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Thursday, 19 December, 2024
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ऑक्सफोर्ड की स्टडी में हुआ खुलासा, कोविड वैक्सीन लगने के बाद खून का थक्का जमने की संभावना कम

रिसर्च टीम ने पाया कि किसी भी अन्य स्थिति की तुलना में कोविड-19 के बाद सीवीटी होना ज्यादा आम है जिनमें से 30 प्रतिशत मामले 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखने को मिले.

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नई दिल्ली: एक नये अध्ययन में कहा गया है कि खून के थक्के जमने की दुर्लभ स्थिति यानी सेरिब्रल वेनस थ्रोंबोसिस (सीवीटी) का जोखिम कोविड-19 का टीका लगाने के बाद उतना नहीं है जितना वह कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद है.

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के अध्ययन में कोविड-19 का पता चलने के दो हफ्ते बाद और टीके की पहली खुराक के बाद सामने आए सीवीटी के मामलों की गिनती की गई. उन्होंने इन मामलों की तुलना इंफ्लुएंजा के बाद होने वाले सीवीटी के मामलों और आम आबादी में इसके पहले से मौजूद स्तर से की.

अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने पाया कि किसी भी अन्य स्थिति की तुलना में कोविड-19 के बाद सीवीटी होना ज्यादा आम है जिनमें से 30 प्रतिशत मामले 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखने को मिले.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मौजूदा टीकों से तुलना करने पर यह जोखिम आठ से 10 गुना ज्यादा बढ़ जाता है और बिना टीकों के यह खरीब करीब 100 गुना ज्यादा है.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ट्रांसलेशनल न्यूरोबायोलॉजी ग्रुप के प्रमुख पॉल हैरिसन ने कहा, ‘टीकों और सीवीटी के बीच संभावित संबंधों को लेकर चिंताएं हैं जिससे सरकारों और नियामकों को कुछ टीकों के इस्तेमाल को सीमित करना पड़ रहा है.’

हैरिसन ने कहा, ‘फिर भी एक सवाल का जवाब नहीं मिल रहा था कि कोविड-19 होने के बाद सीवीटी का खतरा कितना है?’

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 होने के बाद सीवीटी का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और इस बीमारी से खून के थक्के जमने संबंधी अन्य समस्याएं पहले भी हैं जो और बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि मौजूदा टीकों से जोड़कर जो खतरे देखे जा रहे हैं वह कोविड-19 होने के बाद के खतरों से कम ही हैं.

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक कोविड-19 के सीवीटी से संबंधित होने के संकेत साफ हैं और सबको इस पर गौर करना चाहिए.

उनके मुताबिक इस महत्त्वपूर्ण कारक पर और अनुसंधान की जरूरत है कि कोविड-19 और टीकाकरण समान रूप से या अलग-अलग तरीके से सीवीटी का कारण बनते हैं.


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