नई दिल्ली: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने गुरुवार को कहा कि पहलगाम हमले के मद्देनज़र वह पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर अटारी, हुसैनीवाला और सादकी में रिट्रीट समारोह का आयोजन सीमित स्तर पर करेगा.
बीएसएफ की पंजाब फ्रंटियर ने एक बयान में कहा कि इस ‘सुविचारित फैसले’ के तहत, बल भारतीय गार्ड कमांडर द्वारा अपने समकक्ष के साथ प्रतीकात्मक रूप से हाथ मिलाने की रस्म को स्थगित कर रहा है तथा कार्यक्रम के दौरान सीमा द्वार बंद रहेंगे.
भारत के साथ पाकिस्तान की कुल 2200 किलोमीटर लंबी सरहद लगती है जिसमें से बीएसएफ का पंजाब फ्रंटियर 532 किलोमीटर लंबी सीमा की रखवाली करती है.
इसमें कहा गया है कि ये कदम ‘‘सीमा पार शत्रुता पर भारत की गंभीर चिंता को दर्शाते हैं और इस बात की पुष्टि करते हैं कि शांति और उकसावे की कार्रवाई साथ-साथ नहीं हो सकती.’’
अधिकारियों ने बताया कि अन्य सभी अभ्यास जारी रहेंगे तथा आम लोगों को ध्वज-उतारने के दैनिक समारोह को देखने की अनुमति होगी.
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर प्रमुख पर्यटक स्थल बैसरन में मंगलवार को आतंकवादियों ने हमला किया था, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. इनमें ज्यादातर पर्यटक हैं.
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक उपाय शुरू कर दिए हैं और इन हमलों को पड़ोसी देश से जोड़ते हुए कई जवाबी कदम उठाए हैं.
सबसे बड़ा आयोजन अटारी सीमा पर होता है, जो एक संयुक्त या एकीकृत भूमि सीमा चौकी है. यह अमृतसर से लगभग 26 किमी दूर स्थित है.
अटारी सीमा पर प्रतिदिन सैकड़ों घरेलू आगंतुक, विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग झंडा उतारने और रीट्रीट कार्यक्रम देखने आते हैं. यह कार्यक्रम बीएसएफ कर्मियों और उनके समकक्ष पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा समन्वित रूप से आयोजित किया जाता है.
पाकिस्तान की तरफ की सरहद को वाघा के नाम से जाना जाता है. हुसैनीवाला (फिरोज़पुर जिला) और सादकी (अबोहर जिला) में भी इसी तरह के लेकिन छोटे कार्यक्रम होते हैं.
भारत और पाकिस्तान 1959 से अटारी-वाघा सीमा पर शाम को झंडा उतारने के कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं और इस कार्यक्रम में दोनों देशों के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं. यह समारोह 45-50 मिनट तक चलता है.
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