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Friday, 18 July, 2025
होमदेशसेवा की हमारी संस्कृति कोविड बाद के दौर में भारत को प्रमुखता दिलाने में मदद कर रही:मांडविया

सेवा की हमारी संस्कृति कोविड बाद के दौर में भारत को प्रमुखता दिलाने में मदद कर रही:मांडविया

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आणंद(गुजरात), दो सितंबर (भाषा) कोरोना वायरस महामारी के दौरान केंद्र की ओर से की गई दवाइयों और टीकों की आपूर्ति का जिक्र करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि भारत की सेवा की संस्कृति कोविड बाद के दौर की नयी विश्व व्यवस्था में उसे प्रमुखता दिलाने में मदद कर रही है।

उन्होंने आणंद जिला स्थित भाईकाका विश्वविद्यालय के अमृत पटेल जन स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘‘(कोविड महामारी के दौरान) जब अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद हो गयी थीं, तब छह-सात विमान रोजाना दवाइयां लेने के लिए भारत आते थे। हमने न केवल दवाइयां दीं, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी संस्कृति से अवगत कराया।’’

उन्होंने कहा कि यदि भारत चाहता तो वह बहुत ऊंची कीमतों पर अन्य देशों को दवा बेच सकता था, लेकिन भारत महामारी से पहले के मूल्य स्तरों पर ही दवाइयों की आपूर्ति करता रहा।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘जब दुनिया अपनी जरूरत से तीन-चार गुणा अधिक टीकों का भंडारण कर रहा था, तब भारत ने न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बल्कि ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत निम्न दर पर 100 से अधिक देशों को आपूर्ति के लिए टीकों का उत्पादन किया।’’

उन्होंने कहा,‘‘यही वजह है कि कोविड के बाद के दौर में नयी विश्व व्यवस्था उभरी…(द्वितीय विश्व युद्ध द्वारा उत्पन्न नयी विश्व व्यवस्था के) 75 साल बाद सेवा की हमारी संस्कृति भारत को इस नयी विश्व व्यवस्था में प्रमुखता दिलाने में मदद कर रही है।’’

मांडविया ने अमेरिकी उद्योगपति बिल गेट्स को भी उद्धृत किया, जिन्होंने विश्व आर्थिक मंच से इतर एक बैठक के दौरान कहा था,‘‘भारत को बधाई। आपने अच्छा कोविड प्रबंधन किया और टीकाकरण अभियान चलाया।’’

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया भारत की सराहना कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश बदल रहा है और प्रगति कर रहा है तथा नया भारत बन रहा है… पिछली सरकारों ने बस पुन: सत्ता में आने के लक्ष्य से निर्णय लिये, लेकिन मोदी सरकार समग्र दृष्टिकोण से निर्णय लेती है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार न केवल नये अस्पताल स्थापित कर रही है, बल्कि वह और स्नातक एवं स्नात्कोत्तर चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना कर एमबीबीएस की सीट भी बढ़ा रही है।

भाषा राजकुमार सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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