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Friday, 20 December, 2024
होमदेश‘शांति भंग नहीं होगी’: J&K में अनुच्छेद-370 से पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने शाह को क्या बताया

‘शांति भंग नहीं होगी’: J&K में अनुच्छेद-370 से पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने शाह को क्या बताया

‘कितने गाजी आए कितने गाजी गए’ अपनी आत्मकथा में के.जे.एस. ढिल्लों ने तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेच-370 को निरस्त किए जाने से पहले व्यवस्थाओं का जायज़ा लेने गए केंद्रीय गृह मंत्री की जून 2019 की यात्रा के बारे में लिखा है.

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नई दिल्ली: रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और सेना की रणनीतिक XV कोर के प्रमुख के.जे.एस. ढिल्लों ने पेंगुइन द्वारा 14 फरवरी को प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘कितने गाजी आए कितने गाजी गए’ में लिखा, ‘‘अगर इतिहास लिखना है तो किसी को इतिहास बनना पड़ेगा’’.

ढिल्लों के अनुसार, यह बात उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कही थी, जब शाह ने जून 2019 में नाश्ते की बैठक के दौरान उनसे पूछा था, ‘‘क्या गारंटी है कि चीजें शांतिपूर्ण रहेंगी (जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने पर)?’’.

ढिल्लों ने लिखा, 26 जून, 2019 को शाह की श्रीनगर यात्रा, जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के सरकार के संकल्प को अंतिम रूप देने के लिए थी और मंत्री के साथ बैठक के दौरान, शाह ने उनसे कार्रवाई के नतीजों के बारे में पूछा था और उस पर एक संभावित प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा था, “गृह मंत्री को मेरा आश्वासन था कि किसी भी तरह से शांति भंग नहीं होगी.”

भारत ने 2019 में संविधान के अनुच्छेद-370 और 35 को निरस्त कर दिया था – एक प्रावधान जो जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था – ढिल्लों की आत्मकथा घोषणा के बाद के दिनों की एक विस्तृत झलक दिखाती है.

इन जानकारियों के साथ, वे उसी समय पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए आयोजित एक डिनर पार्टी के बारे में लिखते हैं, जहां ढिल्लों मेज़बान होने के बावजूद देर से पहुंचे.

किताब में, ढिल्लों ने शाह के साथ मुलाकात का सूक्ष्म विवरण दिया है, 5 अगस्त, 2019 को जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 पर अंतिम निर्णय लिया था, उस क्षेत्र के आसपास की पूरी स्थिति को समाहित करती है. घाटी में तनाव और आसपास की गोपनीयता जानकारी उनके शब्दों में स्पष्ट है.

घटनाक्रम के बारे में बताते हुए ढिल्लों लिखते हैं, “मुझे 2 बजे फोन आया कि मुझे गृह मंत्री के साथ सुबह 7 बजे मिलने की सूचना है. यह जानकारी मुश्किल से समझ में आई थी, जब एक घंटे बाद मुझे एक और कॉल आया. इस बार मुझसे मेरी पसंद के नाश्ते के भोजन के बारे में पूछा गया.”

लेखक लिखते हैं, इस समय तक वो उस झटके के लिए तैयार नहीं थे लेकिन निमंत्रण को लेकर विनम्र थे. “मुझे बताया गया था, आप बैठक में अकेले शामिल होंगे. आपके साथ वन-टू-वन वार्ता होने का इरादा है.”


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ढिल्लों का उल्लेख है कि वे सुबह 7 बजे पहुंचे और शाह दिन के कार्यक्रमों के लिए तैयार थे और उसके बाद जो हुआ वो एक घंटे की गहन चर्चा थी.

किताब में कहा गया है, “चर्चा में ‘पथ-प्रवर्तक घोषणा’ के लिए पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को समझना, नियंत्रण रेखा पर प्रभाव और पाकिस्तान की प्रत्याशित प्रतिक्रिया के पक्ष और विपक्ष को समझना शामिल था.”

