पटना: पटना के जे.डी वुमेंस कॉलेज ने बुर्का पर प्रतिबंध लगा दिया है. कॉलेज प्रशासन ने यह भी कहा है कि अगर कोई छात्रा कॉलेज परिसर में बुर्का पहने पाई जाती है तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
गुरुवार को जारी किए गए नोटिस में कॉलेज प्रशासन ने कहा कि बुर्का पहने कर कॉलेज परिसर में नजर आने वाली छात्रा पर 250 रुपये का फाइन लगाया जाएगा.
नोटिस का बचाव करते हुए कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ श्यामा रॉय ने कहा,’ इस आदेश में नया कुछ भी नहीं है. इसका उद्देश्य कॉलेज ड्रेस कोड लागू करना है, जो सलवार-कमीज और दुपट्टा है. ड्रेस कोड का उद्देश्य कॉलेज परिसर में एकरूपता लाना है.’
उन्होंने कहा कि कॉलेज में ड्रेस कोड सात वर्षों से भी अधिक समय से लागू है.
यह भी पढ़े: राजद इस बार बिहार गठबंधन को अपनी शर्तों पर चलाना चाहती है, लेकिन अन्य पार्टियां इसके लिए तैयार नहीं
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यह नोटिस तभी जारी किया जाता है जब कोई ड्रेस कोड का उल्लंघन करता है. मैंने अपनी मुस्लिम छात्राओं से कहा है कि वह बुर्का में कॉलेज के गेट तक आ सकती हैं. लेकिन जैसे ही वह गेट के अंदर प्रवेश करती हैं उन्हें बुर्का फोल्ड करके बैग में रखना होगा.’
रॉय ने यह भी कहा कि कुछ तत्व इस कदम का गलत तरीके से विवरण कर रहे हैं.
नोटिस मुस्लिम लड़कियों के लिए मुश्किल पैदा करेगा
एक मुस्लिम छात्रा जो इस कॉलेज में ही पढ़ती है उसने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘ मैं नहीं समझ पा रही हूं कि इससे परिसर में क्या असुविधा होने वाली है, बुर्का अगर मैं बैग में रखती हूं तो मुझे असुविधा होती है.’
बिहार की राजधानी पटना के बेली रोड पर स्थित जे.डी वुमेंस कॉलेज पटना वुमेंस कॉलेज और मगध महिला कॉलेज के बाद यहां का तीसरा लड़कियों का सबसे पसंदीदा कॉलेज है. कॉलेज में कोई छात्रसंघ नहीं है.
गया के ओरिएंटल कॉलेज के शिक्षक मौलाना शाकिल क़ासमी ने कहा, कॉलेज द्वारा दिया गया आदेश कॉलेज जाने वाली मुस्लिम लड़कियों के लिए वाधा उत्पन्न करेगा.
वह कहते हैं, ‘कॉलेज जाने वाली मुस्लिम लड़कियों का अनुपात वैसे भी बहुत कम है. कॉलेज को यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए था कि अल्पसंख्यक समुदाय की अधिक लड़कियां परिसर में आएं.
आरजेडी ने कहा यह तालिबानी आदेश है
इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल ने कॉलेज के इस आदेश को ‘तालिबानी ऑर्डर’ कहा है और मांग की है कि वह इसे वापस लें.
आरजेडी के विधायक भाई बीरेंद्र ने कहा, ‘ यह एक तालिबानी आदेश है. आपत्तिजनक कपड़ों पर प्रतिबंध होना चाहिए लेकिन बुर्का या कुर्ता-पायजामा में कुछ भी गलत नहीं है. हम मांग करते हैं कि कॉलेज अपना नोटिस वापस ले.
यह भी पढ़े: बिहार के वो शक्तिशाली आईएएस अधिकारी, जिन पर नीतीश कुमार अपने मंत्रियों से ज्यादा निर्भर हैं
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा यह स्पष्ट करने के बाद कि वह भाजपा के साथ बने रहेंगे और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन करेंगे, अल्पसंख्यकों की भावनाओं को आहत करने के लिए राज्य में अधिकारियों ने इस तरह के आदेश जारी किया है. हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी जदयू ने आरोप को खारिज कर दिया है.
जदयू के मंत्री नीरज कुमार ने कहा ड्रेस कोड का फैसला कॉलेज ने किया है, राज्य सरकार ने नहीं. उन्होंने आगे कहा राजद गैर मुद्दा को उड़ाने की कोशिश कर रहा है.
लेकिन जेडी (यू) के कुछ नेताओं ने दिप्रिंट से नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कॉलेज को ऐसे समय में नोटिस जारी नहीं करना चाहिए था जब बिहार में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है, तब जब दोनों को मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण माने जा रहे हैं.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)