नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के बुराड़ी इलाके में रविवार को आयोजित एक ‘हिंदू महापंचायत’ में कथित तौर पर सांप्रदायिक गालियां दी गईं और कुछ पत्रकारों ने यहां तक दावा किया है कि उन पर हमला भी किया गया. हालांकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्होंने ऐसी किसी आयोजन की अनुमति देने से ही इंकार कर दिया था.
‘सेव इंडिया फाउंडेशन’ नामक एक संस्था के प्रमुख प्रीत सिंह द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों में से एक शख्स हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच (नफरत फ़ैलाने वाले भाषण) के आरोपी यति नरसिंहानंद भी थे, जिन्होंने कथित तौर पर वहां उपस्थित लोगों से कहा कि अगर देश को एक मुस्लिम प्रधानमंत्री मिलता है तो 40 प्रतिशत हिंदुओं को ‘मार डाला जाएगा’. उन्होंने कथित तौर पर हिंदुओं से ‘हथियार उठाने’ का भी आह्वान किया.
@mdmeharban03 @meerfaisal01 @MeghnadBose93 and I had gone to cover the Hindu Mahapanchayat at Burari Ground in Delhi today. The event was called by Save India Foundation. Yati Narsinghanand, Pinky Choudhary, Sushil Tiwari, Suresh Chahvanke and Preet Singh were there. 1/n pic.twitter.com/z9bf9eIlUJ
— Arbab Ali (@arbabali_jmi) April 3, 2022
हिंदू रक्षा दल के प्रमुख पिंकी चौधरी, हिंदू सेना नामक छुटभैया संगठन, जो खुद को एक ‘राष्ट्रवादी संगठन’ बताता है, के प्रमुख सुशील तिवारी और सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे.
दिल्ली पुलिस के अनुसार आयोजकों को इस कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी, फिर भी उन्होंने इसे आयोजित किया.
पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि वह फ़िलहाल ‘नफरत भड़काने’ और ‘धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य अथवा दुश्मनी को बढ़ावा देने’ से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की प्रक्रिया में है. कार्यक्रम स्थल पर मारपीट करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
इस सूत्र ने कहा, ‘सबसे पहले तो उन्होंने बिना अनुमति के यह कार्यक्रम आयोजित किया. दूसरे, उन पर लोगों से मारपीट के आरोप लग रहे हैं. धार्मिक और हेट स्पीच के आधार पर समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने के संबंध में धाराएं भी लगाई जा रही हैं. हम मामले की पूरी तरह से जांच करेंगे.’
इस कार्यक्रम को कवर करने पहुंचे कुछ पत्रकारों ने ट्विटर पर आरोप लगाया कि उनकी मुस्लिम पहचान के कारण उन्हें इसमें प्रवेश दिए जाने से मना कर दिया गया, जबकि कई अन्य के साथ मारपीट भी की गई. कुछ पत्रकारों ने पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिए जाने का भी दावा किया. हालांकि, डीसीपी (उत्तर-पश्चिम) उषा रंगरानी ने इसके जवाब में कहा कि कुछ पत्रकार ‘उनकी वहां मौजूदगी की वजह से उत्तेजित हो रही भीड़ से बचने’ के लिए ‘अपनी मर्जी से’ पुलिस वैन में चढ़ गए थे.
बता दें कि इस कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह को पिछले साल अगस्त में दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम, जहां कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाए गए थे, के आयोजकों में से एक के रूप में गिरफ्तार किया गया था. नरसिंहानंद और सिंह दोनों फ़िलहाल क्रमश: हरिद्वार ‘धर्म संसद’ और जंतर-मंतर मामले में जमानत पर बाहर हैं.
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नरसिंहानंद का भाषण
कथित तौर पर इसी कार्यक्रम के दौरान लिए गए एक वीडियो में, जिसे दिप्रिंट द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है, नरसिंहानंद को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर देश को एक मुस्लिम पीएम मिलता है, तो ‘आपमें से 50 प्रतिशत (हिंदू) अगले 20 साल में अपने धर्म को बदल देंगे और अन्य 40 प्रतिशत ‘मारे जाएंगे’.
उन्होंने कथित तौर पर वहां मौजूद भीड़ से कहा, ‘यही हिंदुओं का भविष्य है. यदि आप इसे बदलना चाहते हैं, तो मर्द बनो. मर्द बनना होता क्या है? मर्द वह है जो हथियारबंद है.‘
उन्हें कथित तौर पर उनके भाषण के एक अन्य वीडियो क्लिप में यह भी कहते हुए देखा गया था, ‘बस बच्चे पैदा करो. अभी जाइये, और जो लोग बच्चे पैदा कर सकते हैं, वे अभी ऐसा करें! और फिर उन्हें लड़ने-भिड़ने में सक्षम बनाएं. बड़ी तोंद वाले हिंदू किसी काम के नहीं हैं. अगर आप (हिंदू) हिंदुओं और मुसलमानों के बीच लड़ाई नहीं चाहते हैं, तो इसका बस एक ही रास्ता है…’
नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली माने जाने वाले डासना देवी मंदिर के प्रमुख हैं. वह पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार में एक ‘धर्म संसद’ में बोलने वाले कई धार्मिक नेताओं में से एक थे, और वहां उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान भी किया था.
उन्हें जनवरी में गिरफ्तार किया गया था और फिर फरवरी में जमानत पर रिहा कर दिया गया था.
