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Saturday, 23 November, 2024
होमदेशदार्शनिक और ABVP को आकार देने वाले- कौन हैं मदन दास जिनके निधन पर लगा BJP और RSS नेताओं का जमावड़ा

दार्शनिक और ABVP को आकार देने वाले- कौन हैं मदन दास जिनके निधन पर लगा BJP और RSS नेताओं का जमावड़ा

RSS के पूर्व संयुक्त महासचिव मदन दास का पिछले हफ्ते निधन हो गया. BJP प्रमुख जेपी नड्डा सहित तमाम पार्टी और RSS के तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें याद किया.

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नई दिल्ली: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सोमवार शाम एक सभा में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिग्गज आरएसएस के पूर्व संयुक्त महासचिव मदन दास देवी को याद करने और उनका सम्मान करने के लिए एक साथ आए. एक सप्ताह पहले उनका निधन हो गया.

कार्यक्रम स्थल एक हजार से अधिक उपस्थित लोगों से खचाखच भरा हुआ था और गणमान्य व्यक्ति उनका सम्मान करने के लिए आते रहे.

उपस्थित लोगों में भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और पीयूष गोयल, अनुराग ठाकुर और धर्मेंद्र प्रधान सहित कई केंद्रीय मंत्री शामिल थे. पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल बी.एस. कोश्यारी और आरएसएस के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबले, सुरेश सोनी और कृष्ण गोपाल भी उपस्थित थे.

81 वर्षीय हिंदुत्व विचारक मदन दास का 24 जुलाई की सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया. 26 जुलाई को पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित वरिष्ठ भाजपा और आरएसएस नेताओं ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी.

सोमवार को हुए कार्यक्रम में, उपस्थित कई नेता – जैसे कि नड्डा, नायडू, होसबले, भाजपा के राजनाथ सिंह और वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला – मदन दास की यादें शेयर करने के लिए मंच पर आए.

दिवंगत आरएसएस नेता को छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है, जिसके वह 22 वर्षों तक अखिल भारतीय संगठन मंत्री थे. बाद में उन्हें आरएसएस के संयुक्त महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया.

BJP president JP Nadda pays his respects | Photo by Suraj Singh Bisht, ThePrint
भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने दी श्रद्धांजलि | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट, दिप्रिंट

नड्डा के अनुसार, तीन पीढ़ियों के भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं का मदन दास देवी को श्रद्धांजलि देने के लिए इतनी बड़ी संख्या में एक साथ एकत्र होना, उनके व्यक्तित्व, कार्य और बलिदान का प्रमाण है.

नड्डा, जो एबीवीपी में भी थे और मदन दास के अधीन काम करते थे, ने याद करते हुए कहा कि जब आरएसएस के नेता संगठन का नेतृत्व कर रहे थे, तो उस वक्त माहौल अनुकूल नहीं था.

नड्डा ने कहा, “उन्होंने छात्र सक्रियता को बढ़ावा दिया और लाखों समर्पित कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया. आपातकाल की उथल-पुथल के बीच भी, उनके नेतृत्व ने संगठन को दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ाया.”


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‘देश भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया’

कार्यक्रम में बोलते हुए, होसबले ने कहा, “मदन दासजी को लोगोंं के व्यवहार को समझने में महारथ हासिल थी. वे मानव-निर्माण एवं संगठन-निर्माण के अद्भुत शिल्पकार थे.”

अटल बिहारी वाजपेयी युग के दौरान भाजपा और आरएसएस के बीच एक “पुल” के रूप में मदन दास की भूमिका का उल्लेख करते हुए, होसबले ने कहा, “1990 और 2004 के बीच, भाजपा और आरएसएस के बीच संपर्क व्यक्ति (Contact Person) होने की जिम्मेदारी उन पर थी. उन वर्षों में सरकारें आईं और गईं. संघ परिवार के साथ-साथ व्यक्ति और पार्टी की विचारधारा पर भी नजर रखते हुए नैय्या पार करना आसान नहीं था.’

उन्होंने कहा, “तमाम विशेषज्ञों के होने के बावजूद इतनी कुशलता से सभी का दिल जीतकर उन्होंने अपने (मदन दास) संगठनात्मक कौशल का परिचय दिया.”

राजनाथ सिंह ने बताया कि मदन दास ने चार्टर्ड अकाउंटेंट की एजुकेशन प्राप्त की थी और वह इसे आसानी से करियर के रूप में चुन सकते थे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने देश के लिए काम करने का फैसला किया.

सिंह ने कहा, “जब मैं एबीवीपी का युवा कार्यकर्ता था, तो मुझे याद है कि वह मुझसे पूछते थे, ‘मैं सोच रहा हूं कि हमें एबीवीपी के काम का विस्तार करने के लिए ऐसा करना चाहिए. आप क्या सोचते हैं?’. हम सिर्फ छोटे कार्यकर्ता थे और उन्हें हमसे हमारे विचार पूछने की जरूरत नहीं थी, लेकिन वह युवा कार्यकर्ताओं से सीखने के लिए उत्सुक थे और उनकी राय को महत्व देते थे,”

नायडू ने स्वीकार किया कि एबीवीपी ने उन्हें एक परिवर्तनकारी प्रशिक्षण मैदान प्रदान किया. वह याद करते हुए कहते हैं कि कैसे कम उम्र में आरएसएस के साथ जुड़ाव ने उन्हें एबीवीपी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, जहां उन्होंने आवश्यक संगठनात्मक कौशल सीखे जो बाद में एक राजनीतिक नेता के रूप में उनकी यात्रा को आकार देंगे.

“जब भी मैं मदनजी से मिलता था, तो मुझे जीवन से जुड़ा कुछ न कुछ संदेश मिलता था, जिससे मुझे अपना भविष्य संवारने में मदद मिलती थी. वह एक दार्शनिक थे और बताते थे कि क्या अच्छा है और क्या करने की ज़रूरत है. वह एक महान संगठनकर्ता, महान विचारक और ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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