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Friday, 29 March, 2024
होमदेशझीरम घाटी नक्सली हमला मामले में फिर आमने सामने आई कांग्रेस और भाजपा, बीजेपी नेता ने पूछा-सबूत तो जेब में थे अब कहां गए

झीरम घाटी नक्सली हमला मामले में फिर आमने सामने आई कांग्रेस और भाजपा, बीजेपी नेता ने पूछा-सबूत तो जेब में थे अब कहां गए

भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री भपेश बघेल पिछले सात वर्षों से सबूत जेब में रखकर घूम रहे थे तो अब क्यों नहीं पेश कर रहे हैं सबूत. यह सिर्फ कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक फायदा उठाने का तरीका था.

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रायपुर: छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बने 18 महीने से अधिक का समय बीत चुका है. पिछले सात वर्षों से झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में मारे गए पार्टी के नेताओं की राज्य द्वारा गठित एसआईटी से जांच की मांग कर रही कांग्रेस पार्टी पर भाजपा के नेता हमलावर हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि सत्तारूढ कांग्रेस पार्टी अपने ही नेताओं के परिजनों को गुमराह कर रही है.

पिछले 18 महीने से सूबे में सरकार है आखिर उन्होंने अभी तक जांच क्यों नहीं शुरू कराई, इस मामले में सिर्फ राजनीति ही कर रहे हैं. भाजपा का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी यदि सच में इस मुद्दे पर गंभीर होती तो अभी तक एनआईए को पूरी जानकारी सौंप चुकी होगी और जांच शुरू हो चुकी होती.

25 मई 2013 को कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं का काफिला ‘कांग्रेस की परिवर्तन रैली’ से लौट रहा था. इस काफिले में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार और अन्य नेताओ सहित कुछ सुरक्षाकर्मी थे. जब ये काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था जब घात लगाकर नक्सलियों ने 35 नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था.

हालांकि, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में इस हत्याकांड को लेकर लगातार आरोप प्रत्यारोप लगाए जाते रहे हैं. पिछले दिनों जहां कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने झीरम घाटी वाले मामले में एक बार फिर इसे भाजपा की साजिश और सुपारी किलिंग का आरोप लगाया है और जांच एनआईए की जगह एसआईटी से कराए जाने की मांग की है.

तीन दिन पहले झीरम घाटी नक्सली हमले के मामले में प्रदेश के शहरी विकास मंत्री शिवलाल डहरिया ने तत्कालीन भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर खुला आरोप लगाया था कि झीरम घाटी हमले में उसका हाथ था. कांग्रेस और डहरिया के अरोपों का रमन सिंह सहित दूसरे भाजपा नेताओं ने विरोध किया था.

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वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस को ही घेरा है.


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केंद्र में थी कांग्रेस सरकार- मनमोहन थे प्रधानमंत्री

कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार ने झीरम घाटी जांच के मामले में पूरी पारदर्शिता बरती है और केंद्र में तत्कालीन यूपीए सरकार की रायशुमारी और निर्देशों के अनुसार ही निर्णय लिए गए थे.

रमन सिंह ने इस संबंध अपना एक बयान जारी कर कहा, ‘जब यह घटना हुई उस वक्त कांग्रेस की यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और त्कालीन गृह मंत्री सुशील शिंदे ने छ्त्तीसगढ़ का दौरा किया था और दिल्ली वापस जाकर तत्कालीन गृह मंत्री ने मुझे फोन पर ही एनआईए जांच की सहमति मांगी थी और हमने तुरन्त सहमति दे दी थी. एनआईए एक्ट यूपीए सरकार द्वारा ही लाया गया था. यह देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद जैसी घटनाओं की जांच के लिए बनाई गई संस्था है.’

रमन सिंह ने आगे कहा, ‘राज्य सरकार द्वारा झीरमघाटी की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना समझ से परे है. क्या राज्य की एसआईटी, देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी एनआईए से ऊपर है. हमारी सरकार ने इस घटना की स्वतंत्र जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था. इस आयोग द्वारा अखबारों में कई बार विज्ञापन दिया गया कि झीरमघाटी के संबंध में किसी भी तरह के सबूत किसी भी व्यक्ति के पास यदि है तो वह इस आयोग को सौंप सकता है. इसके बावजूद 7 साल बाद घटना की जांच हेतु एसआईटी की मांग करना समझ से परे है.

वह आगे कहते हैं,’मैं यहां आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य की एसआईटी, एक सिटिंग जज की अध्यक्षता में बने आयोग और एनआईए से ऊपर है.’