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पत्रकारों ने लगाया धार्मिक भेदभाव और मारपीट का आरोप
‘आर्टिकल 14’ के लिए इस कार्यक्रम को कवर करने पहुंचे स्वतंत्र पत्रकार अरबाब अली ने आरोप लगाया कि आयोजकों ने उन्हें उनका प्रेस कार्ड और उनके समाचार संगठन का एक पत्र दिखाने के बाद भी ऐसा करने की मंजूरी नहीं दी अरबाब का दावा है कि उनसे कहा गया कि ‘इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता. तुम एक मुसलमान हो.‘
ट्विटर पर किये गए पोस्टस की एक श्रृंखला में अरबाब ने दावा किया कि जब वह और उनके साथी पत्रकार मीर फैसल वीडियो ले रहे थे और साक्षात्कार रिकॉर्ड कर रहे थे, तो ‘दक्षिणपंथियों के एक समूह’ ने उनके साथ टोका-टाकी की.‘ वे जहर उगल रहे थे और सांप्रदायिक भाषण दे रहे थे.
They were spewing venom and making communal speeches. @meerfaisal01 and I were taking interviews of people. Suddenly, a group of right-wingers came to us and snatched our cameras and phones. They asked us our names. When Meer and I told them our name, they called us jihadi. 2/n
— Arbab Ali (@arbabali_jmi) April 3, 2022
उन्होंने आगे यह भी दावा किया कि इस समूह ने उन्हें उनके उपकरणों से ‘सभी फुटेज को डिलीट करने’ को मजबूर करने से पहले उन्हें और फैसल को ‘जिहादी’ कहा. अरबाब ने ट्विटर पर लिखा है, ‘दो महिला पुलिस अधिकारी और दो पुरुष पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में हमारे पास आए और हमें जबरदस्ती एक सुनसान जगह पर ले गए.
They then asked for our media cards, IDs and made us delete the videos and photos in our phones. They made us sit at a separate stop, more than 50 police personnel were there but they didn’t budge. They then attacked Meer on the head and pushed me around. 3/n
— Arbab Ali (@arbabali_jmi) April 3, 2022
‘फिर उन्होंने हमारे मीडिया कार्ड, आईडी मांगे और हमसे हमारे फोन में वीडियो और तस्वीरें डिलीट करवा दीं. उन्होंने हमें एक अलग थलग जगह पर बिठाया, वहां 50 से अधिक पुलिस कर्मी थे, लेकिन वे हिले भी नहीं फिर उन्होंने मीर के सिर पर वार किया और मुझे जोर से धकेल दिया.‘
अरबाब ने आगे लिखा, ‘पुलिसवाले हम दोनों को धक्का दे रहे थे. हमें बिल्कुल नहीं पता था कि वे कौन थे. हमें लगा कि वे भी हिंदू भीड़ का ही हिस्सा हैं और जल्द ही हम पर हमला करेंगे. लगभग 150 दक्षिणपंथियों की भीड़ ने हम दोनों का पीछा किया. वे हमें बुला रहे थे और कह रहे थे कि हमें पीटा जाएगा.’
पत्रकार शिवांगी सक्सेना और रौनक भट, जो ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ के लिए इस कार्यक्रम को कवर कर रहे थे, ने भी आरोप लगाया कि उन पर हमला किया गया और उनके साथ हाथापाई भी की गई.
अरबाब ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें और फैसल को एक पुलिस वैन में धकेल दिया, जो तब जबरदस्ती इस वाहन में घुसने की कोशिश कर रही ‘भीड़से ‘घिरी थी.
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘@MeghnadBose93 वैन के अंदर आए और उन्होंने पुलिस से हमें ले जाने के लिए कहा. अचानक, वैन का दरवाजा खुल गया और एक दक्षिणपंथी शख्स अंदर आया तथा हमारे बगल में बैठे पुलिसकर्मी को घूंसा मार दिया. घायल हो चुके @mdmeharban03 और एक अन्य पत्रकार पुलिस वैन के अंदर आ गए. फिर पुलिस हमें मुखर्जी पीएस (पुलिस स्टेशन) ले गई.’
द क्विंट के पत्रकार मेघनाद बोस ने दावा किया कि पुलिस ने अरबाब, फैसल और कुछ अन्य लोगों के साथ उन्हें भी हिरासत में लिया था. उन्होंने ट्वीट किया, ‘नई दिल्ली में हिंदू महापंचायत के मुस्लिम विरोधी हेट स्पीच वाले कार्यक्रम में हिंदू भीड़ द्वारा दो युवा मुस्लिम पत्रकारों, मीर फैसल और मोहम्मद मेहरबान, पर हमला किया गया. मुझे और चार अन्य पत्रकारों (सभी चार मुस्लिम) को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया. अभी पुलिस की गाड़ी में हूँ.’
BREAKING: Meer Faisal and Mohd Meharban, two young Muslim journalists assaulted by a Hindu mob at Hindu Mahapanchayat anti-Muslim hate speech event in New Delhi.
Me and four other journalists (all 4 Muslims) detained by the Delhi Police. In a police vehicle right now@TheQuint
— Meghnad Bose (@MeghnadBose93) April 3, 2022
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों को हिरासत में लेने से इनकार किया है. डीसीपी नॉर्थ-वेस्ट उषा रंगरानी ने ट्विटर पर बोस को जवाब देते हुए लिखा : ‘कुछ पत्रकार स्वेच्छा से, अपनी मर्जी से, उस भीड़ से बचने के लिए जो उनकी मौजूदगी की वजह से उत्तेजित हो रही थी, कार्यक्रम स्थल पर तैनात पीसीआर वैन में बैठ गए और उन्होंने सुरक्षा कारणों से पुलिस स्टेशन जाने का विकल्प चुना. किसी को हिरासत में नहीं लिया गया. उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई. गलत सूचना फैलाने के लिए ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ उचित और आवश्यक कार्रवाई शुरू की जाएगी.’
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