तिरुवनंतपुरम, 21 मार्च (भाषा) केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) ने एलडीएफ (लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) सरकार की सिल्वरलाइन परियोजना के खिलाफ अपना आंदोलन सोमवार को तेज कर दिया।
यूडीएफ ने कहा कि सत्तारूढ़ मोर्चे की इस धमकी का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है या उसे कोई भय नहीं है कि सर्वेक्षण के पत्थर हटाने वालों को जेल में डाल दिया जाएगा। वहीं, माकपा ने कहा कि किसी भी आंदोलन के चलते सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर को रोका नहीं जाएगा।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि यूडीएफ राज्य में 100 जनसभाएं आयोजित करने की योजना बना रहा है, ताकि लोगों को यह दिखाया जा सके कि परियोजना ठीक नहीं है और पहली बैठक चेंगन्नूर के मुलकुझा में होगी।
सतीशन ने एक बयान में कहा कि यूडीएफ मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा परियोजना के संबंध में रखे गए सर्वेक्षण पत्थरों को हटाने वाले किसी भी व्यक्ति को जेल में डालने की धमकी से भयभीत या प्रभावित नहीं है और वे पत्थरों को हटाकर जेल जाएंगे।
माकपा प्रदेश महासचिव कोडियेरी बालकृष्णन ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर उसे पत्थर चाहिए तो सरकार उन्हें आपूर्ति कर सकती है और आंदोलन को ‘मजाक’ बताया। उन्होंने कहा कि यूडीएफ ने इस परियोजना को लागू नहीं किया और अब वह इसे किसी और को करने नहीं दे रही है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह भूस्वामियों या संपत्ति को खोने वालों का विरोध नहीं है, यह एक राजनीतिक आंदोलन है। उन्होंने आगे कहा कि एलडीएफ सरकार लोगों को विश्वास में लेकर इस परियोजना को लागू करेगी।
पत्थर लगाने का विरोध कर रही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ पुलिस द्वारा बल प्रयोग के आरोपों से इनकार करते हुए बालकृष्णन ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाएं और बच्चे उनका हिस्सा न हों।
उन्होंने कहा, ‘‘इसमें बच्चों को लाने की क्या ज़रूरत है? उन पर मिट्टी का तेल क्यों डालें? क्या ऐसा कुछ किया जाना चाहिए? इसलिए उन्हें (महिलाओं और बच्चों को) स्थल से हटा दिया गया था। क्या होता यदि उन्हें आग लगा दी गई होती, जला दिया गया होता और हमारे सामने मौत हो गई होती।’’
सतीशन ने बयान में कहा कि राज्य सरकार अपनी योजनाओं या इरादों को स्पष्ट किए बिना सर्वेक्षण के पत्थर बिछाने पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विदेशों से कर्ज लेकर केरल को गिरवी रखने और पर्यावरण को तबाह करने की कोशिश है। उन्होंने परियोजना के पीछे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और दलील दी कि यूडीएफ खतरों के आगे नहीं झुकेगा।
सतीशन ने कहा कि सरकार आंदोलन को दबा नहीं पाएगी और अगर मुख्यमंत्री अहंकारी बने रहे तो केरल में नंदीग्राम की पुनरावृत्ति होगी।
सिल्वरलाइन परियोजना से तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक यात्रा समय लगभग चार घंटे तक कम होने की उम्मीद है। इस परियोजना का यूडीएफ द्वारा विरोध किया जा रहा है, जो आरोप लगा रहा है कि यह राज्य पर भारी वित्तीय बोझ डालने के अलावा अवैज्ञानिक और अव्यवहारिक है। एलडीएफ सरकार ने दलील दी है कि यूडीएफ विकास विरोधी है।
सरकार ने कहा कि यह परियोजना आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद होगी, इससे आर्थिक विकास होगा, हर साल कार्बन उत्सर्जन में लगभग 2.8 लाख टन की कमी आएगी। एलडीएफ ने कहा कि इसलिए रेल कॉरिडोर को हकीकत बनाने के लिए सभी को साथ आना चाहिए।
लोग राज्य भर में कई जगहों पर परियोजना के लिए संपत्तियों की पहचान करने और सामाजिक प्रभाव आकलन करने के लिए सर्वेक्षण के पत्थरों को रखने का विरोध कर रहे हैं।
भाषा अमित दिलीप
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