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Friday, 27 September, 2024
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आदिवासियों के विरोध के चलते पार-तापी नर्मदा नदी संपर्क परियोजना रद्द: गुजरात भाजपा प्रमुख

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अहमदाबाद, 29 मार्च (भाषा) गुजरात प्रदेश भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार ने आदिवासियों के कड़े विरोध के बाद पार-तापी नर्मदा नदी संपर्क परियोजना पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है।

दूसरी ओर, गुजरात में विपक्षी कांग्रेस ने इस निर्णय को आदिवासियों को लिए ‘लॉलीपॉप’ बताते हुए कहा है कि जबतक सरकार परियोजना रद्द करने को लेकर श्वेत पत्र जारी नहीं कर देती है तबतक विरोध जारी रहेगा।

दक्षिणी गुजरात के जिलों के आदिवासी तब से ही परियोजना का विरोध कर रहे हैं जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने अपने केंद्रीय बजट भाषण कहा था कि इसकी और चार अन्य नदी संपर्क परियोजनाओं की प्रारूप परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम रूप दे दिया गया है और लाभार्थी राज्यों के बीच आम सहमति का इंतजार है। उन्होंने कहा कि केंद्र संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति बनने के बाद ही परियोजना का पूर्ण समर्थन करेगा।

इसके बाद कांग्रेस विधायक अनंत पटेल और शिवसेना नेता अभिनव डेल्कर ने पिछले महीने वलसाड जिले में एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था। इसके बाद आदिवासियों ने कई रैलियों का आयोजन किया और कुछ दिन पहले वे परियोजना के खिलाफ राजधानी गांधीनगर में जमा भी हुए थे।

उनकी मांग है कि परियोजना को रद्द किया जाए, क्योंकि यह उन्हें उनकी पुरखों की ज़मीन से विस्थापित कर देगी।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए पाटिल ने कहा कि उन्होंने गुजरात में आदिवासी समुदाय से संबंधित मंत्रियों के साथ-साथ विधायकों और सांसदों के संग केंद्रीय मंत्री अमित शाह, सीतारमण और गजेंद्र सिंह शेखावत से सोमवार को दिल्ली में मुलाकात की थी और उनसे परियोजना पर आगे नहीं बढ़ने की अपील की थी।

भाजपा नेता ने कहा, “ उन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि जबतक परियोजना में शामिल महाराष्ट्र और गुजरात अपनी लिखित सहमति नहीं दे देते हैं, तबतक वह (केंद्र सरकार) परियोजना पर आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देगी।”

उन्होंने कहा, “ विपक्षी दल अपने फायदे के लिए आदिवासियों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया जबकि वे यह भूल गए कि (पार-तापी-नर्मदा नदी संपर्क) परियोजना मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान शुरू की गई थी।”

पाटिल ने कहा कि गुजरात सरकार ने हाल में पेश किए अपने बजट में परियोजना के लिए कोई इच्छा नहीं दिखाई है।

प्रदेश भाजपा प्रमुख ने कहा, “ भाजपा कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे आदिवासियों को अपनी जमीन खोनी पड़े और उनके हित प्रभावित हों।”

गुजरात के जनजातीय विकास मंत्री नरेश पटेल ने कहा कि भाजपा इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि एक भी आदिवासी का विस्थापन नहीं हो और अगर परियोजना से आदिवासियों का विस्थापन होगा तो भाजपा कभी भी इस पर सहमत नहीं होगी।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “ लिहाज़ा परियोजना को रद्द कर दिया गया है।” पटेल ने कांग्रेस और अन्य संगठनों पर आदिवासियों के बीच डर का माहौल बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की सहमति के बिना केंद्र की कोई परियोजना कामयाब नहीं होगी।

गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखराम राथवा ने दावा किया कि भाजपा ने राज्य में इस साल दिसंबर में होने वाले चुनाव के मद्देनजर यह फैसला किया है। उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल के लिए आदिवासी समुदाय के हितों की तुलना में अपने हित ज्यादा अहम हैं और उन्होंने मुद्दे पर श्वेत पत्र लाने की मांग की।

कांग्रेस नेता ने कहा, “ यह एक लॉलीपॉप से ज्यादा कुछ नहीं है। जबतक सरकार परियोजना रद्द करने को लेकर श्वेत पत्र जारी नहीं कर देती है तबतक हम विरोध जारी रखेंगे। (परियोजना को रद्द करने का ) दावा आदिवासियों को गुमराह करने और चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए है।”

भाषा नोमान पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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