scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशसंसदीय पैनल ने कहा- PMGSY के तहत बनी सड़कों की गुणवत्ता काफी खराब, सरकार को 'नकेल कसने' की जरूरत

संसदीय पैनल ने कहा- PMGSY के तहत बनी सड़कों की गुणवत्ता काफी खराब, सरकार को ‘नकेल कसने’ की जरूरत

संसद में पेश की गई एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) में पैनल ने गुणवत्ता जांच तंत्र के संबंध में ग्रामीण विकास मंत्रालय के स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया.

Text Size:

नई दिल्ली: एक संसदीय पैनल ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण की निगरानी में खराब गुणवत्ता वाली सामग्री के उपयोग को चिह्नित करते हुए इसपर “नकेल कसने” कसने को कहा है. 2000 में PMGSY की शुरुआत के बाद से, कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख योजना के तहत सात लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई गई हैं.

पिछले हफ्ते संसद में पेश की गई एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) में, ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसदीय पैनल, जिसने ग्रामीण सड़क योजना का आकलन किया, ने गुणवत्ता जांच तंत्र के संबंध में मंत्रालय के स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया.

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सांसद कनिमोझी के नेतृत्व वाले पैनल ने PMGSY पर अपनी मूल रिपोर्ट में की गई सिफारिश को दोहराया, जिसे जुलाई में संसद में पेश किया गया था, और मंत्रालय के तहत ग्रामीण विकास विभाग से PMGSY के तहत सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता की निगरानी पर अपनी पकड़ मजबूत करने का आग्रह किया. 

जुलाई में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में, संसदीय पैनल ने अपनी नाराजगी जताई थी और कहा था कि PMGSY के तहत सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता पर समझौता बिल्कुल “अस्वीकार्य” है.

इसमें कहा गया है कि ठेकेदारों द्वारा कम बोली लगाने और PMGSY में एक प्रावधान के कारण सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता से समझौता किया गया था, जो उन्हें छोटे ठेकेदारों को काम सौंपने की इजाजत देता था.

जबकि PMGSY के तहत निर्मित सड़कों की डिजाइन अवधि कम से कम 10 साल होने की उम्मीद है, पैनल ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट में कहा, “ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें समिति का ध्यान निर्माण में इस्तेमाल की गई खराब सड़क सामग्री की ओर आकर्षित किया गया है. कई स्थानों पर सड़कें, जो मौसम की मार और यातायात की बढ़ोतरी को एक सीज़न के लिए भी झेलने में सक्षम नहीं हैं और मानसून की शुरुआत के साथ बह जाती हैं.”

पैनल की जुलाई की टिप्पणियों के जवाब में, मंत्रालय ने उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध किया था. इन उपायों में यह सुनिश्चित करना कि ठेकेदारों के पास अच्छी गुणवत्ता के साथ काम करने का बैकग्राउंड हो, अतिरिक्त बैंक गारंटी और असामान्य रूप से कम बोलियों से बचने के लिए अनुबंध को समाप्त करने का प्रावधान हो, और इन प्रतिक्रियाओं को ATR में शामिल किया गया था.

हालांकि, स्थायी समिति ने अपने ATR में कहा कि इन उपायों से भी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ.

पैनल ने कहा, “मंत्रालय द्वारा इतने कड़े प्रावधान किए जाने के बावजूद, समिति PMGSY के तहत सड़कों की खराब गुणवत्ता और जल्दी खराब होने के मामलों को देखकर चिंतित है.”

इसके बाद इसने मंत्रालय को अपने प्रावधानों के कार्यान्वयन पहलू पर अधिक ध्यान देने और जमीनी स्तर पर उनका अनुपालन सुनिश्चित करने की सिफारिश की.

गुणवत्ता जांचने के लिए मंत्रालय ने उठाए कदम

मंत्रालय ने PMGSY के तहत सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए त्रिस्तरीय गुणवत्ता ऑडिट तंत्र स्थापित किया है.

इसमें क्षेत्र प्रयोगशाला में सामग्री और कारीगरी पर अनिवार्य परीक्षणों के माध्यम से नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाइयों (PIU) द्वारा जांच शामिल है.

दूसरे स्तर में राज्य गुणवत्ता मॉनिटर (SQM) द्वारा जांच शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्माण के तीन चरणों में काम का निरीक्षण किया जाता है.

मंत्रालय के अनुसार, तीसरे स्तर में यादृच्छिक सड़क और पुल निरीक्षण के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास एजेंसी (NRIDA) द्वारा तैनात स्वतंत्र राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर (NQM) द्वारा जांच शामिल है.


यह भी पढ़ें: अदालतों में यूज़ होने वाले ‘जमादार’ जैसे शब्द औपनिवेशिक मानसिकता की पहचान, इसे हटाने की जरूरत- SC रिपोर्ट


12 दिसंबर को, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साधवी निरंजन ज्योति ने मंत्रालय द्वारा स्थापित गुणवत्ता जांच तंत्र पर एक संसद प्रश्न का उत्तर दिया.

SQM और NQM द्वारा निरीक्षण के दौरान पाए गए “असंतोषजनक” निर्माण कार्यों के विवरण के बारे में राज्य मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2022-23 में NQM द्वारा निरीक्षण किए गए 9.63 प्रतिशत पूर्ण कार्य असंतोषजनक पाए गए.

जब इन ग्रामीण सड़कों के रखरखाव की बात आती है, तो NQM ने पाया कि 2022-23 में 21.88 प्रतिशत रखरखाव का काम असंतोषजनक था. इसे प्रतिक्रिया में जोड़ा गया था.

ज्योति ने जवाब में कहा, “असंतोषजनक बताए गए कार्यों को सुधारने और कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकारों के साथ विचार किया जाता है.”

पर्यावरणीय खतरों पर चिंता

ATR में पैनल ने PMGSY के तहत ग्रामीण सड़कों के निर्माण में हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना करते हुए सड़क निर्माण में प्लास्टिक के उपयोग के कारण संभावित पर्यावरणीय खतरों पर भी चिंता जताई.

सड़क निर्माण में प्लास्टिक के उपयोग पर समिति द्वारा उठाई गई चिंता के जवाब में, मंत्रालय ने कहा कि प्लास्टिक जोड़ने की विषाक्तता और पर्यावरणीय उपयुक्तता के बारे में चिंताओं के संबंध में, अलग से स्टडी नहीं की गई है. समिति की सिफारिश को अनुपालन के लिए नोट कर लिया गया है.

समिति ने मंत्रालय से इस संबंध में जल्द से जल्द स्टडी कराने की सिफारिश की है.

(संपादन : ऋषभ राज)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: हरियाणा सरकार की 10,000 मज़दूरों की इज़रायल भेजने की योजना को लेकर विपक्ष क्यों हमलावर है?


 

share & View comments