मुंबई, 31 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के महाराष्ट्र सरकार के कदम को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है।
मंगेश ससाने द्वारा मंगलवार को दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को ‘‘प्रभावित’’ कर रही हैं। ससाने खुद को ‘ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन’ का अध्यक्ष बताते हैं।
उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, याचिका पर छह फरवरी को सुनवाई की संभावना है।
याचिका में मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति देने वाले, 2004 से जारी पांच सरकारी प्रस्तावों को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता के वकील आशीष मिश्रा ने दावा किया, ‘‘पहले मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया कठिन थी, लेकिन हर आंदोलन के साथ प्रक्रिया को आसान बना दिया गया। यह सिर्फ मराठाओं को (आरक्षण के लिए) सुविधा देने के लिए था।’’
याचिका में कहा गया कि 2021 में उच्चतम न्यायालय ने मराठाओं को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।
मिश्रा ने दावा किया, ‘‘अब सरकार मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने और आरक्षण लाभ की अनुमति देकर उन्हें पिछले दरवाजे से प्रवेश दे रही है।’’
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल ने सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की मांग करते हुए 20 जनवरी को जालना के अंतरवाली सराटी से मुंबई तक मार्च शुरू किया। कुनबी प्रमाण पत्र से मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण के तहत लाभ मिल पाएगा।
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा
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