जम्मू, 19 फरवरी (भाषा) जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के अध्यक्ष सैयद अल्ताफ बुखारी ने शनिवार को उम्मीद जताई कि परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्ताव को लेकर उठाई गयी ‘‘चिंताओं’’ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संज्ञान लेंगे।
बुखारी ने जम्मू-कश्मीर के पांच सांसदों से भी आयोग का सहयोगी सदस्य होने के बावजूद कथित तौर पर लोगों की हितों की रक्षा करने में असफल होने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की। इस समय जम्मू-कश्मीर के पांच सांसदों में तीन नेशनल कांफ्रेंस के जबकि दो भाजपा के हैं।
उल्लेखनीय है कि परिसीमन आयोग ने अपने मसौदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर की लोकसभा और विधानसभ सीटों की सीमा में आमूल-चूल बदलाव का प्रस्ताव किया है जिसको लेकर यहां भारी विरोध हो रहा है।
आयोग ने चार फरवरी को सहयोगी सदस्यों को मसौदा रिपोर्ट भेजी थी और 14 फरवरी तक आपत्ति दर्ज कराने को कहा था।
पूर्व मंत्री बुखारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पहली प्राथमिकता के तौर पर परिसीमन आयोग के मसौदा रिर्पोट पर जताई गई चिंताओं पर संज्ञान लेंगे ।’’
बुखारी ने मसौदा प्रस्ताव को ‘‘जनता का असशक्तिकरण’’ करार देते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को जनता और देश के हित में वापस लेने की जरूरत है।’’
बुखारी ने अरोप लगाया कि मसौदा प्रस्ताव में क्षेत्रीय और धार्मिक विभाजन को सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है लेकिन पार्टी शुक्रगुजार है कि जनता इसे ‘‘स्वीकार’’नहीं करना चाहती।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने रिपोर्ट को इसलिए खारिज नहीं किया क्योंकि इसमें एक क्षेत्र को छह जबकि दूसरे को महज एक अतिरिक्त सीट दी गई है लेकिन जिस तरह से यह किया गया है, वह नहीं होना चाहिए था।’’
बुखारी ने कहा कि उन्हें यह कहने में बिलकुल हिचकिचाट नहीं है कि यह रिर्पोट भाजपा के हित को देखकर तैयार की गई और राष्ट्रीय सुरक्षा को नजर अंदाज किया गया क्योंकि कई सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्रों जैसे सुचेतगढ़ को खत्म किया गया या उन्हें इस तरह से दूसरे इलाके में मिलाया गया जिससे सीमावर्ती इलाकों में आक्रोश पैदा हो गया है।
भाषा धीरज रंजन
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