scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशसंसदीय समिति ने UPSC को सिविल सेवा में भर्ती प्रक्रिया की अवधि कम करने का आदेश दिया

संसदीय समिति ने UPSC को सिविल सेवा में भर्ती प्रक्रिया की अवधि कम करने का आदेश दिया

समिति ने एक विशेश पैनल गठित करने की सिफारिश की है जो यह पता लगाएगी कि मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़ाई करने वाले शहरी उम्मीदवारों और गैर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले ग्रामीण उम्मीदवारों को समान अवसर मिल रहा है या नहीं.

Text Size:

नई दिल्ली: काार्मिक एवं प्रशिक्षण मामलों की स्थाई संसदीय समिति ने जोर देकर कहा है कि सिविल सेवा भर्ती की 15 महीने लंबी प्रक्रिया से उम्मीदवारों के महत्वपूर्ण साल जाया हो जाते हैं और इसके साथ ही उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. समिति ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया की अवधि को कम करने के लिए कहा है.

संसदीय समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यूपीएससी से यह भी कहा है कि वे उन कारणों का पता लगाए जिनकी वजह से सिविल सेवा की परीक्षा देने वाले अभ्यार्थियों की संख्या कम हो रही है.

उल्लेखनीय है कि यूपीएससी हर साल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार सहित तीन चरणों में परीक्षा आयोजित करती है.

संसदीय समिति ने कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी करने से लेकर अंतिम नतीजे जारी करने के लिए औसतन 15 महीने का समय लेती है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘समिति की राय है कि किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए आमतौर पर छह महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए क्योंकि भर्ती प्रक्रिया लंबी होने से उम्मीदवारों के जीवन के अहम साल बर्बाद हो जाते हैं और इसके साथ ही उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है.’’

समिति इसलिए सिफारिश करती है कि यूपीएससी को गुणवत्ता से समझौता किए बिना भर्ती प्रक्रिया में लगने वाली अवधि में कटौती करनी चाहिए.’’

आवेदन करने के बावजूद परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों की संख्या में गिरावट पर समिति ने कहा कि वर्ष 2022-23 में यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए करीब 32.39 अभ्यार्थियों ने आवेदन किया जबकि इनमें से केवल 16.82 लाख (51.95 प्रतिशत) ही वास्तव में परीक्षा में शामिल हुए.

समिति ने कहा कि उदारण के लिए वर्ष 2022 में आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के लिए 11.35 लाख अभ्यार्थियों ने आवेदन किया, लेकिन उनमें से केवल 5.73 लाख (50.51 प्रतिशत) ने ही परीक्षा दी.

समिति ने यूपीएससी से गत पांच साल में अभ्यार्थियों से परीक्षा शुल्क मद में एकत्रित राशि की जानकारी देने की अनुशंसा की है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘आयोग को अवधि (गत पांच साल) में परीक्षा आयोजित करने पर हुए व्यय की जानकारी दी जाए. समिति यह भी अनुशंसा करती है कि यूपीएससी परीक्षा में कम उम्मीदवारों के शामिल होने के कारणों की जांच करे और संबंधित जानकारी समिति से साझा करे.’’

समिति ने विशेषज्ञ समिति गठित करने की सिफारिश की है जो यह पता लगाएगी कि मौजूदा भर्ती प्रक्रिया से क्या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले शहरी उम्मीदवारों और गैर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाले ग्रामीण उम्मीदवारों को समान अवसर मिल रहा है या नहीं.

संसद में पेश रिपोर्ट में में समिति ने कहा कि विशेषज्ञ समूह से यह भी जांच की जाए कि प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा की मौजूदा परिपाटी क्या अभ्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि से परे समान अवसर प्रदान कर रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने सिफारिश की है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और यूपीएससी को विशेषज्ञ समूह द्वारा सिविल सेवा की परीक्षा कार्यक्रम और पाठ्यक्रम में सुझाए गए बदलाव पर विचार करना चाहिए.

समिति ने कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी करती है, इसे दूसरे शब्दों में कहें तो वह अभ्यार्थियों को अगले चरण की परीक्षा से पहले ही उत्तर को चुनौती देने के अवसर से वंचित करती है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘यह परिपाटी न केवल अभ्यार्थियों को हतोत्साहित करती है बल्कि परीक्षा प्रक्रिया की वैधता व पारदर्शिता से भी समझौता करती है. हालांकि, भर्ती एजेंसी उत्तर कुंजी के सही होने पर उच्चतम स्तर की सतर्कता बरतती है लेकिन इसमें गलती होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.’’

सिफारिश करती है कि यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही उत्तर कुंजी जारी करने के लिए इसमें कहा गया, ‘‘इसलिए समिति ऐसे कदम उठा सकती है ताकि सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यार्थियों को आपत्ति दर्ज करने का मौका मिले.’’

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


यह भी पढ़ें: राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने पर थरूर ने कहा- इससे भारतीय लोकतंत्र को नुकसान


 

share & View comments