नई दिल्ली: देशभर में 1.5 करोड़ से अधिक किसान, जो पीएम-किसान स्कीम के तहत पंजीकृत लाभार्थियों की सूची में हैं, उन्हें अभी तक इस योजना की ताज़ा किश्त नहीं मिली है, जिसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण कल्याण योजना के तहत अप्रैल तक बढ़ा दिया था. पहली किश्त जुलाई के अंत तक दी जानी थी.
दिप्रिंट के हाथ लगे दस्तावेज़ों के अनुसार, 23 जून तक स्कीम के तहत पंजीकृत कुल 9,93,25,834 किसानों में से, 8,38,78,120 को अप्रैल-जुलाई के अवधि की 2,000 रुपए की किश्त मिल गई थी.
पीएम-किसान स्कीम के अंतर्गत केंद्र सरकार, हर वर्ष देश भर के सभी पात्र किसानों को 6,000 रुपए देती है, जो हर चार महीने पर 2,000 रुपए की तीन किश्तों में दिया जाता है.
लेकिन, मार्च में कोविड लॉकडाउन लागू कर दिए जाने के कुछ ही समय बाद, मोदी सरकार ने ऐलान किया कि वैश्विक महामारी और उसके आर्थिक परिणामों के मद्देनज़र, पीएमजीकेवाई के तहत 2000 रुपए की पहली किश्त शुरू में ही अदा कर दी जाएगी.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस स्कीम के लाभार्थी बनने के लिए, किसानों की ज़मीन के रिकॉर्ड्स सत्यापित करने और फंड्स वितरित करने का ज़िम्मा, राज्य की अथॉरिटीज़ का है.
अधिकारी ने कहा, ‘किसानों की भारी संख्या जो इससे बाहर रह गई है, स्व:पंजीकरण श्रेणी में आती है, जिसे हाल ही में देशभर के किसानों के लिए खोला गया था और इन राज्यों में उनके सत्यापन का काम चल रहा है’.
अधिकारी ने आगे कहा, ‘हालांकि स्कीम के तहत किसानों को पैसे का वितरण शुरू किए हुए तीन महीने हो गए हैं और लाभार्थियों की संख्या अभी भी बढ़ रही है लेकिन ये किश्त अप्रैल से जुलाई के लिए है और तब तक राज्य अपनी प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं’.
राज्यों में स्थिति
जिन किसानों को अभी तक ताज़ा किश्त नहीं मिली थी, उनमें से एक तिहाई- 54.14 लाख लाभार्थी- उत्तर प्रदेश से हैं. आंकड़ों से पता चला कि किसी भी राज्य में, किश्त न मिलने वाले किसानों की ये सबसे बड़ी संख्या है.
यूपी में 1,73,99,555 किसानों को, पीएम-किसान की ताज़ा किश्त मिल चुकी है. लेकिन इस संख्या में भी क़रीब 6 लाख की कमी है, जिन्हें स्कीम के तहत दिसम्बर 2019-मार्च 2020 की पिछली किश्त मिली थी.
यूपी कृषि विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘लाभार्थियों का सत्यापन राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों और ज़िला प्रशासन के बीच सहयोग से होता है. इस बार कोविड लॉकडाउन और रबी की उपज की ख़रीद के कारण इसमें देरी हो गई’.
अधिकारी ने आगे कहा, ‘हाल की स्व:पंजीकरण प्रक्रिया के कारण, इसमें नए लाभार्थी भी जुड़ गए हैं, जिससे ये प्रक्रिया और जटिल हो गई है,और लाभार्थियों की संख्या बढ गई है, जिन्हें स्कीम के तहत ताज़ा किश्त नहीं मिली है’.
ओडिशा उन राज्यों की लिस्ट में दूसरे नम्बर पर है, जिनमें सबसे ज़्यादा किसानों को ताज़ा किश्त नहीं मिली है- ऐसे किसानों की संख्या 17 लाख है, जो कुल पंजीकृत लाभार्थियों का करीब 16 प्रतिशत हैं.
उसके बाद महाराष्ट्र (14 लाख किसान या 14 प्रतिशत) और राजस्थान (12 लाख किसान या 19 प्रतिशत) हैं. असम में 40 प्रतिशत से अधिक पंजीकृत किसानों को अपनी किश्त नहीं मिली है.
झारखंड और आंध्र प्रदेश में करीब 6 लाख किसान हैं, जिन्हें ताज़ा किश्त मिलने का इंतज़ार है. केरल, पंजाब और मध्य प्रदेश में, ऐसे किसानों की संख्या 4 लाख के करीब है.
ओडिशा के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हर बार पीएम-किसान स्कीम के तहत किश्त बांटने के समय, केंद्र सरकार की ओर से ढेर सारे किसानों का रिकॉर्ड, सत्यापन के लिए भेज दिया जाता है. हमें ज़िला और तहसील स्तर पर जांच करके सत्यापित करना होता है कि मौजूदा ज़मीन रिकॉर्ड के हिसाब से किसान स्कीम के पात्र हैं कि नहीं. सत्यापन के इस काम में समय लगता है, जिससे और देरी हो जाती है’.
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फिसड्डी
कुल मिलाकर देखें तो झारखंड और बिहार, पीएम-किसान स्कीम के कार्यान्वयन में, सबसे फिसड्डी राज्य हैं.
झारखंड में कुल पंजीकृत लाभार्थियों में से 36 प्रतिशत किसानों को, स्कीम के तहत सभी चार किश्तें मिल चुकी हैं, जो 2018 में शुरू की गई थी.
इसी तरह बिहार में, करीब 48 प्रतिशत किसानों को पीएम-किसान स्कीम की चारों किश्तें मिल चुकी हैं.
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