नई दिल्ली: पाकिस्तान में होने वाला सालाना औरत मार्च हमेशा से विवादित रहा है, लेकिन उसमें मौजूदा जैसा कुछ नहीं है. पाकिस्तानी एक्ट्रेस नाजिश जहांगीर अब इसे तलाक की बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहरा रही हैं.
शुक्रवार को एक पोडकास्ट के दौरान पाकिस्तानी यूट्यूबर नादिर अली से बात करते हुए जहांगीर ने औरत मार्च को ‘फर्ज़ी नारीवादी आंदोलन’ कहा.
उन्होंने कहा, “मैं इन औरत मार्चों में विश्वास नहीं करती. यह उन महिलाओं को लाभ नहीं पहुंचा रहा जिनके लिए हम लड़ रहे हैं. मुझे लगता है कि इन फर्ज़ी नारीवादी आंदोलनों से आपको कभी न्याय नहीं मिलेगा.”
किसी भी डेटा या स्रोत का हवाला दिए बिना, जहांगीर ने यह भी दावा किया कि 2018 में औरत मार्च शुरू होने के बाद से पाकिस्तान में खुला (तलाक) के मामले बढ़ गए हैं.
उन्होंने आगे कहा, अगर वे ‘समानता में विश्वास करती हैं’, तो वह ‘नारी-समर्थक’ नहीं हैं, यह मानना “भयावह” है कि आज महिलाएं उन महिलाओं की पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक तलाक लेती हैं जो ज़्यादा “बलिदान” और “धैर्य” रखती थीं.
जहांगीर ने कहा, “मैं महिलाओं को क्रूरता या दुर्व्यवहार सहन करने के लिए नहीं कह रही हूं. वे चाहें तो अपना घर छोड़ सकती हैं, लेकिन कम से कम एक मौका तो दें. हमारे माता-पिता धैर्य और प्रेम के साथ रिश्तों को त्यागने और बचाए रखने के सबसे बड़े उदाहरण हैं.”
औरत मार्च और वर्तमान यथास्थिति में एक महिला की आवाज़ के मूल्य पर चर्चा के दौरान, अभिनेत्री ने कहा कि वे अभी भी एक आंसू भरी महिला पर भरोसा नहीं करने में विश्वास करती हैं क्योंकि वह मगरमच्छ के आंसू बहा सकती है.
जबकि अधिकांश यूट्यूब यूजर्स ने उनकी प्रशंसा की, ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने तुरंत कहा कि इस तरह के तर्क रिडक्टिव हैं.
The link between Aurat March and rising trend of Khula made by Nazish Jahangir is precisely why celebrities should stick to what they're good at and not comment on social issues which they absolutely have no idea about!
— Dr Izza (@izza08688528) June 3, 2023
औरत आज़ादी मार्च की स्थापना 2018 में पाकिस्तान में एक समाजवादी-नारीवादी संगठन-महिला डेमोक्रेटिक फ्रंट के सदस्यों द्वारा की गई थी. वूमेंस एक्शन फोरम, एलिमिनेशन ऑफ वॉयलेंस अगेंस्ट वीमेन एंड गर्ल्स एलायंस, यंग टीचर्स एसोसिएशन, होम-बेस्ड वीमेन वर्कर्स यूनियन, अवामी वर्कर्स पार्टी और अवामी जम्हूरी पार्टी ने भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस्लामाबाद में मार्च किया था. उसी वर्ष, कराची और लाहौर में “हम औरतें” के रूप में जानी जाने वाली महिलाओं के एक समूह ने औरत मार्च शुरू किया. रूढ़िवादियों द्वारा विरोध और नकली अभियानों के बीच, तब से हर साल इस तरह की रैलियां आयोजित की जाती हैं.
जहांगीर के इंटरव्यू की टिप्पणियों पर एक संपादकीय में, डॉन अखबार ने लिखा, “उनके सामान्यीकरण दुनिया भर में नारीवादी आंदोलनों के विविध उद्देश्यों और उपलब्धियों की अनदेखी करते हैं, उन्हें एक ही परिप्रेक्ष्य में कम करते हैं. मार्च सहित नारीवाद के सभी रूपों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है.”
संपादकीय में कहा गया, औरत मार्च के बारे में उनका दावा “हास्यास्पद” है, जिसमें कहा गया है कि एक सफल विवाह के लिए बलिदान पर उसका आग्रह “विचित्र” है.
अपनी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया का सामना करने के बाद, जहांगी ने एक इंस्टाग्राम स्टोरी में एक स्पष्टीकरण दिया, जिसमें कहा गया था कि हालांकि वे “कुछ हद तक” महिलाओं के मार्च से सहमत नहीं हो सकती हैं, लेकिन वह “दुर्व्यवहार के वास्तविक शिकार पुरुष हों या महिला” के साथ खड़ी होंगी.
उन्होंने लिखा, “राय आखिर राय है.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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