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Wednesday, 18 December, 2024
होमदेश'पुराने संसद भवन को 'संविधान सदन' के नाम से जाना जाए', PM बोले- इसकी गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए

‘पुराने संसद भवन को ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जाए’, PM बोले- इसकी गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए

PM मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में अपने भाषण के दौरान पुरानी बातों और वहां हुए कामों को याद करते हुए कहा कि यह भवन और उसमें भी ज्यादा यह सेंट्रल हॉल एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है.

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नई दिल्ली: संसद भवन में चल रहे विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में अपने भाषण के दौरान पुरानी बातों और वहां हुए कामों को याद करते हुए कहा कि यह भवन और उसमें भी ज्यादा यह सेंट्रल हॉल एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है. उन्होंने कहा, “यह हमें भावुक भी करता है और हमें कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है. आजादी के पूर्व यह खंड एक तरह से लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल होता था. आजादी के बाद संविधान सभा की बैठकें यहां हुईं और संविधान सभा की बैठकों के द्वारा गहन चर्चा के बाद हमारे संविधान ने यहां आकार लिया.”

उन्होंने आगे कहा, “यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया. उस प्रक्रिया का साक्षी यह सेंट्रल हॉल है. इसी सेंट्रल हॉल में हमारे राष्ट्रध्वज तिरंगा और राष्ट्रगान को अपनाया गया. इस ऐतिहासिक अवसरों पर आजादी के बाद अनेक अवसर आए जब दोनों सदनों के मिलकर भारत के भाग्य को गणने के लिए सहमति बनाई. 1952 के बाद से लेकर अबतक करीब 42 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में संबोधित किया है. हमारे राष्ट्रपति महोदयों द्वारा 86 बार यहां संबोधित किया गया. दोनों सदनों ने मिलकर करीब 4000 कानून पास किए हैं.”

भारत पांचवी अर्थव्यवस्था पर बना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए कहा, “आज भारत दुनिया की पांचवी अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन पहले 3 के संकल्प को प्राप्त करने के लिए भारत आगे बढ़ रहा है. मैं जिस स्थान पर हूं. जानकारी और दुनिया भर के गणमान्य लोगों से बातचीत के आधार पर कह रहा हूं कि दुनिया आश्वस्त है कि भारत एक दिन टॉप 3 में पहुंचकर रहेगा.”

उन्होंने आगे कहा, “हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सबसे पहले पूरा करना चाहिए और यह हम से में हर नागरिक के शुरुआत करने से होगी. एक समय ऐसा था कि लोग लिखते थे कि ‘मोदी आत्मनिर्भर की बात करता है, कहीं बहुपक्षीय दुनिया के सामने चुनौती नहीं बन जाएगा.’ लेकिन आज हमने पांच साल में देखा कि दुनिया भारत के आत्मनिर्भर मॉडल की चर्चा करने लगी है.”

मोदी बोले, “हमारे विश्वविद्यालय दुनिया के टॉप रैंकिंग में शामिल हुए हैं. अब हमें इसमें पीछे नहीं रहना है. जब G20 में विश्वभर के मेहमान यहां आए तो मैंने वहां नालंदा की तस्वीर रखी थी. जब मैं दुनिया के नेताओं को कहता था कि 1500 साल पहले मेरे देश में एक उत्तम विश्वविद्यालय था तो वह सुनकर चौंक जाते थे.”


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ट्रांसजेंडर को न्याय देने वाले कानून बनाए गए

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “हमने इस सदन में अनुच्छेद-370 से मुक्ति पाने और अलगाववाद एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया. इस काम में माननीय सांसदों और संसद की बहुत बड़ी भूमिका रही है. जम्मू कश्मीर में इसी सदन में निर्मित संविधान लागू किया गया. इस संसद ने बीते सालों में ट्रांसजेंडर को न्याय देने वाले कानून बनाए गए. इसके माध्यम से हमने ट्रांसजेंडरों को सम्मान के साथ नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाकी सुविधाएं देने की दिशा में कदम बढ़ाया है.”

उन्होंने आगे कहा, “हमें अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की दिशा में काम करना होगा. हमारे यहां निर्मित डिजाइन, हमारे सॉफ्टवेयर, हमारे कृषि उत्पाद, हमारे हस्तशिल्प हर क्षेत्र में अब हमें वैश्विक मानदंडों को पूरा करने के इरादे से काम करना होगा.”

अंत में अपनी बातों को विराम देते हुए PM ने कहा, “मेरी प्रार्थना और सुझाव है कि जब हम नए संसद भवन में जा रहे हैं तो इसकी (पुराना संसद भवन) गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए. इसे सिर्फ ‘पुराना संसद भवन’ कहकर छोड़ दें, ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर आप सब की सहमति हो तो इसे भविष्य में इसे ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जाए.”


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