प्रयागराज, 13 जून (भाषा) शहर के अटाला और करेली में शुक्रवार को हुए पथराव के बाद इस घटना के कथित मास्टरमाइंड मोहम्मद जावेद के करेली स्थित मकान को गिराए जाने के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।
इस बीच, बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में हिंसा के आरोपियों के मकानों को ध्वस्त किए जाने की कार्रवाई की कटु आलोचना करते हुए इसे अनुचित करार दिया और कहा कि अदालतों को इसपर संज्ञान लेना चाहिए।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) और जिला प्रशासन ने रविवार को जावेद उर्फ पंप के दो मंजिला मकान को दो जेसीबी मशीनों और एक पोकलैंड की मदद से गिरा दिया। पीडीए का कहना है कि जावेद के भवन का नक्शा प्राधिकरण द्वारा पास नहीं कराया गया था।
जिला अधिवक्ता मंच के पांच अधिवक्ताओं की ओर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई पत्र याचिका में दावा किया गया है कि पीडीए ने जिस मकान को गिराया है, वास्तव में उस मकान का स्वामी जावेद नहीं बल्कि उसकी पत्नी परवीन फातिमा है।
याचिका में बताया गया है कि उक्त मकान को परवीन फातिमा की शादी से पूर्व उनके माता-पिता ने उन्हें तोहफे में दिया था। चूंकि जावेद का उस मकान और जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं है, इसलिए उस मकान का ध्वस्तीकरण कानून के मूलभूत सिद्धांत के खिलाफ है।
याचिका में यह दावा भी किया गया है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को सही ठहराने के लिए पीडीए ने 11 जून को परवीन फातिमा के मकान पर एक नोटिस चस्पा दिया और उसमें पूर्व की तारीख पर कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने का उल्लेख किया गया। यह नोटिस ना तो जावेद और ना ही उनकी पत्नी परवीन फातिमा को कभी प्राप्त हुआ।
याचिका के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता जावेद को 10 जून की रात गिरफ्तार किया गया और 11 जून को खुल्दाबाद थाना में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। याचिका दायर करने वाले अधिवक्ताओं में केके राय, मोहम्मद सईद सिद्दीकी, राजवेंद्र सिंह, प्रबल प्रताप, नजमुस्सकिब खान और रवींद्र सिंह शामिल हैं।
इस बीच, बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘‘यूपी सरकार एक समुदाय विशेष को टारगेट करके बुलडोजर विध्वंस व अन्य द्वेषपूर्ण आक्रामक कार्रवाई कर विरोध को कुचलने एवं भय व आतंक का जो माहौल बना रही है यह अनुचित व अन्यायपूर्ण। घरों को ध्वस्त करके पूरे परिवार को टारगेट करने की दोषपूर्ण कार्रवाई का कोर्ट जरूर संज्ञान ले।’’
मायावती ने आगे कहा, ‘‘जबकि समस्या की मूल जड़ नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल हैं जिनके कारण देश का मान-सम्मान प्रभावित हुआ व हिंसा भड़की, उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं करके सरकार द्वारा कानून के राज का उपहास क्यों? दोनों आरोपियों को अभी तक जेल नहीं भेजना घोर पक्षपात व दुर्भाग्यपूर्ण। तत्काल गिरफ्तारी जरूरी।’’
जावेद के मकान पर चस्पा किए गए नोटिस के मुताबिक जावेद का मकान पीडीए से नक्शा पास कराए बगैर बनाया गया था जिसके लिए उसे 10 मई, 2022 को नोटिस जारी किया गया था और उसे अपना पक्ष रखने के लिए 24 मई, 2022 की तिथि आबंटित की गई थी।
निर्धारित तिथि पर जावेद या फिर उनका वकील नहीं आया और ना ही कोई अभिलेख प्रस्तुत किया गया। इसलिए 25 मई को ध्वस्तीकरण आदेश पारित किया गया।
उल्लेखनीय है कि 10 जून को प्रयागराज में पथराव के दौरान भीड़ ने पुलिस के वाहन में आग लगाने का प्रयास किया और कुछ अन्य वाहनों में आग लगा दी। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस हिंसा में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। प्रदेश के अन्य चार जिलों में भी विरोध प्रदर्शन किए गए।
भाषा राजेंद्र अर्पणा
अर्पणा
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