ढिल्लों लिखते हैं, “मुझे यह बताना चाहिए कि गृह मंत्री पूर्ण नियंत्रण में थे और एजेंडे से पूरी तरह वाकिफ थे…उन्होंने व्यापक शोध और होमवर्क किया था…वे सेना और उसके संचालन से संबंधित कुछ आंतरिक और महत्वपूर्ण मुद्दों की तलाश कर रहे थे…उन्होंने संभावित घटनाओं के फ्लैशप्वाइंट को छुआ भी और अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हम घटनाओं को कैसे संभालेंगे.

लेखक याद करते हैं, “बैठक के अंत में उन्होंने जाते हुए कहा-‘क्या गारंटी है कि चीजें शांतिपूर्ण रहेंगी’ और मेरा ईमानदार और आत्मविश्वासपूर्ण उत्तर था ‘मेरी ओर से, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि शांति भंग नहीं होगी.”

इस बात से प्रभावित होकर कि शाह किस तरह से स्थिति के लिए तैयार थे, ढिल्लों लिखते हैं, ‘‘गृह मंत्री का ज्ञान और स्थिति का गहन आकलन, संभावित नतीजों सहित, असाधारण था.’’ बैठक के बारे में पत्नी के सवालों के जवाब के बारे में ढिल्लों याद करते हैं, “20 युवराज मिल कर भी इस बंदे का (शाह का) मुकाबला नहीं कर सकते (20 राजकुमारियां एक साथ इस व्यक्ति से मेल नहीं खा सकती हैं)”.

किताब बताती है कि चिनार हाउस, चिनार कोर कमांडरों का एक आधिकारिक आवास है.एक ऐसी जगह जहां से कागज़ का एक टुकड़ा भी चार दीवारी से बाहर नहीं जाता. ढिल्लों लिखते हैं, यह बैठकों का मैदान बन गया, क्योंकि “तैयारी से समझौता किए बिना आसन्न सरकार के फैसले की गोपनीयता बनाए रखना मुख्य पूर्व शर्त थी”.

धोनी के साथ डिनर

पांच अगस्त को, जब संसद अनुच्छेद-370 को निरस्त करने पर चर्चा कर रही थी, ढिल्लों एक बहुत प्रसिद्ध अतिथि के लिए रणनीति बैठक में व्यस्त थे.

ढिल्लों बताते हैं, “भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के एक प्रादेशिक सेना अधिकारी, अपनी बटालियन के साथ ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए कश्मीर आए थे, जो उस समय चिनार कोर में तैनात थे.”

उसी दिन शाम को सुरक्षाबलों की पूरी टीम ने स्थिति का जायज़ा लेने के लिए बैठक की. लेखक बताते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शाम को पहुंचे और लगभग एक पखवाड़े तक वहीं रहे, व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा टीमों की सभी दैनिक बैठकों की अध्यक्षता भी की.

ढिल्लन लिखते हैं, “एक ब्रेक लेते हुए, धोनी उस दिन मुझसे मेरे कार्यालय में मिले और उसी शाम, वह दूसरों के साथ रात के खाने के लिए मेरे निवास पर आने वाले थे. हम सभी एब्रोगेशन के बाद की स्थिति से निपटने की तैयारी में व्यस्त थे, लेकिन सभी नियमित गतिविधियों को पूरा करना था-ज्यादातर सामान्य स्थिति दिखाने के लिए और विरोधी तत्वों को हमारे इरादों को भांपने नहीं देना था. सेना में हम इसे ‘आश्चर्य और धोखा’ कहते हैं और मैं साहस के साथ कहता हूं, हमने इसे सैन्य सटीकता की हद तक हासिल किया.”

उन्होंने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा ने ढिल्लों के लिए काम का पहाड़ खड़ा कर दिया.

वे लिखते हैं, “मैं अपनी भविष्य की योजनाओं का पता लगाने में बेहद व्यस्त था, अगर समय रहते चीज़ों को नियंत्रित नहीं किया गया तो अब इसमें बाधा आ सकती है. इसलिए डिनर पार्टी का होस्ट होने के बावजूद मैं रात 11:30 बजे घर लौटा, जहां धोनी समेत सभी मेहमान मेरा इंतज़ार कर रहे थे.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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