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परिवार वालों से छल कर रही है कांग्रेस

दिप्रिंट से बात करते हुए नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि इस मुद्दे को बार-बार उठाकर सत्तारूढ़ दल सिर्फ राजनीति कर रहा है. साय ने कहा कि, ‘स्वयं मुख्यमंत्री और उनके पार्टी के सभी नेता कहते आए हैं कि झीरम घाटी नक्सली हमले से संबंधित उनके पास कुछ विशेष सबूत और जानकारी हैं लेकिन उन्होंने इसे कभी भी सार्वजनिक नही किया, ना ही मामले में जांच कर रही एनआईए के सामने रखने में गंभीरता दिखाई.’

वह आगे कहते हैं, ‘इससे साफ जाहिर है कि या तो उनके पास कुछ नहीं है या फिर अपने नेताओं पर हुए नक्सली हमले का राजनीतिक दोहन करने में लगे हैं.’

साय ने आगे कहा, ‘मुख्यमंत्री बघेल हमेशा से दावा करते थे कि झीरम घाटी हत्याकाण्ड से सबंधित सबूत उनकी जेब में रहते हैं. पिछले 18 महीने से अधिक समय से उनकी सूबे में सरकार है आखिर उन्होंने इन सबूतों को जांच एजेंसी को क्यों नही सौंपा है.’

कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए साय ने दिप्रिंट से कहा, इसका मतलब तो यही हुआ कि कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है. मारे गए नेताओं के परिजनों से भी छलावा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री यदि गंभीर होते तो एनआईए को सभी दस्तावेज़ देकर जांच में सहयोग करते. लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को 2018 के विधानसभा में जीत के बाद सिर्फ राजनीति करने लिए बनाए रखना चाहती है.’

कुछ ऐसा ही कहा भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री व राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय ने. प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए पांडेय में सवाल किया, “झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच को लेकर भाजपा पर आरोप लगाने वाले कांग्रेस के नेता अपने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर दबाव क्यों नही बना रहे हैं कि विपक्ष में रहते हे वे जिन सबूतों को जेब में लिए फिरने की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, वे सबूत अब सामने लाएं. और जांच को अंजाम तक पहुंचाएं.’

पांडेय ने भी कांग्रेस पार्टी के सबूत वाले दावों पर शंका जाहिर करते हुए कहा कि उसके नेता कहीं अपने समर्थकों को गुमराह तो नही कर रही है. भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि ‘राज्य की कांग्रेस सरकार भाजपा कार्यकर्ताओं को झूठे अरोपों में फंसा रही है.’

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेण्डी ने भी इस मामले में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ऐसा क्या है जो कांग्रेस पार्टी झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच सिर्फ स्वयं के द्वारा गठित एसआईटी से ही कराना चाहती है. एनआईए का गठन भी उन्ही की यूपीए सरकार ने किया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह की राज्य सरकार ने केंद्र के कहने पर ही एनआईए जांच के लिए अनुमति दी थी.’

वह आगे कहते हैं, ‘मुख्यमंत्री भपेश बघेल और उनकी पार्टी के दावे में कोई सच्चाई नही है, अन्यथा वे अबतक सारे सबूत जांच एजेंसी से साझा कर चुके होते.’


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नहीं कर सकते एनआईए पर भरोसा

हालांकि भाजपा के दावों को कांग्रेस ने सिरे से खारिज कर दिया है. पार्टी का कहना है कि एनआईए केंद्र की भाजपा सरकार के अधीन कार्य कर रही है. उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता.

कांग्रेस विधायक विनय भगत कहते हैं, ‘केंद्र के अधीन काम कर रही एनआईए पर जांच के नतीजों को लेकर आशंकाएं हैं. हम नहीं कह सकते कि झीरम हत्याकांड में मारे गए हमारे नेताओं के परिजनों को इंसाफ मिलेगा. यही कारण है कि वर्तमान सरकार ने एसआईटी का गठन किया. एनआईए जांच पर सवाल इसी बात से उठता है कि एसआईटी द्वारा लगातार मांग करने के बावजूद भी उन्होंने दस्तावेज आज तक साझा नही किया.’

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और वरिष्ठ पार्टी नेता राजेश बिस्सा कहते है,’प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार मांग करने के बाद भी एनआईए ने झीरम घाटी हमले से संबंधित इकट्ठा किए गए दस्तावेजों को साझा नही किया है. क्या राज्य सरकार को जांच की जानकारी लेने का कोई अधिकार नही है. ऐसे में राज्य सरकार कैसे विश्वास करे की जांच सही दिशा में रही है. पार्टी नेताओं द्वारा सबूत न दिए जाने का प्रमुख कारण भी अविश्वास है.’

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