नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लागू होने के बाद से भारत में प्रति व्यक्ति आय में वास्तविक रूप से 33.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर एक हलफनामे में दावा किया कि लोगों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से बड़ी संख्या में परिवार उच्च आय वर्ग में आ गये हैं।
केन्द्र ने कहा, ‘‘पिछले आठ वर्षों के दौरान, एनएफएसए के लागू होने के बाद से, भारत में प्रति व्यक्ति आय में वास्तविक रूप से 33.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे बड़ी संख्या में परिवार उच्च आय वर्ग में आ गये हैं और वे उतने असुरक्षित नहीं रहे जितने वे 2013-14 में थे।’’
हलफनामा प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी कदमों के अनुरोध वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया।
खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने 10 सितंबर, 2013 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को अधिसूचित किया था।
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का उल्लेख करते हुए, केंद्र ने कहा कि ग्रामीण लोगों के लिए 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के लिए 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा में काफी कमी आई है, जिन्हें 2013-14 में कमजोर श्रेणी में माना जाता था।
उसने कहा, ‘‘एनएफएसए में अपात्र परिवारों को बाहर न करने से केंद्र सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ जाता है।’’
केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि एनएफएसए के तहत पिछले आठ वर्षों में लगभग 4.7 करोड़ राशन कार्ड जोड़े गए हैं।
उसने कहा, ‘‘एनएफएसए के तहत समग्र राष्ट्रीय सीमा 81.4 करोड़ लाभार्थियों की है और कुछ राज्यों को अभी अपने राज्य की सीमा तक पहुंचना बाकी है। 31 अगस्त को वास्तविक राष्ट्रीय कवरेज लगभग 79.8 करोड़ है।’’
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि प्रवासी श्रमिक राष्ट्र के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके अधिकारों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने केंद्र से एक तंत्र विकसित करने के लिए कहा था ताकि उन्हें बिना राशन कार्ड के खाद्यान्न प्राप्त हो सके।
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देवेंद्र माधव
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