चार अलग-अलग पीठों के शंकराचार्यों को देश भर के संतों के बीच सम्मान प्राप्त है.
लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “आज तक कोई हिंदू इन पदों (प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति) पर काबिज़ नहीं हुए हैं. अगर ऐसा होता तो उनकी अंतरात्मा इसे (गोहत्या) जारी रखने की इज़ाज़त नहीं देती. वे पद से इस्तीफा दे देते या आदेश जारी कर देते कि यहां गोहत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती.”
उन्होंने यह भी कहा, “अभी तक कोई हिंदू इन पदों पर नहीं बैठा है.”
उन्होंने कहा, “जैसे आपके लखनऊ के पार्कों में हाथी हैं…क्या वे (असली) हाथी हैं? क्या वे चल सकते हैं? वे केवल दिखावे के लिए हैं, खड़े रहने के लिए. पेड़ नहीं उखाड़ सकते और सुंदरता नहीं दिखा सकते…उसी तरह, ये दिखावे के लिए हिंदू हैं…असली हिंदू नहीं. अगर वो हिंदू होते, तो उनके शासन में एक बार भी गोहत्या नहीं होती.”
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जब ‘गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा’ अयोध्या में थी, तो उन्होंने रामलला से गोहत्या रोकने की शक्ति मांगी थी और संकल्प लिया था कि जब तक गोहत्या रोकने का संकल्प पूरा नहीं हो जाता, तब तक वे भगवान के दर्शन के लिए नहीं जाएंगे.
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य यात्रा के शुभारंभ के लिए रविवार को अयोध्या में थे, लेकिन वे राम मंदिर नहीं गए और केवल परिसर की परिक्रमा की.
यह पूछे जाने पर कि वे मंदिर क्यों नहीं गए, अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडियाकर्मियों से कहा कि कोई भी व्यक्ति आंशिक रूप से बने मंदिर में पूजा नहीं कर सकता है और वे मंदिर का ‘शिखर’ पूरा होने के बाद ही वहां जाएंगे.
इस साल जनवरी की शुरुआत में अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अधूरे अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन की योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि यह समारोह “शास्त्रों के विरुद्ध” होगा.
सोमवार को उन्होंने कहा, “भगवान राम के साथ-साथ हमें लक्ष्मण जी की भी ज़रूरत है — यही वजह है कि हम लक्ष्मणपुरी (लखनऊ का एक पुराना नाम, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने की थी) आए हैं.”
उन्होंने कहा कि उनकी योजना पूरे देश में यात्रा करने और सभी राज्यों में “गौ ध्वज” स्थापित करने की है.
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‘योगी के बावजूद यूपी गोमांस का बड़ा निर्यातक’
यह कहते हुए कि केंद्र सरकार को गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाना चाहिए, ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने फिलहाल अपना ‘मठ’ सिर्फ सरकार को समझाने के लिए छोड़ दिया है.
उन्होंने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि महंत योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री हैं…इसके बावजूद यूपी सबसे ज्यादा गोमांस का निर्यात कर रहा है…भाजपा ने सबसे पहले मेरी यात्रा का विरोध किया — जिससे मैं चकित हूं.”
उन्होंने कहा, “हमें नागालैंड में रोक दिया गया, लेकिन हम फिर भी नागालैंड जाएंगे. यह भाजपा का दोहरा चरित्र है – जिससे मैं चकित हूं. शंकराचार्य किसी पार्टी से संबंधित नहीं हैं. अल्पसंख्यक यह नहीं कह सकते कि गाय खाना उनका अधिकार है. अगर ऐसा है, तो उन्हें शरिया कानून वाले देश में चले जाना चाहिए.”
तिरुपति लड्डू प्रसाद विवाद पर बोलते हुए अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि करोड़ों लोगों ने बीफ फैट युक्त प्रसाद खाया.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया कि उनके पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी के शासनकाल में तिरुपति प्रसादम के लड्डू बनाने में पशुओं की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था, जिससे बड़े पैमाने पर विवाद पैदा हो गया. हालांकि, रेड्डी ने आरोपों को “घृणित” और “सरासर झूठ” बताया. उन्होंने कहा कि सीएम ने राजनीतिक लाभ के लिए यह आरोप लगाया है.
इस मुद्दे पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने कहा, “लोग हिंदुओं के वोट ले रहे हैं, लेकिन हिंदुओं को धोखा दे रहे हैं. वो वोट ले रहे हैं, लेकिन फिर भी गोहत्या का सहारा ले रहे हैं…इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम सुनिश्चित करने के लिए अपना ‘मठ’ छोड़ रहे हैं कि भविष्य में ऐसी स्थिति न आए.”
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सरकार को गोहत्या रोकने के लिए कानून बनाना होगा.
उन्होंने सवाल किया, “जब इस देश में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर चर्चा हो रही है, तो हमारे पास ‘गौ माता’ के लिए अलग-अलग कानून क्यों हैं?”
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने यह भी कहा कि तिरुपति में प्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में गोमांस की चर्बी और मछली के तेल के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच समिति बनाने में बहुत समय लग रहा है.
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, “आपको लगता है कि यह एक छोटा मुद्दा है? जांच पहले ही शुरू हो जानी चाहिए थी. क्या हो रहा है? इसमें इतना समय क्यों लग रहा है? करोड़ों हिंदुओं की पवित्रता का हनन करने की कोशिश की जा रही है.”
यह पूछते हुए कि आंध्र प्रदेश सरकार को मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल बनाने में इतना समय क्यों लग रहा है, उन्होंने हैरानी जताई कि एसआईटी को जांच पूरी करने में कितना समय लगेगा, जबकि पहले ही इसे बनाने में इतना समय लग रहा है.
उन्होंने पूछा, “क्या सरकार चाहती है कि यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाए?”
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