(सुष्मिता गोस्वामी)
गुवाहाटी, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय सेना के एक पूर्व सैन्य कमांडर ने शुक्रवार को कहा कि पहलगाम हमला एक पूर्वनियोजित कार्रवाई थी जिसका उद्देश्य आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना सहित उनके आकाओं द्वारा एक रणनीतिक संदेश भेजना था कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति की वापसी “अस्थायी” है।
उन्होंने कहा कि पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाना भी इस रणनीतिक कदम का हिस्सा था, ताकि इस घटना के संभावित प्रतिशोध के रूप में देश में सांप्रदायिक हिंसा भड़काई जा सके।
सेना की पूर्वी कमान के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राणा प्रताप कलिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “इस हमले का विश्लेषण करने पर नई बातें सामने आ रही हैं। सबसे पहली बात तो यह कि यह हमला पहले से ही योजनाबद्ध था और आतंकवादियों तथा पाकिस्तानी सेना सहित उनके आकाओं द्वारा एक रणनीतिक संदेश भेजने के लिए किया गया था।”
उन्होंने बताया कि हमलावर यह प्रदर्शित करना चाहते थे कि “जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति की वापसी के संकेत – चाहे वह सुचारू चुनाव हों या पर्यटकों की बड़ी संख्या – अस्थायी थे।”
कलिता ने कहा कि पर्यटकों पर हमला प्रासंगिक है, क्योंकि आतंकवादियों को पता था कि इससे आम कश्मीरियों को नुकसान होगा, जिनमें से कई लोग पर्यटन क्षेत्र से अपनी आजीविका कमाते हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ छिटपुट घटनाएं हुईं। लेकिन बड़े पैमाने पर (पर्यटकों को) निशाना बनाना कुछ नया है। वे (आतंकवादी) जानते हैं कि इससे आम कश्मीरियों को नुकसान पहुंचेगा।”
हमले के लिये सावधानीपूर्वक रची गयी साजिश पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “स्थान का चयन – एक अलग-थलग स्थान जहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी – और समय का चयन, जो अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब यात्रा के साथ मेल खाता था, बहुत विस्तृत समन्वय, योजना और विचार-विमर्श के साथ किया गया था।”
भाषा प्रशांत माधव
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