नई दिल्ली: पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह के नेतृत्व में सात सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल स्थायी सिंधु आयोग की वार्षिक बैठक के लिए सोमवार को यहां पहुंचा. इस बैठक के दौरान शाह अपने भारतीय समकक्ष के साथ वार्ता करेंगे.
यह जानकारी एक अधिकारी ने दी.
दोनों देशों के सिंधु आयुक्त 23-24 मार्च को वार्षिक वार्ता करेंगे.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पी के सक्सेना करेंगे जिनके साथ केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम के उनके सलाहकार होंगे.
सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) में दोनों आयुक्तों के साल में कम से कम एक बार बैठक करने का प्रावधान है और यह बैठक एक बार भारत में तथा एक बार पाकिस्तान में होती है.
हालांकि पिछले साल नयी दिल्ली में प्रस्तावित बैठक कोरोनावायरस संबंधी महामारी के चलते रद्द कर दी गयी थी. इस संधि के प्रभाव में आने के बाद पहली बार यह बैठक रद्द की गयी.
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को अगस्त, 2019 में निष्प्रभावी किए जाने तथा जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद दोनों आयुक्तों के बीच यह पहली बैठक होगी.
भारत ने तब से इस क्षेत्र के लिए कई पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें डरबक श्योक (19 मेगावाट), शांकू (18.5 मेगावाट), निमू चिलिंग (24 मेगावाट), रोंगडो (12 मेगावाट) और रतन नाग (10.5 मेगावाट) लेह में हैं तथा मंगदूम सांगरा (19 मेगावाट), कारगिल हंडममैन (25 मेगावाट) और तमशा (12 मेगावाट) कारगिल से जुड़ी हैं.
भारत ने इन परियोजनाओं के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया था. यह मुद्दा इस बैठक के दौरान उठने की संभावना है.
पाकिस्तान चिनाब नदी पर भारतीय पनबिजली परियोजना के डिजाइन पर आपत्ति कर सकता है. आईडब्ल्यूटी के तहत चिनाब नदी के पानी का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दिया गया है.
बैठक से पहले सक्सेना ने कहा, ‘भारत इस संधि के तहत अपने अधिकारों के संपूर्ण दोहन के लिए कटिबद्ध है और वार्ता के माध्यम से मुद्दों के सौहार्दपूर्ण हल में यकीन करता है.’
यह भी पढ़ें: शेख मुजीबुर रहमान को साल 2020 का गांधी शांति पुरस्कार देगी भारत सरकार