नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) एक हजार से अधिक नारीवादियों, लोकतांत्रिक समूहों, शिक्षाविदों, वकीलों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को निशाना बनाने की घटना की बृहस्पतिवार को निंदा की और इसे मुस्लिम महिलाओं के साथ ‘भेदभाव’ का नवीनतम बहाना करार दिया।
एक खुले पत्र में इन लोगों ने कहा है कि उनका मानना है कि भारतीय संविधान विद्यालयों और महाविद्यालयों में बहुलतावाद का जनादेश देता है, न कि एकरूपता का। इस पत्र पर 1850 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं।
पत्र में कहा गया है कि हिजाब पहनी छात्राओं को अलग कक्ष में बिठाना या कॉलेज से निकलकर अपनी इच्छा के अनुरूप मुस्लिम-संचालित महाविद्यालयों में जाने को कहना कुछ और नहीं, बल्कि भेदभाव है।
पत्र को 15 राज्यों के 130 से अधिक समूहों ने भी अपना समर्थन दिया है। इन समूहों में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन, बेबाक कॉलेक्टिव, सहेली वीमेन्स रिसोर्स सेंटर, आवाज-ए-निजवान, नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, दलित वीमेन्स कॉलेक्टिव, नेशनल फेडरेशन ऑफ दलित वीमेन और वीमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वायलेंस शामिल हैं।
भाषा सुरेश प्रशांत
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