नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने लोधी-कालीन स्मारक ‘‘शेख अली की गुमटी’’ परिसर के अंदर स्थित पार्क का इस्तेमाल बैडमिंटन या बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण के लिए नहीं करने का आदेश दिया है।
शीर्ष न्यायालय ने पहले दिल्ली सरकार को लोधी-कालीन स्मारक ‘‘शेख अली की गुमटी’’ को कानून के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए एक नयी अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अधिकारियों को क्षेत्र में कियोस्क या दुकानों सहित किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के खिलाफ निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय को यह भी आश्वासन दिया गया कि चार भागों वाले इस पार्क का रखरखाव और सौंदर्यीकरण किया जाएगा ताकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता बरकरार रहे और इसका उपयोग आम जनता के लाभ के लिए किया जा सके।
पीठ ने 31 जुलाई के आदेश में कहा, ‘‘यहां केवल यही निर्देश दिए जाने की जरूरत है कि इसका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए तथा क्षेत्र की सीमाओं को देखते हुए बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट आदि का निर्माण जैसी कोई गतिविधि नहीं की जानी चाहिए।’’
उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय आयुक्त को पार्क के रखरखाव और सौंदर्यीकरण के लिए बागवानी विभाग सहित संबंधित विभागों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया।
मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की गयी है।
स्मारक को लेकर विवाद तब सामने आया जब शीर्ष अदालत ने डिफेंस कॉलोनी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को अपने ढांचे को खाली करने और 1960 के दशक से इस ऐतिहासिक स्थल पर कब्जे के लिए मुआवजे के रूप में दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गुमटी को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (एएमएएसआर अधिनियम) के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग की गई थी।
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