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Wednesday, 3 September, 2025
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हमारा युद्ध खुफियागिरी का है: प्रतीक गांधी और सनी हिंदुजा ने कहा

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(अतिरिक्त सामग्री के साथ)

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) नेटफ्लिक्स की 70 के दशक की ड्रामा सीरीज ‘सारे जहां से अच्छा’ में रॉ और आईएसआई एजेंट की भूमिका निभाने वाले अभिनेता प्रतीक गांधी और सनी हिंदुजा ने कहा कि उनकी दुनिया में जासूसों को दुविधाओं से भरे संघर्षशील इंसानों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वे उस तरह के जासूस नहीं हैं जो एक्शन के साथ फैंसी गैजेट्स लेकर चलते हैं।

सुमित पुरोहित द्वारा निर्देशित और भावेश मंडालिया तथा गौरव शुक्ला द्वारा लिखित यह श्रृंखला 1966 में एक विमान दुर्घटना में भारतीय वैज्ञानिक होमी भाभा की मृत्यु से शुरू होती है और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद दो जासूसी एजेंसियों के उदय को दर्शाती है।

‘स्कैम 1992’ से शुरुआत करने वाले गांधी ‘मडगांव एक्सप्रेस’, ‘दो और दो प्यार’ तथा ‘फुले’ जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों में काम कर चुके हैं।

‘सारे जहां से अच्छा’ सीरीज में वह भारतीय जासूस विष्णु की भूमिका निभा रहे हैं जिसे पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को विफल करने के लिए सीमा पार से अपने समकक्ष मुर्तजा (हिंदुजा) को मात देने का काम सौंपा गया है।

यह शो 13 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होगा।

गांधी ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम इतिहास में घटी घटनाओं और 70 के दशक के बारे में जानने को लेकर बहुत उत्सुक थे। उस दौर में हमारे देश के साथ-साथ अन्य देशों में भी कई जीवन बदल देने वाली घटनाएं हुईं।’’

प्रतीक गांधी ने बताया,‘‘ हमने बचपन से जिस प्रकार की जासूसी थ्रिलर देखी हैं उनको देख कर लगता था कि ये तो सुपरहीरो से कम नहीं हैं। जब पटकथा आई तो ये देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि यह उन जासूसी नाटकों से अलग थी जिन्हें देखकर हम बड़े हुए, जहां जासूसों को ‘सुपरहीरो’ से कम नहीं दिखाया जाता था। और जो बहुत सारे आकर्षक और ‘फैंसी गैजेट्स’ से लैस होते थे।’’

सनी ने इसी क्रम में बताया, ‘‘ जासूस असल युद्ध में काम नहीं करते। उनका युद्ध खुफियागिरी का है। उन्हें अलग तरीके से दुश्मन को पछाड़ना होता है और उनका बहुत कुछ दांव पर लगा होता है।’’

‘द फैमिली मैन’ और ‘एस्पिरेंट्स’ में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाने वाले हिंदुजा ने कहा कि वह भी खुश हैं कि उनका चित्रण वास्तविक जीवन में जासूसों के काम करने के तरीके के काफी करीब है।

अभिनेता ने कहा, ‘‘ इन जासूसों की लड़ाई अलग किस्म की है, दूसरों को कैसे मात दी जाए और अपने देश को कैसे प्राथमिकता दी जाए, इसी तरह वे काम करते हैं।’’

प्रतीक गांधी को विष्णु के चरित्र में जो बात पसंद आई वह यह थी कि उसे बहुत संयमी दिखाया गया है।

अभिनेता ने कहा, ‘‘उसे गुस्सा भले ही आता हो, लेकिन कुछ फैसले ऐसे होते हैं जो वो जल्दबाजी में नहीं लेना चाहता। वो सबको बचाने का रास्ता भी ढूँढ़ना चाहता है। जब वह अपनी पत्नी के सामने खड़ा होता है, तो ढेर सारे सवालों के जवाब देना चाहता है, लेकिन दे नहीं पाता, क्योंकि वह दे ही नहीं सकता। आप इसे सिर्फ अपनी आँखों से दिखा सकते हैं और ऐसे किरदार निभाने में हमेशा बहुत मजा आता है।’’

हिंदुजा ने कहा कि उन्होंने 1970 के दशक के बहुत सारे वीडियो देखे ताकि उस दौर के लोगों की शारीरिक भाषा और सामान्य जीवन को समझ सकें।

उन्होंने एक तेज-तर्रार आईएसआई एजेंट और अपने सबसे करीबी लोगों को मारने सहित अपने देश के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार मुर्तजा का किरदार निभाने के लिए एक बोली प्रशिक्षक के साथ भी काम किया।

अभिनेता ने कहा, ‘‘चूँकि मैं उस देश से नहीं हूँ, इसलिए यह किरदार निभाना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण था। मुझे नहीं पता कि 1970 के दशक में लोग कैसे रहते थे, उनकी आदतें कैसी थीं और वे कैसे थे… यह भावनात्मक और शारीरिक, दोनों ही लिहाज से एक चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। लेकिन जिस तरह से किरदार लिखा गया है, वह बेहद खूबसूरत है।’’

जहां हिंदुजा का चरित्र मुर्तजा अधिक सक्रिय है, वहीं गांधी का विष्णु हाशिये पर काम करना पसंद करता है।

गांधी ने कहा, ‘‘हम यह बताना चाहते हैं कि मुर्तजा ने नैतिक रेखा पार कर ली है और वह अपने देश के लिए कुछ भी करने को तैयार है और वह इसमें पूरी तरह से दृढ़ है। लेकिन विष्णु उस नैतिक रेखा को 100 प्रतिशत पार नहीं कर पाया है।’’

‘सारे जहां से अच्छा’ बॉम्बे फेबल्स द्वारा निर्मित है और इसमें सुहैल नैयर, कृतिका कामरा, तिलोत्तमा शोम, रजत कपूर और अनूप सोनी भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश

नेत्रपाल

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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