हुबली (कर्नाटक), 24 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने उस मामले की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) से कराने का आदेश दिया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सी.टी. रवि पर पिछले सप्ताह विधान परिषद में मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप है।
अधिकारियों के अनुसार 19 दिसंबर को सुवर्ण विधान सौध में रवि पर हमला करने के कथित प्रयास के लिए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज मामले की जांच भी सीआईडी को सौंप दी गई है।
गत 19 दिसंबर को जब सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित हुई तो विधान परिषद में भाजपा के सदस्य रवि ने विधान परिषद में हेब्बालकर के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया।
हेब्बलाकर की शिकायत के आधार पर उन्हें उसी दिन शाम को सुवर्ण विधान सौधा परिसर से गिरफ्तार कर पुलिस वैन में ले जाया गया।
एक सवाल के जवाब में परमेश्वर ने कहा, ‘‘मैं इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहता, मैंने सीआईडी से जांच कराने के आदेश दिए हैं, जब जांच जारी है तो कोई इस पर टिप्पणी या बयान नहीं दे सकता।’’
विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी के इस मामले को ‘‘रफा-दफा’’ होने की बात कहे जाने के बावजूद सीआईडी जांच के आदेश के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस अपना काम करेगी। सभापति अपना कर्तव्य निभाएंगे…’’
रवि पर हमले के प्रयास के संबंध में पांच दिन बाद प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर पूछे गए गए सवाल पर गृह मंत्री ने कहा, ‘‘सब तथ्यों पर विचार करने के बाद, परिषद के सभापति की राय लेने के बाद, जब चीजें प्रक्रियात्मक रूप से की जाती हैं तो देरी हो सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ उचित प्रक्रिया में हो, इसलिए हमने इसकी जांच सीआईडी को सौंपी है ताकि तथ्यों का पता लगाया जा सके। रवि ने कहा कि उन्होंने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन गवाहों सहित अन्य लोगों का कहना कुछ और है, इन सबकी जांच होनी चाहिए, इसलिए मैंने सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं।’’
बेलगावी पुलिस आयुक्त इडा मार्टिन मारबानियांग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रवि के खिलाफ़ लगाए गए आरोप और उन पर हमला करने की प्रयास से जुड़े मामले को सीआईडी को सौंप दिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आगे की जांच सीआईडी करेगी।’’
जांच सीआईडी को सौंपे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए रवि ने कहा कि यदि सीआईडी जांच करती है तो इसे किसी कार्यरत न्यायाधीश की निगरानी में किया जाना चाहिए और रिपोर्ट न्यायाधीश को सौंपी जानी चाहिए।
उन्होंने चिकमगलुरु में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर विभाग द्वारा बिना किसी दबाव के ईमानदारी से जांच की जाए तो हीरेबागेवाड़ी पुलिस थाना ही काफी है। अगर बिना किसी दबाव के काम किया जाए तो चाहे पुलिस कांस्टेबल हो या सीआईडी कोई भी न्याय दे सकता है, अगर दबाव हो तो कोई भी न्याय नहीं दे सकता।’’
उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को अपने अंतरिम आदेश में रवि की तत्काल रिहाई का फैसला सुनाते हुए कहा कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। हालांकि, न्यायमूर्ति एमजी उमा की पीठ ने रवि को जांच में सहयोग करने और पूछताछ के लिए उपलब्ध रहने को कहा।
भाषा
खारी नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.