नई दिल्ली : अक्सर जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मनमोहन समेत विपक्ष के नेताओं पर हमला करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पुराने संसद भवन से विदाई के वक्त इनकी जमकर तारीफ की और इनके योगदान को याद किया. साथ पीएम ने पुरानी संसद से विदाई को भावुक पल बताया.
लोकसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “पंडित नेहरू और शास्त्री जी से लेकर अटल बिहारी और मनमोहन सिंह जी तक, सब ने देश को नई दिशा दी है. आज सबका गुणगान करने का समय है. सबने इस सदन को समृद्ध करने और देश के सामान्य से सामान्य नागरिक को आवाज देने का काम किया है.”
पीएम मोदी ने कहा, “यह वह संसद है, जहां पंडित नेहरू ने आधी रात को भाषण दिया था जो आज भी सभी को प्रेरित करता है.”
गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू ने अपना यह भाषण “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” (‘Tryst with destiny’) 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि में वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा था, “यह एक ऐसा क्षण है, जो इतिहास में यदा-कदा आता है, जब हम पुराने से नए में कदम रखते हैं, जब एक युग का अंत होता है, और जब एक राष्ट्र की लंबे समय से दमित आत्मा नई आवाज पाती है. यकीकन इस विशिष्ट क्षण में हम भारत और उसके लोगों और उससे भी बढ़कर मानवता के हित के लिए सेवा-अर्पण करने की शपथ लें.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था, इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था, और इसी सदन ने भारत के लोगों की ताकत का एहसास कराते हुए लोकतंत्र की वापसी भी देखी थी.”
उन्होंने कहा, “जब इस संसद ने तीन मौजूदा प्रधानमंत्रियों – नेहरू जी, शास्त्री जी और इंदिरा जी- को खोया, तो उन्हें उचित तरीके से श्रद्धांजलि दी गई.”
मोदी ने कहा, “इस देश में दो प्रधानमंत्री ऐसे रहे (मोरारजी देसाई जी और वीपी सिंह जी) जिन्होंने कांग्रेस में अपना जीवन खपाया और एंटी कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे. ये भी इसकी विशेषता थी.”
मोदी ने कहा, “इस सदन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ‘कैश फॉर वोट’ घोटाला भी देखा.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संसद ने सिर्फ चार सांसदों वाली पार्टी को सत्ता में बैठे देखा, जबकि 100 से ज्यादा सांसदों वाली पार्टी विपक्ष में बैठे.
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मोदी ने कहा- पुरानी संसद से विदाई लेना भावुक पल
मोदी ने कहा, “हम भले ही नए भवन में जाएंगे. लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है. हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है.”
उन्होंने कहा, “मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानवीय की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया.”
“जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था. वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था.”
उन्होंने कहा कि आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया. एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं. उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं.
पीएम ने कहा कि 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है.
उन्होंने कहा, “ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था. लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों का लगा था.”
“यह देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले, उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का अवसर है.”
पीएम ने विशेष सत्र को छोटा, लेकिन ऐतिहासिक होने वाला बताया
प्रधानमंत्री ने कहा, “इस समय सारे देश में उमंग का माहौल और एक नया आत्मविश्वास हम सभी महसूस कर रहे हैं. उसी समय संसद का ये सत्र हो रहा है. ये सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब ये बहुत बड़ा है. ऐतिहासिक निर्णयों के ये सत्र है. इस सत्र की एक विशेषता ये है कि 75 साल की यात्रा अब नए मुकाम से शुरू हो रही है.”
उन्होंने कहा कि नए स्थान पर उस यात्रा को आगे बढ़ाते समय, नए संकल्प, नई ऊर्जा और नए विश्वास से काम करना है. 2047 तक देश को विकसित बनाना है. इसके लिए जितने भी निर्णय होने वाले हैं, वो सभी इस नए संसद भवन में होंगे.
पीएम मोदी ने विशेष सत्र से पहले कहा कि ये भारत को विकसित बनाने की का समय है, ये रोने धोने का समय नहीं है. अब हम भारत को विकसित बनाकर ही रहेंगे.
‘मैं सभी आदरणीय सांसदों से आग्रह करता हूं कि छोटा सत्र है. वो यहां उमंग और उत्साह के साथ अपना ज्यादा से ज्यादा समय दें.”
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